Cheque Bounce Rule 2025: डिजिटल पेमेंट के जमाने में भी बड़े लेनदेन के लिए चेक एक भरोसेमंद माध्यम माना जाता है। संपत्ति खरीद, व्यापारिक सौदे और सिक्योरिटी डिपॉजिट जैसे मामलों में लोग आज भी चेक का उपयोग सुरक्षित और प्रमाणिक विकल्प के रूप में करते हैं। ऐसे में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2025 में चेक बाउंस नियमों को और कड़ा करते हुए कई महत्वपूर्ण बदलाव लागू किए हैं। इन नए नियमों का असर सीधे उन सभी लोगों पर पड़ेगा जो नियमित रूप से चेक के जरिए लेनदेन करते हैं।
क्या होता है चेक बाउंस और इसे अपराध क्यों माना जाता है?
भारत में चेक बाउंस के मामलों का निपटारा परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 की धारा 138 के तहत किया जाता है। जब बैंक किसी चेक का भुगतान करने से इंकार कर देता है, तो इसे चेक बाउंस कहा जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे खाते में पर्याप्त बैलेंस न होना, हस्ताक्षर का मिलान न होना, गलत या अधूरी जानकारी, राशि गलत लिखना या चेक की वैधता समाप्त हो जाना। चेक एक कानूनी दस्तावेज होता है, इसलिए, इसका अपमान सिर्फ़ फ़ाइनेंशियल नुकसान ही नहीं बल्कि एक कानूनी अपराध माना जाता है, जो अदालत तक पहुंच सकता है।
2025 में लागू नए नियम: सजा और जुर्माना दोनों हुए सख्त (Cheque Bounce Rule 2025)
नई गाइडलाइन के अनुसार, अब चेक बाउंस मामलों को पहले से अधिक गंभीरता से लिया जाएगा। अगर कोई व्यक्ति चेक बाउंस होने के बाद भी निर्धारित समय में भुगतान नहीं करता है, तो उसे दो साल तक की कैद हो सकती है। इसके साथ ही, अदालत दोषी पर चेक राशि के दोगुने तक का जुर्माना भी लगा सकती है।
इन सख्त प्रावधानों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोग बिना बैलेंस या गलत जानकारी के चेक जारी न करें और वित्तीय लेनदेन में भरोसा बनाए रखा जाए।
किस वजह से बाउंस होते हैं अधिकतर चेक?
अक्सर छोटी-छोटी गलतियां भी चेक को बाउंस कर देती हैं। कई बार खाते में पर्याप्त राशि न होना मुख्य कारण होता है। इसके अलावा हस्ताक्षर का मेल न खाना, तारीख गलत लिख देना या राशि शब्दों और अंकों में अलग-अलग लिख देना भी चेक को अवैध बना देता है। कई लोग जल्दबाजी में चेक पर कटिंग या ओवरराइटिंग कर देते हैं, जिसे बैंक मान्य नहीं करता। यही साधारण लापरवाहियां बाद में बड़े कानूनी विवाद का रूप ले लेती हैं।
कानूनी प्रक्रिया: निर्धारित समय सीमा का ध्यान रखना जरूरी
चेक बाउंस होने पर कानून एक तय प्रक्रिया का पालन करता है। बैंक द्वारा चेक लौटाए जाने की तारीख से 30 दिन के भीतर चेक धारक को आरोपी को कानूनी नोटिस भेजना जरूरी है। नोटिस मिलने के बाद आरोपी को भुगतान करने के लिए 15 दिन का समय दिया जाता है। अगर वह इस अवधि में भुगतान नहीं करता, तो नोटिस की समयसीमा खत्म होने के बाद अगले 30 दिनों में अदालत में मामला दर्ज किया जा सकता है। अदालत सुनवाई के बाद दोषी व्यक्ति को सजा और जुर्माना दोनों दे सकती है।
चेक जारी करते समय सावधानी क्यों है जरूरी?
चेक एक छोटी सी गलती पर भी बाउंस हो सकता है, इसलिए चेक जारी करते समय सावधानी बेहद महत्वपूर्ण है। चेक भरने से पहले खाते का बैलेंस चेक कर लें, तारीख और राशि साफ लिखें, हस्ताक्षर हमेशा बैंक में दर्ज नमूने की तरह ही करें और चेक पर किसी भी तरह की कटिंग न करें। चेक की वैधता अवधि भी जांचते रहना जरूरी है ताकि वह समाप्त न हो जाए।
डिजिटल युग में भी चेक क्यों है जरूरी?
यूपीआई, नेटबैंकिंग और अन्य ऑनलाइन भुगतान तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन चेक अभी भी बड़े और संवेदनशील लेनदेन में एक महत्वपूर्ण साक्ष्य साबित होते हैं। विवाद की स्थिति में चेक अदालत में एक ठोस दस्तावेज की तरह काम करता है, इसलिए इसका महत्व कम नहीं हुआ है।
नए नियमों का उद्देश्य क्या है?
आरबीआई का उद्देश्य वित्तीय लेनदेन को अधिक जिम्मेदार और सुरक्षित बनाना है। नए नियमों के लागू होने से व्यापार में पारदर्शिता बढ़ेगी, धोखाधड़ी के मामले कम होंगे और वित्तीय व्यवस्था मजबूत होगी।
कुल मिलाकर, चेक बाउंस के नए नियम बैंकिंग सिस्टम को अनुशासित और विश्वसनीय बनाने की दिशा में बड़ा कदम हैं। चेक का उपयोग करने वाले हर व्यक्ति को इन नियमों के बारे में जागरूक रहना चाहिए ताकि वह किसी भी कानूनी परेशानी से बच सके और सुरक्षित वित्तीय लेनदेन कर सके।
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