Christian Countries: सोचिए, वो देश जो कभी गिरजाघरों की घंटियों से गूंजते थे, अब वहां की गलियों में धर्म से ज्यादा खामोशी पसरी है। वो लोग जो कभी हर रविवार चर्च जाते थे, अब खुद को किसी भी धर्म से जुड़ा हुआ नहीं मानते। और दूसरी तरफ, हिंदू धर्म, जिसकी जड़ें हजारों साल पुरानी हैं, आज भी दो देशों—भारत और नेपाल—में ही बहुमत में है, लेकिन उसकी पकड़ धीरे-धीरे ढीली पड़ रही है। दरअसल प्यू रिसर्च सेंटर ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है जो बताती है कि पिछले दस सालों में न सिर्फ धार्मिक जनसंख्या का अनुपात बदला है, बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में धर्म को देखने का नजरिया भी पूरी तरह बदल गया है। कुछ देशों ने तो धर्म को पूरी तरह छोड़ दिया है, वहीं कुछ जगहों पर आबादी का संतुलन चिंता की वजह बनता जा रहा है।
ईसाई देश घटे, नास्तिकता बढ़ी- Christian Countries
खबरों के मुताबिक, 2010 में दुनिया के 201 मान्यता प्राप्त देशों में 124 देश ऐसे थे, जहां ईसाई जनसंख्या बहुसंख्यक थी। लेकिन 2020 तक यह संख्या घटकर 120 रह गई। यानी 10 सालों में चार देश अब ईसाई बहुल नहीं रहे। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि पश्चिमी देशों में लोग तेजी से धर्म से दूर हो रहे हैं। यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और उरुग्वे जैसे देशों में अब ईसाई आबादी बहुमत में नहीं रही।
उदाहरण के तौर पर, यूके में अब केवल 49 फीसदी लोग ही ईसाई हैं। ऑस्ट्रेलिया में यह आंकड़ा 47%, फ्रांस में 46% और उरुग्वे में 44% तक सिमट गया है। उरुग्वे में तो अब 52 फीसदी लोग किसी भी धर्म को नहीं मानते। नीदरलैंड में यह आंकड़ा 54% और न्यूजीलैंड में 51% है, यानी वहां भी अब धार्मिक मान्यताएं तेजी से घट रही हैं।
हिंदू आबादी स्थिर, लेकिन सीमित
वहीं हिंदू धर्म की बात करें, तो आज भी यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है, लेकिन इसके अनुयायी केवल दो देशों में ही बहुसंख्यक हैं—भारत और नेपाल। खास बात यह है कि दुनिया की 95% हिंदू आबादी भारत में ही रहती है, जबकि बाकी 5% लोग अन्य देशों में फैले हैं।
2010 से 2020 के बीच हिंदू आबादी 1.1 अरब से बढ़कर 1.2 अरब हो गई है, लेकिन इसकी वैश्विक हिस्सेदारी 14.9% पर स्थिर रही। इसका एक बड़ा कारण यह है कि हिंदू धर्म में धर्मांतरण की दर बेहद कम है।
भारत के भीतर भी बदले आंकड़े
वहीं, भारत में भी पिछले दशक में धार्मिक जनसंख्या के आंकड़ों में हल्का बदलाव देखा गया है। 2010 में जहां हिंदू आबादी 80% थी, वहीं 2020 में यह घटकर 79% रह गई। दूसरी ओर मुस्लिम आबादी 14.3% से बढ़कर 15.2% हो गई। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने हाल ही में कहा कि अगर यही रफ्तार रही तो 2041 तक असम में हिंदू अल्पसंख्यक हो सकते हैं। इसी तरह तमिलनाडु के राज्यपाल एन. रवि ने यूपी, बिहार और बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में जनसंख्या संतुलन को लेकर चिंता जताई।
कई देशों में हिंदू आबादी घटी
पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में भी हिंदू आबादी में भारी गिरावट आई है। कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि इन देशों में धार्मिक उत्पीड़न, पलायन और सामाजिक दबाव की वजह से हिंदू जनसंख्या सिकुड़ती जा रही है।
आगे क्या?
प्यू रिसर्च के अनुमान के मुताबिक, 2050 तक भारत में हिंदुओं की आबादी घटकर 77% और मुस्लिम आबादी बढ़कर 18% तक पहुंच सकती है। यह बदलाव पूरी तरह प्रजनन दर, प्रवासन और सामाजिक बदलावों पर निर्भर करेगा।
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