Bhilwara Medical Miracle: भीलवाड़ा में मेडिकल चमत्कार! मरीज के लिवर से निकली 500+ गांठें, डॉक्टर भी रह गए दंग

Bhilwara Medical Miracle
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Bhilwara Medical Miracle: भारत की चिकित्सा दुनिया में इन दिनों दो तरह की सुर्खियाँ छाई हुई हैं एक ऐसी, जिस पर देश गर्व कर सकता है, और दूसरी ऐसी, जिसे पढ़कर मरीज सोचने लगें कि अस्पताल जाएँ या घर पर ही दुआ कर लें। एक तरफ चित्तौड़गढ़ के डॉ. बी.एल. बैरवा हैं, जिन्होंने मरीज के लिवर से 500 से ज्यादा सिस्ट निकालकर ऐसा कमाल कर दिखाया कि उनका नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में चमक उठा। वहीं दूसरी तरफ कुछ डॉक्टर ऐसे भी हैं, जो शायद ‘रिकॉर्ड’ नहीं, पर लापरवाही की ‘सीमा’ जरूर तोड़ने पर तुले हैं किसी का गलत पैर ऑपरेट कर देना, तो किसी के पेट में कैंची ही छोड़ आना। ऐसे में जनता यही सोच रही है कि डॉक्टरों की दुनिया में कमाल भी है… और कमाल की गलतियाँ भी। आईए आपको विस्तार से बताते हैं।

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लिवर में छिपे थे 500+ हाइडेटिड सिस्ट (Bhilwara Medical Miracle)

भीलवाड़ा के रजाक मंसूरी पिछले दो-तीन साल से पेट दर्द से परेशान थे। कई डॉक्टर दिखा चुके थे, दवाइयाँ ले चुके थे, घरेलू उपाय भी आजमा लिए, लेकिन दर्द कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था। आखिरकार उन्होंने चित्तौड़गढ़ के एक निजी अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन डॉ. बी.एल. बैरवा का रुख किया और यहीं से शुरू हुई एक ऐसी मेडिकल कहानी, जिसे सुनकर खुद डॉक्टर भी हैरान रह जाएँ।

डॉ. बैरवा ने रजाक का सीटी स्कैन करवाया और रिपोर्ट सामने आते ही सबकी आँखें खुली की खुली रह गईं। स्कैन में पता चला कि रजाक के लिवर के दाहिने हिस्से में 500 से ज्यादा छोटी-छोटी पानी भरी गांठें, यानी हाइडेटिड सिस्ट, मौजूद थीं। ये सिस्ट पित्त नली तक को ब्लॉक कर चुकी थीं और किसी भी वक्त फटकर जान का बड़ा खतरा पैदा कर सकती थीं। सरल भाषा में कहें तो रजाक के लिवर ने चुपचाप “सैकड़ों गेस्ट” पनाह दे रखे थे।

दवा शुरू की, लेकिन 15 दिन में ही हालत बिगड़ी

डॉ. बैरवा के अनुसार, आमतौर पर मरीजों को ऑपरेशन से एक महीना पहले दवा दी जाती है ताकि सिस्ट कुछ निष्क्रिय हो जाएँ। रजाक को भी यही दवा शुरू की गई थी, पर सिर्फ 15 दिन में ही उनकी तकलीफ बढ़ती चली गई। यानी बीमारी ने भी जैसे कह दिया “अब ज्यादा इंतजार नहीं करूँगी!” मरीज की हालत गंभीर देखते हुए डॉक्टरों ने ऑपरेशन को तुरंत करना जरूरी समझा।

तीन घंटे से भी लंबी सर्जरी, 5 किलो से ज्यादा का भार निकला

करीब तीन घंटे से ज्यादा चली इस जटिल सर्जरी में डॉक्टरों की टीम ने रजाक के पेट से 500 से अधिक सिस्ट निकाले। इनका कुल वजन 5 किलो से भी ज्यादा निकला। इतनी बड़ी संख्या में सिस्ट निकाले जाने का मामला मेडिकल साइंस में बेहद दुर्लभ माना जाता है। परिजन शुरुआत में डरे हुए थे, क्योंकि कई डॉक्टर इस ऑपरेशन को जोखिम भरा बता चुके थे, लेकिन ऑपरेशन सफल रहा और अब रजाक धीरे-धीरे ठीक हो रहे हैं।

डॉ. बैरवा: रिकॉर्ड ब्रेकर सर्जन

गौर करने वाली बात यह है कि डॉ. बी.एल. बैरवा पहले भी अपना कौशल साबित कर चुके हैं। हाल ही में उन्होंने एक महिला के शरीर से 300 हाइडेटिड सिस्ट निकालकर वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स लंदन में अपना नाम दर्ज करवाया था। यानी सिस्ट हटाने के मामले में वे अब लगभग विशेषज्ञ स्तर पर पहुँच चुके हैं।

पेट दर्द को ‘हल्का’ न समझें

डॉ. बैरवा का कहना है कि हाइडेटिड सिस्ट अक्सर साधारण पेट दर्द जैसा दिखता है, इसलिए लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन यह बीमारी लिवर को गंभीर नुकसान पहुंचाती है और समय पर इलाज न मिले तो जान ले सकती है।

और अब देखिए दूसरी तरफ जहाँ इलाज कम, लापरवाही ज्यादा

जहाँ कुछ डॉक्टर अपनी कुशलता से मिसाल पेश कर रहे हैं, वहीं कई जगह ऐसी घटनाएँ सामने आती हैं, जिन्हें देखकर लगता है कि शायद ऑपरेशन थिएटर को लॉटरी सिस्टम पर चलाया जा रहा है।

सुल्तानपुर: एक पैर टूटा था, डॉक्टर ने दूसरा ही ऑपरेट कर दिया

पिछले साल दिसंबर में उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में एक ऑर्थोपेडिक डॉक्टर डॉ. पी.के. पांडे का कारनामा सामने आया। एक वृद्ध महिला का एक पैर टूटा था, पर डॉक्टर साहब ने ऑपरेशन कर दिया दूसरे पैर का। जब मरीज बाहर आई तो परिजन भी हैरान थे कि आखिर टूटा कौन सा था और ठीक कौन सा कर दिया गया! अस्पताल के लोग सफाई देने लगे, लेकिन मामले ने कई सवाल खड़े कर दिए।

भोपाल: ऑपरेशन के बाद पेट में ‘कैंची’ भूल आए डॉक्टर

वहीं 2023 में ऐसा ही एक और मामला सामने आया जब भोपाल में एक और चौंकाने वाली घटना हुई। यहाँ भोपाल केयर अस्पताल में सर्जन डॉ. अभिषेक शर्मा एक महिला के पेट में सर्जरी के दौरान कैंची (आर्टरी फोर्सेप) ही भूल आए। चार महीने तक महिला दर्द झेलती रही, और जब एक्स-रे हुआ तो पेट में “गिफ्ट” की तरह एक पूरी कैंची दिखाई दी। फिर दोबारा ऑपरेशन करके वह उपकरण तो निकाल लिया गया, लेकिन महिला की हालत बेहद गंभीर बनी हुई है।

रजाक मंसूरी का मामला यह याद दिलाता है कि सही डॉक्टर और सही समय पर इलाज मिल जाए तो कितना बड़ा चमत्कार हो सकता है। और दूसरी ओर ये लापरवाही वाले मामलों से पता चलता है कि स्वास्थ्य सेवाओं में सतर्कता और जवाबदेही कितना महत्वपूर्ण मुद्दा है।

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