BJP Caste Census Delay: गृह मंत्रालय ने सोमवार (16 जून) को एक महत्वपूर्ण नोटिफिकेशन जारी करते हुए देश में जातीय जनगणना के संबंध में जानकारी दी। यह जनगणना दो चरणों में होगी, और इसका पहला चरण 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगा। इस पहले चरण में चार पहाड़ी राज्य – हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख शामिल होंगे। दूसरा चरण 1 मार्च 2027 से शुरू होगा, जिसमें देश के बाकी हिस्सों में जातीय जनगणना होगी।
यह पहली बार है जब भारत में जातीय जनगणना हो रही है, जो कि आज़ादी के बाद का एक ऐतिहासिक कदम है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्पष्ट किया था कि जातीय जनगणना को सामान्य जनगणना के साथ ही किया जाएगा, जिसे पहले केंद्र सरकार ने 30 अप्रैल 2025 को शुरू करने का ऐलान किया था।
जातीय जनगणना का महत्व और राजनीतिक संदर्भ- BJP Caste Census Delay
जातीय जनगणना को लेकर हमेशा विवाद रहे हैं, और यह मुद्दा लंबे समय से राजनीतिक चर्चाओं का हिस्सा रहा है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस जनगणना की मांग लगातार उठाई है, विशेष रूप से समाज के पिछड़े वर्गों और दलितों के लिए। इससे पहले, 2011 में सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना की गई थी, लेकिन इसके आंकड़े कभी सार्वजनिक नहीं किए गए, जिससे कई सवाल उठे थे। इस बार, उम्मीद जताई जा रही है कि जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक किए जाएंगे और इससे समाज के विभिन्न वर्गों के बारे में अधिक स्पष्ट जानकारी प्राप्त होगी।
2011 की जनगणना और इसके बाद की घटनाएँ
2011 की जनगणना के दौरान, सरकार ने सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना (SECC) करवाई थी, लेकिन इसके परिणाम कभी भी सार्वजनिक नहीं किए गए। इस सर्वेक्षण में ग्रामीण विकास मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय और गृह मंत्रालय की भागीदारी थी, और इसे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में किया गया था। हालांकि, केवल SC और ST से संबंधित आंकड़े ही जारी किए गए थे, जो काफी सीमित थे।
इस बार की जातीय जनगणना के लिए जनगणना एक्ट 1948 में बदलाव की आवश्यकता होगी, ताकि OBC (आर्थिक रूप से पिछड़ी जातियों) के आंकड़ों को भी समाहित किया जा सके। वर्तमान में 2,650 OBC जातियों का डेटा एकत्रित किया जाएगा, और 2011 में SC (16.6%) और ST (8.6%) की जनसंख्या के आंकड़े प्रस्तुत किए गए थे।
जाति जनगणना की मांग और राजनीति
जातीय जनगणना के लिए प्रमुख नेता और राजनीतिक दलों ने लंबे समय से अपनी मांगें उठाई हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2023 में सबसे पहले जातीय जनगणना की मांग की थी और इसके बाद देशभर में उन्होंने कई सभाओं और फोरम पर इस मुद्दे को उठाया। हालांकि, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की सरकारों ने हमेशा जातीय जनगणना का विरोध किया था, और 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी इसे कैबिनेट में चर्चा के लिए रखा था, लेकिन उस समय इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया था।
1980 के दशक में जाति आधारित कई क्षेत्रीय दलों ने आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन किया था, और यह मांग राजनीतिक रूप से और मजबूत हुई थी। 1979 में मंडल आयोग की सिफारिशों के बाद OBC के लिए आरक्षण दिया गया था, और इसके विरोध में कई छात्र संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया था। इसके बाद, 2011 में मनमोहन सिंह सरकार ने SECC कराने का फैसला लिया था, जिसका बजट 4,389 करोड़ रुपये था।
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