CJI Gavai Lawyer Attacks: भारत के सबसे बड़े और सबसे प्रतिष्ठित न्यायालय में सोमवार सुबह जो हुआ, उसने हर किसी को चौंका दिया। सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच में सुनवाई के दौरान अचानक एक वकील ने मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई (CJI) पर जूता फेंकने की कोशिश की। ये घटना इतनी तेजी से घटी कि किसी को समझ ही नहीं आया कि आखिर हुआ क्या।
इस हंगामे के बाद कोर्टरूम में कुछ देर के लिए सन्नाटा पसर गया। वहां मौजूद वकील, याचिकाकर्ता और मीडियाकर्मी भी हैरान रह गए। लेकिन इस पूरे मामले में CJI गवई की प्रतिक्रिया सबसे ज्यादा चर्चा में रही। उन्होंने बिना कोई गुस्सा जाहिर किए सिर्फ इतना कहा, “मैं परेशान नहीं हूं, आप लोग भी परेशान मत हों। इन बातों से मुझे फर्क नहीं पड़ता।” इसके बाद उन्होंने शांत भाव से सुनवाई फिर शुरू कर दी।
क्यों भड़का वकील? CJI Gavai Lawyer Attacks
जानकारी के मुताबिक, वकील की नाराजगी CJI गवई की एक पुरानी टिप्पणी को लेकर थी, जो उन्होंने 16 सितंबर को भगवान विष्णु की मूर्ति से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान दी थी। मामला मध्य प्रदेश के खजुराहो स्थित जवारी (वामन) मंदिर की 7 फीट ऊंची खंडित मूर्ति से जुड़ा था। कोर्ट में याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि उस मूर्ति को दोबारा स्थापित किया जाए, क्योंकि वह श्रद्धा और धार्मिक आस्था का विषय है।
इस पर CJI गवई ने टिप्पणी करते हुए कहा था, “तुम कहते हो भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हो, तो उनसे ही प्रार्थना करो, हमें क्यों कह रहे हो?” सोशल मीडिया पर ये बयान खूब वायरल हुआ था और कई लोगों ने इसे “सनातन धर्म का अपमान” करार दिया।
माना जा रहा है कि इसी टिप्पणी से नाराज होकर सोमवार को कोर्ट में मौजूद एक वकील ने जूता फेंकने की कोशिश की और चिल्लाते हुए बोला “सनातन का अपमान नहीं सहेंगे!”
कोर्ट की गरिमा पर सवाल, बढ़ाई गई सुरक्षा
इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं। आखिर इतनी सुरक्षित जगह पर कोई वकील कैसे ऐसी हरकत कर सकता है? हालांकि, सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत उस वकील को पकड़कर कोर्ट से बाहर निकाल दिया और हालात को काबू में लिया।
अब इस पूरे मामले की जांच दिल्ली पुलिस और कोर्ट की सिक्योरिटी यूनिट कर रही है। अधिकारी इस मामले को “न्यायपालिका की गरिमा पर हमला” मान रहे हैं और दोषी वकील पर सख्त कानूनी कार्रवाई की बात कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने की निंदा
इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी बयान जारी कर घटना की निंदा की है। उन्होंने कहा कि वकालत जैसे जिम्मेदार पेशे में ऐसे बर्ताव की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। न्याय के मंदिर में इस तरह का व्यवहार बेहद शर्मनाक है और इससे पूरे सिस्टम की साख पर असर पड़ता है।
मूर्ति मामले में कोर्ट का रुख
जहां तक भगवान विष्णु की मूर्ति से जुड़ी याचिका का सवाल है, सुप्रीम कोर्ट ने उसे यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि कोर्ट धार्मिक मामलों में सीमित भूमिका निभा सकता है। अदालत ने कहा था कि अगर श्रद्धालु पूजा करना चाहते हैं, तो वे किसी अन्य मंदिर में कर सकते हैं। कोर्ट मूर्तियों की बहाली जैसे मामलों में दखल नहीं दे सकता।
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