Swami Avimukteshwarananda: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवनिर्मित राम मंदिर पर ध्वजारोहण किया, जिससे राम मंदिर निर्माण कार्य की पूर्णाहुति का संदेश देश-दुनिया को दिया गया। यह आयोजन ऐतिहासिक था, क्योंकि राम मंदिर निर्माण की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। इस अवसर पर देशभर से करीब 8000 विशिष्ट अतिथियों को आमंत्रित किया गया था, जिनमें साधु-संत, दानदाता, निर्माण कार्य से जुड़े लोग, और राम मंदिर आंदोलन से जुड़े परिवार शामिल थे। हालांकि, इस भव्य कार्यक्रम में कुछ महत्वपूर्ण नामों को निमंत्रण नहीं भेजा गया, जिसके कारण नाराजगी की लहर उठी है।
निमंत्रण न मिलने पर नाराजगी (Swami Avimukteshwarananda)
राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से करीब 8000 लोगों को आमंत्रण पत्र भेजा गया था, लेकिन कई लोग ऐसे थे जिन्हें इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में भाग लेने का निमंत्रण नहीं मिला। इसको लेकर कुछ संतों और नेताओं ने अपनी नाराजगी जाहिर की है। तुलसी पीठ के पीठाधीश्वर और राम मंदिर आंदोलन से जुड़े जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने भी इस पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। उनका कहना था कि उन्होंने राम मंदिर आंदोलन में भाग लिया था, उन्होंने बलिदान दिया, लेकिन उन्हें इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया। स्वामी रामभद्राचार्य ने यह भी कहा कि उन्हें इस कार्यक्रम का निमंत्रण नहीं मिलने से वह रुष्ट हैं, हालांकि वे दुखी नहीं हैं।
शंकराचार्य का सवाल
ध्वजारोहण समारोह में शंकराचार्यों को न बुलाए जाने पर भी सवाल उठे। ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि शास्त्रों में कहीं भी यह उल्लेख नहीं मिलता कि किसी मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण किया जाए। उनका कहना था कि इस प्रकार के धार्मिक कार्यों को शास्त्रों के अनुसार होना चाहिए, और यह कार्यक्रम इस तरीके से आयोजित किया गया था कि उसमें शास्त्रों की अवहेलना हो रही थी। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस मामले को लेकर कहा कि जब तक शास्त्रों के अनुरूप कोई व्यवस्था नहीं होती, तब तक वे इस कार्यक्रम में भाग लेने को तैयार नहीं हैं।
अवधेश प्रसाद की नाराजगी
समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने भी राम मंदिर ध्वजारोहण समारोह में आमंत्रण न मिलने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वे स्थानीय सांसद हैं, और उन्हें इस ऐतिहासिक अवसर पर बुलाया जाना चाहिए था। बाद में उन्होंने कहा कि अगर हमें कार्यक्रम में बुलाया नहीं गया, तो वे नंगे पैर राम मंदिर जाएंगे। उनकी इस टिप्पणी ने भी इस मामले को तूल दिया और कुछ अन्य नेताओं ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दीं।
कारसेवकों और उनके परिजनों की निराशा
राम मंदिर आंदोलन के कारसेवकों के परिजनों को भी इस कार्यक्रम में निमंत्रण नहीं मिलने से निराशा हुई। हालांकि, अयोध्या के कारसेवक स्व. राम अचल गुप्ता के पुत्र संजय गुप्ता ने कहा कि वह 30 सालों से मंदिर के निर्माण का सपना देख रहे थे, और यह पल उनके लिए अत्यंत भावुक था। संजय गुप्ता ने इस अवसर को कल्पना से परे बताया। इसके साथ ही उन्होंने 2 नवंबर 1990 को उस समय को याद किया जब शुजागंज बाजार से 28 कारसेवकों का जत्था अयोध्या पहुंचा था।
प्रधानमंत्री मोदी का संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर राम मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण करते हुए इसे देश के लिए एक ऐतिहासिक और ऐतिहासिक अवसर बताया। उन्होंने कहा कि राम मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है। मोदी ने यह भी कहा कि राम मंदिर आंदोलन के हर एक चरण में लोगों ने जो संघर्ष और बलिदान दिया, वही आज इस मंदिर के रूप में फलीभूत हो रहा है।
आंदोलन से जुड़ी यादें
जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने इस अवसर पर कहा कि राम मंदिर आंदोलन में उनका योगदान अत्यधिक था। उन्होंने 1984 से अब तक कई बलिदान दिए हैं। वह बताते हैं कि उन्होंने आंदोलन में जेल भी काटी, पुलिस के डंडे खाए, और आज उनका यह संघर्ष सफल हुआ है। हालांकि, उनके अनुसार, आज राम मंदिर के उपासकों को उचित सम्मान नहीं मिल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि राम मंदिर आंदोलन में उनका योगदान महत्वपूर्ण था, और उनकी गवाही भी अदालत में अहम साबित हुई थी।
