CJI BR Gavai Oath Ceremony: भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने 13 मई, 2025 को पद संभाल लिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई। न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल छह महीने का होगा, और वह 23 दिसंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे। भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनकी नियुक्ति के बाद, न्यायमूर्ति गवई भारतीय न्यायपालिका में एक नई दिशा देने के लिए तैयार हैं।
न्यायमूर्ति गवई का करियर और योगदान- CJI BR Gavai Oath Ceremony
जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। उनके पिता दिवंगत आरएस गवई, जो बिहार और केरल के पूर्व राज्यपाल रहे, एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता थे। जस्टिस गवई ने 1985 में वकालत शुरू की और 2003 में बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में अपनी न्यायिक यात्रा की शुरुआत की। बाद में उन्हें स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने 15 वर्षों तक मुंबई, नागपुर, औरंगाबाद और पणजी की पीठ में अपनी सेवाएं दीं।
भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण करने पर न्यायमूर्ति श्री बी.आर. गवई जी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
यह विश्वास है कि न्याय क्षेत्र में आपके दीर्घकालीन अनुभव और कानूनी ज्ञान से भारत की न्याय व्यवस्था और अधिक सुदृढ़ होगी। pic.twitter.com/gZdom8vs8f
— VD Sharma (@vdsharmabjp) May 14, 2025
जस्टिस गवई को 2019 में सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया और इसके बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों में अपने फैसलों से न्यायपालिका को दिशा दी। वे संविधान पीठों का हिस्सा रहे हैं जिनके फैसले भारतीय न्याय व्यवस्था पर गहरा प्रभाव डालते हैं।
नोटबंदी से लेकर बुलडोजर कार्रवाई तक के अहम फैसले
न्यायमूर्ति गवई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण और विवादास्पद फैसले दिए हैं। इनमें 2016 के नोटबंदी फैसले को मंजूरी देना एक प्रमुख निर्णय था। पांच जजों की पीठ ने 4:1 के बहुमत से सरकार के नोटबंदी के फैसले को समर्थन दिया था। इसे काले धन और आतंकवादी फंडिंग पर अंकुश लगाने का एक कदम माना गया।
जस्टिस गवई की बेंच ने बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ भी महत्वपूर्ण आदेश दिए। 2024 में उन्होंने और जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा कि किसी व्यक्ति की संपत्ति को सिर्फ आरोप या दोषी ठहराए जाने के आधार पर ध्वस्त करना असंवैधानिक है। उन्होंने यह भी आदेश दिया कि कोई भी ऐसी कार्रवाई कानूनी प्रक्रिया के बिना नहीं की जा सकती, और यदि ऐसा होता है तो संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होंगे।
जस्टिस गवई के कुछ अन्य महत्वपूर्ण फैसले
- राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई: 2022 में जस्टिस गवई की बेंच ने 30 वर्षों से ज्यादा समय से जेल में बंद दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया। यह निर्णय तमिलनाडु सरकार की सिफारिश पर लिया गया था, जो राज्यपाल द्वारा अनदेखा किए जाने के बाद लिया गया।
- वणियार आरक्षण को असंवैधानिक घोषित करना: तमिलनाडु में वणियार समुदाय को विशेष आरक्षण देने के राज्य सरकार के निर्णय को जस्टिस गवई की बेंच ने असंवैधानिक करार दिया था, क्योंकि यह अन्य पिछड़े वर्गों के साथ भेदभावपूर्ण था।
- ईडी निदेशक के कार्यकाल का विस्तार: जुलाई 2023 में जस्टिस गवई की बेंच ने प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल विस्तार को अवैध करार दिया और उन्हें पद छोड़ने का आदेश दिया।
- मोदी सरनेम केस में राहत: जस्टिस गवई की बेंच ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मोदी सरनेम मामले में राहत दी थी। उन्हें दो साल की सजा के बाद लोकसभा से अयोग्य करार दिया गया था।
- सामाजिक कार्यकर्ताओं को राहत: जस्टिस गवई ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता शीतलवाड़ को जमानत दी, और दिल्ली शराब घोटाले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और बीआरएस नेता के कविता को भी जमानत दी।
भारत के दूसरे दलित सीजेआई
न्यायमूर्ति गवई भारत के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं। इससे पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन इस पद पर आसीन हुए थे। जस्टिस गवई की नियुक्ति भारतीय न्यायपालिका में समावेशी प्रतिनिधित्व को और मजबूत करती है।
न्यायमूर्ति गवई का भविष्य और चुनौती
अब जब न्यायमूर्ति गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद संभाल लिया है, तो उनके सामने कई महत्वपूर्ण और जटिल मामलों की सुनवाई है। उनका कार्यकाल छह महीने का है, लेकिन उनके द्वारा लिए गए फैसले भारतीय न्यायपालिका के भविष्य को आकार देने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता और संविधान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को देखते हुए, यह कहना गलत नहीं होगा कि वे न्यायपालिका को नए ऊंचाइयों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।