Bridge scam in Gujrat! 42 करोड़ रूपय में बने ब्रिज को तोड़ने का फैसला, 8 साल पहले ही हुआ था निर्माण

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hatkeshwar bridge demolition
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Bridge scam in Gujrat! अभी कुछ दिन पहले खबर आई थी कि गुजरात के वडोदरा ज़िले में एक नदी बहती है जिसका नाम है महिसागर नदी। इसी नदी पर बना था गम्भीरा पुल जो कि वडोदरा और आणंद को आपस में जोड़ने के लिए बनाया गया था. लेकिन 9 जुलाई को अचानक पुल का एक हिस्सा अचानक गाड़ियों के साथ नदी में जा गिरा..11 मौते हुई.. गम्भीरा पुल आज से करीब 43 साल पहले बना था, तो हो सकता है कि धूप, बारिश, पानी खाकर ये कमजोर हो गया होगा, इसलिए ये गिर गया…अब इसमें हम भला उसकी देखभाल न कर पाने के लिए सरकार को कैसे दोष दे सकते है। पुल पिछले साल ही मरम्मत हुई थी, लेकिन क्या मरम्मत हुई, वो तो देख सकते है…प्रत्यक्ष को प्रमाण की क्या जरूर..सरकार का दोष नही.. क्योंकि वो तो कभी कुछ करती ही नहीं…पुरानी धरोहर को संभालने का कोई ठेका थोड़ी न लिया है उन्होंने….. कोई बात नहीं… वैसे सीएम भूपेंद्र पटेल ने दुख जताया है और जांच करने के आदेश दिए है।

गुजरात में पुलों की कहानी

अब बात करते है उस पुल की, जिसे तो महज 8 साल पहले बनाया गया है, लेकिन उसकी हालात को गम्भीरा पुल से भी गई गुजरी हो गई… नौबत तो ये तक आ गई कि 42 करोड़ रूपय की लागत में बन कर तैयार हुए इस पुल को अब फिर से तोड़ा जा रहा है और इसका खर्चा आयेगा 3.9 करोड़। ये पुल है अहमदाबाद का हाटकेश्वर ब्रिज। सवाल ये है आखिर क्यों इस ब्रिज को तोड़ने का फैसला लिया गया है जबकि ये ब्रिज तो लोगो को जाम से बचने के लिए बनवाया गया था, लेकिन उल्टा अब लोग घंटो में जाम में फंसे रहते है। जिसे देखते हुए लिया गया बड़ा फैसला।

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क्या है कहानी हाटकेश्वर ब्रिज की

अहमदाबाद में हाटकेश्वर ब्रिज को बनाने की नींव रखी थी 2015 में अजय इन्फ्रा कंपनी ने , जो कि 42 करोड़ रूपय के लागत के साथ 2017 तक बन कर तैयार भी हो गया, 30 नवंबर 2017 को बड़े जोरो शोरो से इसका उद्घाटन किया गया, लेकिन गुजरात सरकार और अजय इन्फ्रा कंपनी की मिलीभगत का पर्दा 4 सालों में ही फाश हो गया। 2021 में इस ब्रिज पर बड़े बड़े गढ्डे हो गए, सड़क बुरी तरह से जर्जर हो गई। अब कंपनी को डर था कि कही कोई अनहोनी हो गई तो कंपनी का मुंह काला हो जायेगा…बस फिर क्या था ब्रिज को कुछ समय तक बंद करके फिर से मरम्मत की गई। लेकिन फिर जब आवाजाही शुरू हुई तो अजय इन्फ्रा कंपनी की करतूतों से पर्दा उठ गया। इस ब्रिज को वाहनों को जाने के लिए अयोग्य करार दे दिया और ब्रिज तब से बंद पड़ा है। मतलब 5 सालों में ब्रिज की दशा का पता चल गया।

जाम की समस्या से तंग

अहमदाबाद में हाटकेश्वर ब्रिज को जाम से बचने के लिए बनाया गया था, लेकिन हालात ऐसे है कि ब्रिज के बंद होने के कारण अब यहां डबल जाम लगता है। वहीं इसके तोड़ने को लेकर ब्रिज के आसपास मौजूद लोग विरोध कर रहे है क्योंकि उससे उनके रोजगार पर भी असर पड़ेगा। इसके लिए कई बार टेंडर जारी हुए ताकि कोई तो कंपनी इसे तोड़ने को राजी हो जाये, लेकिन लोगो के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए कोई तैयार नहीं होता था। हालांकि अब नगर निगम स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन देवांग दानी ने खुलासा किया है कि  हाटकेश्वर ब्रिज को 3.9 करोड़ की लागत से तोड़ने के लिए गणेश कंस्ट्रक्शन कंपनी तैयार हो गई है। यानि कि अब इस ब्रिज को जल्द तोड़ा जा सकता है।

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किसी बड़े स्केम का अंदेशा

पहले करोड़ो रूपये लगा कर ब्रिज बनाते है फिर करोड़ो रूपये लगाकार उसे तुड़वाते है…ये किस्सा आने वाले समय में एक बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहा है। कही ऐसा तो नहीं कि पुल बनाने के नाम पर करोड़ो रूपयों का घोटाला किया जा रहा है, जिसे राज्य सरकार भी दबाने की कोशिश कर रही है। वैसे हम अपने दर्शकों से पूछना चाहते है कि क्या आपको भी ऐसा लगता है कि पुलों के बनाने और तोड़ने के पीछे कोई बहुत बड़ा भ्रष्टाचार हो रहा है..अपनी राय हमें करके जरूर बतायें।

 

 

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