Brain-Eating Amoeba Symptoms: केरल में इन दिनों एक बेहद खतरनाक संक्रमण लोगों की जान ले रहा है। इस बीमारी का नाम है प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस, जिसे आमतौर पर “ब्रेन-ईटिंग अमीबा” (Brain-Eating Amoeba Symptoms) के नाम से जाना जाता है। ताजा मामला मलप्पुरम जिले का है, जहां 56 वर्षीय महिला एम. शोभना की इस संक्रमण से मौत हो गई है। वह वंडूर की रहने वाली थीं और बीते 4 सितंबर को कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती हुई थीं। इलाज के दौरान वह बेहोश थीं और फिर सोमवार को उनकी मौत हो गई।
अब तक 5 मौतें, चिंता में स्वास्थ्य विभाग | Brain-Eating Amoeba Symptoms
आपको जानकारी हैरानी होगी कि शोभना की मौत के साथ ही इस बीमारी से एक महीने के भीतर मरने वालों की संख्या 5 हो गई है। इनमें एक तीन महीने का शिशु, एक 9 साल की बच्ची और एक 45 वर्षीय व्यक्ति शामिल हैं, जो हाल ही में वायनाड जिले में दम तोड़ चुका है। सभी मामलों में लक्षण एक जैसे थे – तेज बुखार, सिरदर्द, उल्टी और बाद में बेहोशी। अधिकारियों के मुताबिक, कोझिकोड, मलप्पुरम और वायनाड सबसे ज़्यादा प्रभावित जिले हैं, जहां से अब तक 42 पुष्ट मामले दर्ज किए गए हैं।
कहां से फैल रहा है संक्रमण?
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि ये बीमारी नेगलेरिया फाउलेरी नामक एक फ्री-लिविंग अमीबा (Brain-Eating Amoeba Facts) से होती है, जो आमतौर पर मीठे पानी की झीलों, नदियों, और टंकियों में पाया जाता है। यह अमीबा नाक के जरिए शरीर में घुसता है, खासकर तब जब कोई व्यक्ति गंदे या रुके हुए पानी में तैरता है या नहाता है। इसके बाद यह दिमाग तक पहुंचता है और घातक ब्रेन इंफेक्शन का कारण बनता है।
क्या कर रही है सरकार?
राज्य में बढ़ते मामलों को देखते हुए, केरल सरकार ने ‘राज्य सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिनियम’ लागू कर दिया है और इससे जुड़े निवारक उपायों पर काम तेज़ कर दिया गया है। सबसे पहले स्थानीय निकायों को आदेश दिए गए हैं कि वो सार्वजनिक जल स्रोतों की सफाई करें। साथ ही, स्थिर पानी में तैरने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। राज्य सरकार ने एक वाटर प्यूरिफिकेशन ड्राइव शुरू किया है, जिसमें कुएं, पानी की टंकियां और अन्य जल स्त्रोतों को साफ किया जा रहा है।
लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से मिलें
स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को चेतावनी दी है कि अगर किसी को ताजे पानी के संपर्क में आने के बाद बुखार, सिरदर्द, उल्टी या चक्कर महसूस हो रहे हैं तो इसे नजरअंदाज न करें। समय रहते पहचान और इलाज ही इस बीमारी से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है। अमीबिक इंफेक्शन तेजी से शरीर पर असर डालता है, और एक बार ब्रेन तक पहुंचने के बाद इसकी मौत दर बेहद ऊंची होती है।
साफ पानी ही सुरक्षा की पहली शर्त
यह बीमारी दुर्लभ जरूर है लेकिन बेहद खतरनाक है। इसकी रोकथाम साफ पानी से ही संभव है। राज्य सरकार ने लोगों से अपील की है कि वो बिना साफ किए हुए जलस्रोतों से दूरी बनाए रखें और नाक में पानी जाने से बचें, खासकर नदियों, झीलों और पुराने तालाबों में नहाते समय।
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