Bill Gates Comment on India: बिल गेट्स की संस्था भारतीयों को ‘LAB RATS’ की तरह इस्तेमाल करती है, फिर मोदी जी उन्हें संसद में क्यों ले आए?

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Bill Gates Comment on India: इन दिनों भारत में बिल गेट्स के संसद दौरे और उनके ‘प्रयोगशाला’ वाले बयान की खूब चर्चा हो रही है। दुनिया के सबसे बड़े बिजनेस टाइकून और गेट्स फाउंडेशन के चेयरमैन बिल गेट्स ने हाल ही में दिल्ली में केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा से मुलाकात की, लेकिन एक और खास बात सामने आई – यह मुलाकात संसद भवन में हुई! यह अपने आप में खास है, क्योंकि भारत सरकार उन्हें इतनी अहमियत दे रही है कि उन्हें संसद में बुलाया जाता है और स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़े विषयों पर चर्चा की जाती है।

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बिल गेट्स और उनकी ‘प्रयोगशाला’ वाली टिप्पणियाँ- Bill Gates Comment on India

अब, क्या आपको नहीं लगता कि एक अरबपति कारोबारी के लिए यह सम्मान की बात होनी चाहिए, लेकिन गेट्स की यह शालीनता भरी मुलाकात उनके हालिया बयान के बाद सवालों के घेरे में है। भारत में गेट्स ने खुद एक इंटरव्यू में यह कहा कि उनका चैरिटी प्रोग्राम, जो देश में टीकाकरण और स्वास्थ्य सेवाओं पर काम कर रहा है, वह ‘प्रयोगशाला’ की तरह काम करता है। यानी, भारत में चल रहे इन प्रोजेक्ट्स का परीक्षण किया जाता है, और यदि यह सफल होता है, तो दुनिया भर में इसे लागू किया जाएगा।

गेट्स ने कहा, “अगर भारत में यह तरीके कारगर होते हैं, तो इन्हें बाकी देशों में भी अपनाया जा सकता है।” अब यह सुनकर आपको कैसा महसूस होता है? क्या भारत की पूरी जनता अब गेट्स के लिए गिनी पिग्स बन चुकी है, जिनकी पीड़ा और संघर्ष सिर्फ किसी नई दवा या टीके का परीक्षण करने के लिए हैं? क्या गेट्स का यह बयान भारत की आत्मनिर्भरता और प्रतिष्ठा को कम आंकने जैसा नहीं लगता?

सांसद भवन में क्यों बुलाया गया था बिल गेट्स?

बिल गेट्स का संसद भवन में बुलाया जाना खुद में एक दिलचस्प मसला है। क्या यही वह जगह है जहां गेट्स को भारत के मुद्दों पर अपनी राय देने का अधिकार मिलना चाहिए? या फिर यह सिर्फ उनकी चैरिटी के लिए एक ‘संपर्क मंच’ है, जहां भारत सरकार उनके संग डील करने के लिए खुद को प्रस्तुत करती है? संसद भवन में चर्चा तो होती है देश के विकास, लोगों के अधिकारों और सामाजिक नीतियों पर, लेकिन गेट्स का वहां आकर अपनी चैरिटी के माध्यम से भारत को ‘प्रयोगशाला’ बताना कतई उचित नहीं है।

सोशल मीडिया पर गेट्स की आलोचना

सोशल मीडिया पर इस बयान के बाद बवाल मच गया है। कई यूजर्स ने गेट्स को निशाने पर लिया है। एक यूजर ने लिखा, “क्या हम भारतीय अब सिर्फ गिनी पिग्स बन गए हैं? क्या बिल गेट्स हमें प्रयोगशाला में परीक्षण करने के लिए देख रहे हैं?” वहीं, दूसरे यूजर्स ने इसे सरकार और मीडिया पर भी तंज कसते हुए कहा कि ‘क्या भारत को सिर्फ परीक्षण के लिए रखा गया है, और मीडिया ने इन अरबपतियों को हीरो बना दिया है?’

क्या गेट्स की आलोचना गलत है?

बिल गेट्स के आलोचकों का कहना है कि उनका यह बयान गलत था, जबकि कुछ लोग इसे उनके विचारों की गलती मानते हैं। एक यूजर ने तो यहां तक कहा, “बिल गेट्स ने भारत को प्रयोगशाला नहीं कहा, बल्कि यह कहा कि अगर भारत में जो तरीका काम करता है, तो दुनिया के दूसरे देशों में उसे लागू किया जा सकता है।” हालांकि, क्या यह शब्दों की बाजीगरी है? क्या यह भारत के मान-सम्मान को एक बार फिर कमजोर करने की कोशिश नहीं है?

बिल गेट्स का भारत को ‘प्रयोगशाला’ कहना और संसद में उनकी उपस्थिति दोनों ही भारतीय समाज और राजनीति में कई सवाल खड़े कर गए हैं। जहां एक ओर गेट्स का फाउंडेशन भारत में स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में काम करता है, वहीं उनका यह बयान भारत की आत्मनिर्भरता और संघर्ष को कम आंकने जैसा लगता है।

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