China Dam Controversy: अब ज़रा सोचिए, एक ऐसा डैम जो दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट होगा, वो भी उस ब्रह्मपुत्र नदी पर, जो भारत के असम और अरुणाचल से लेकर बांग्लादेश और म्यांमार तक लाखों जिंदगियों की जीवनरेखा है। और ये डैम कोई और नहीं, बल्कि चीन तिब्बत के उस हिस्से में बना रहा है जो भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। जाहिर है, ये सिर्फ ऊर्जा परियोजना नहीं, बल्कि एक बड़ा भू-राजनीतिक और मानवीय खतरा बन सकता है।
डैम का साइज, चिंता का स्केल तीन गुना बड़ा- China Dam Controversy
चीन का ये डैम “थ्री गोरजेस” से भी तीन गुना बड़ा होगा और इसकी योजना 60,000 मेगावाट बिजली उत्पादन की है। लेकिन असल मुद्दा बिजली नहीं, बल्कि इसके नीचे बहने वाली ज़िंदगियां हैं। जिस इलाके में ये डैम बन रहा है, वहां भारतीय और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेटें टकराती हैं, मतलब यह इलाका भूकंप का केंद्र है। अगर कभी ज़रा भी तकनीकी गड़बड़ी या प्राकृतिक आपदा हुई, तो इसकी तबाही सिर्फ चीन में नहीं रुकेगी बल्कि भारत, भूटान, बांग्लादेश और म्यांमार तक इसका असर पहुंचेगा।
अरुणाचल के सीएम बोले—ये ‘वॉटर बम’ है
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू पहले ही इस प्रोजेक्ट को “वॉटर बम” कह चुके हैं। उनका कहना है कि सियांग बेल्ट में इससे भारी तबाही हो सकती है। उनकी चिंता यह भी है कि चीन जो कर रहा है, उसका इरादा क्या है, ये कोई नहीं जानता। और उनकी बात पूरी तरह बेबुनियाद नहीं है—क्योंकि चीन का रिकॉर्ड और रवैया दोनों सवाल उठाते हैं।
भारत शांत है, पर अंदर से परेशान
भारत ने अब तक इस डैम को लेकर कोई सख्त कदम नहीं उठाया है। कूटनीतिक तौर पर बस इतना कहा गया है कि चीन को निचले इलाकों के हितों का ध्यान रखना चाहिए। दूसरी तरफ चीन कहता है कि यह प्रोजेक्ट उनके अधिकार क्षेत्र में है, लेकिन भारत और बांग्लादेश के साथ बातचीत के लिए वह ‘तैयार’ है। हालांकि, अब तक किसी भरोसेमंद डेटा या चेतावनी साझा करने की पहल नहीं हुई है।
पड़ोसियों से मिलकर रास्ता निकलेगा
कुछ जानकार मानते हैं कि भारत को अब खुलकर बोलना चाहिए और चीन से हाइड्रोलॉजिकल व ऑपरेशनल डेटा मांगना चाहिए। इसके अलावा भारत को भूटान, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों के साथ मिलकर साझा रणनीति बनानी चाहिए। अगर ये देश एकजुट होकर चीन से ज़िम्मेदार रवैया मांगें, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन पर दबाव बन सकता है।
इसके अलावा, भारत के पास लॉन्ग टर्म उपाय भी हैं। जैसे, अपनी नदियों को आपस में जोड़ना, जिससे अचानक पानी आने की स्थिति में बाढ़ का असर कम किया जा सके। इससे सिर्फ जल प्रबंधन ही नहीं, चीन जैसी स्थितियों से निपटने में भी देश को ताकत मिल सकती है।
असम की चेतावनी: आम दिनों में नुकसान नहीं, लेकिन…
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भरोसा जताया है कि सामान्य हालात में भारत को इससे बड़ा नुकसान नहीं होगा, क्योंकि ब्रह्मपुत्र का लगभग 70% पानी भारत के भीतर की नदियों से आता है। लेकिन डर इस बात का है कि अगर कभी चीन ने जानबूझकर पानी छोड़ा या कोई भूकंप आया, तो तबाही की कल्पना करना भी मुश्किल होगा।