Caste Census: लोकसभा और विधानसभा चुनावों तक, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जाति जनगणना की मांग को प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बनाया था। अब जब केंद्र सरकार ने देशभर में जातिगत सर्वे कराने का ऐलान किया है, तो सवाल उठ रहा है कि क्या बीजेपी ने राहुल गांधी के इस मुख्य मुद्दे को अपने पक्ष में मोड़ लिया है? इस घटनाक्रम के कई राजनीतिक मायने हैं, जिन्हें समझना जरूरी है।
राहुल गांधी को राजनीतिक एजेंडे से बाहर करने की कोशिश- Caste Census
बीजेपी ने जाति जनगणना की घोषणा करके राहुल गांधी को उनके मुख्य राजनीतिक एजेंडे से वंचित करने की रणनीति अपनाई है। 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने जाति जनगणना और सामाजिक न्याय को प्रमुख मुद्दा बनाया था, जिससे पार्टी को सीटों में बढ़त मिल रही थी। अब बीजेपी के इस कदम से कांग्रेस के लिए इसे चुनावी मुद्दा बनाना मुश्किल हो सकता है।
ओबीसी राजनीति में बीजेपी की सेंधमारी
बीजेपी का उद्देश्य राहुल गांधी की ओबीसी केंद्रित राजनीति को कमजोर करना है। राहुल गांधी ने स्वीकार किया था कि जब कांग्रेस ने ऊंची जातियों, दलितों और मुस्लिम समुदायों पर ध्यान केंद्रित किया, तो ओबीसी उनसे दूर हो गए थे। अब राहुल गांधी इस वर्ग को फिर से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन बीजेपी ने जाति जनगणना के मुद्दे को उठाकर ओबीसी वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने की रणनीति अपनाई है।
बिहार में जातिगत राजनीति पर असर
जाति जनगणना के इस कदम का सीधा असर बिहार की जाति-आधारित राजनीति पर पड़ेगा। बिहार में जातिगत समीकरणों की अहम भूमिका है, और बीजेपी को यह अवसर मिलेगा कि वह खुद को सामाजिक न्याय का पक्षधर साबित कर सके। इस कदम से बीजेपी के पास बिहार में ओबीसी और अन्य वर्गों के बीच अपनी स्थिति मजबूत करने का मौका है।
क्रेडिट लेने की होड़ में कांग्रेस की मुश्किलें
कांग्रेस पहले जाति जनगणना को राहुल गांधी की बड़ी जीत के रूप में पेश करने की तैयारी कर रही थी, लेकिन अब बीजेपी ने इसे पहले उठाकर कांग्रेस का दावा कमजोर कर दिया है। अब यह दावा करना कांग्रेस के लिए मुश्किल हो गया है कि जाति जनगणना की मांग को उठाकर राहुल गांधी ने बड़ा कदम उठाया था। बीजेपी ने इस मुद्दे पर क्रेडिट लेने की होड़ में सेंध लगा दी है।
कांग्रेस का दबाव जारी रहेगा
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि राहुल गांधी इस मुद्दे पर हार नहीं मानेंगे। वह जाति जनगणना के आंकड़ों को जारी करने के बाद हाशिए पर पड़े वर्गों के लिए नीतियों की मांग करेंगे। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यह मुद्दा चुनावी बहस में बना रहे।
कांग्रेस शासित राज्यों में नई राजनीतिक चुनौती
तेलंगाना और कर्नाटक जैसे कांग्रेस शासित राज्यों में बीजेपी के सर्वे ऐलान से कांग्रेस को राजनीतिक समीकरणों पर पुनः विचार करना होगा। इन राज्यों में बीजेपी ने जाति जनगणना के मुद्दे को उठाकर कांग्रेस की रणनीति को चुनौती दी है।
बीजेपी का कदम कांग्रेस के लिए चुनौती
बीजेपी के जाति जनगणना के ऐलान ने कांग्रेस के लिए नई चुनौतियाँ पेश की हैं। यह कदम राहुल गांधी के प्रमुख मुद्दे को छीनने का एक प्रयास हो सकता है। आगामी चुनावों में यह मुद्दा अहम हो सकता है, और जाति जनगणना के आंकड़ों को लेकर राजनीतिक दलों के बीच की प्रतिस्पर्धा बढ़ने की संभावना है।