Delhi Air Pollution: दिल्ली में इन दिनों हवा इतनी जहरीली हो चुकी है कि सांस लेना भी सजा जैसा महसूस हो रहा है। कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 से ऊपर पहुंच गया है, जो बेहद खतरनाक स्तर माना जाता है। ऐसे प्रदूषित माहौल में रहना ऐसा है जैसे कोई हर दिन 20-25 सिगरेट पी रहा हो। लेकिन इसी दमघोंटू दिल्ली में एक ऐसा घर है, जहां की हवा न सिर्फ बिल्कुल साफ है बल्कि तापमान भी सामान्य से कहीं ज्यादा सुहावना रहता है।
साउथ दिल्ली के सैनिक फार्म्स में स्थित यह घर किसी चमत्कार से कम नहीं। यहां का AQI सिर्फ 10 से 15 के बीच रहता है, जबकि तापमान दिल्ली के बाकी हिस्सों की तुलना में लगभग 20 डिग्री कम होता है। जब पूरी दिल्ली में पारा 45 डिग्री सेल्सियस पर पहुंचता है, तब इस घर में तापमान 25 डिग्री से ज्यादा नहीं जाता।
पीटर सिंह और नीनो कौर का ‘ग्रीन रेवोल्यूशन’- Delhi Air Pollution
यह अनोखा घर बनाया है पीटर सिंह और उनकी पत्नी नीनो कौर ने। करीब 27 साल पहले नीनो को ब्लड कैंसर हुआ था। डॉक्टरों ने उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन देहरादून के एक वैद्य ने उन्हें ‘सात्विक जीवनशैली’ अपनाने की सलाह दी यानी पूरी तरह ऑर्गेनिक खाना और प्राकृतिक वातावरण। उसी पल से पीटर सिंह ने ठान लिया कि वे अपने घर को प्रदूषण और केमिकल से पूरी तरह मुक्त बनाएंगे।
500 गज में 15,000 पौधों का जंगल
पीटर सिंह का घर 500 गज के प्लॉट में बना है और इसे उन्होंने हरा-भरा स्वर्ग बना दिया है। घर के हर हिस्से में आंगन, दीवारों और छत तक 15,000 पौधे लगाए गए हैं। ये पौधे 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ते हैं और पूरे घर का माहौल प्राकृतिक बनाए रखते हैं।
घर में सिर्फ एक ही खिड़की है, जिससे नियंत्रित रूप से हवा का आवागमन होता है। इसी वजह से घर के अंदर का AQI हमेशा 5 से 15 के बीच बना रहता है। उन्होंने खुद एयर क्वालिटी मापने के लिए मॉनिटर भी लगाया है, जो उनके इस दावे की पुष्टि करता है।
ईंट, पत्थर और चूने से बना घर
इस घर में कहीं भी सीमेंट या केमिकल पेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया। दीवारें लाल ईंट और पत्थर से बनी हैं, जबकि पुताई के लिए केवल चूने का प्रयोग किया गया है। पीटर सिंह कहते हैं, “केमिकल वाले पेंट से जहरीली गैसें निकलती हैं, जो सेहत के लिए खतरनाक होती हैं। हमने अपने घर को पूरी तरह नेचर-फ्रेंडली रखा है, ताकि नीनो को किसी तरह का संक्रमण न हो।”
एक्वापोनिक्स तकनीक से बना ग्रीन हाउस
पीटर सिंह के घर की सबसे बड़ी खासियत है उनकी एक्वापोनिक्स तकनीक। इसमें बिना मिट्टी के पौधे उगाए जाते हैं और खाद के लिए मछलियों का पानी इस्तेमाल किया जाता है। मछलियों के मल से जो जैविक पोषक तत्व निकलते हैं, वही पौधों के लिए खाद का काम करते हैं।
इससे न सिर्फ पौधे तेजी से बढ़ते हैं बल्कि पूरी तरह ऑर्गेनिक भी रहते हैं। पीटर के घर में लगभग 50 किलो मछलियां हैं, जिनका इस्तेमाल इसी प्रक्रिया में होता है।
बिजली का बिल भी ‘जीरो’
इतना ही नहीं, पीटर सिंह ने अपने घर की छत पर सोलर पैनल भी लगाए हैं, जिससे उन्हें बिजली का कोई बिल नहीं देना पड़ता। वह बताते हैं कि उनका घर पूरी तरह से सेल्फ-सस्टेनेबल सिस्टम पर चलता है — न बिजली का खर्च, न पानी की बर्बादी और न ही किसी बाहरी प्रदूषण का असर।
खुद उगाते हैं सब्जियां, सालाना 7 लाख की कमाई
पीटर सिंह बाजार से सब्जियां नहीं खरीदते, क्योंकि उनका मानना है कि “बाजार की सब्जियों में केमिकल जहर है।”
वह अपने घर पर ही लौकी, करेला, टमाटर, मेथी, बैंगन, शिमला मिर्च और गोभी जैसी सब्जियां उगाते हैं। इन ऑर्गेनिक सब्जियों को वह खुद खाते हैं और कुछ को बेचकर हर महीने लगभग 30 हजार रुपये कमाते हैं।
सालभर में उनकी कमाई करीब 7 लाख रुपये तक पहुंच जाती है। उन्होंने बताया कि पूरे सेटअप को बनाने में उन्हें 6 लाख रुपये का खर्च आया था।
विदेशों तक पहुंची चर्चा
पीटर सिंह और नीनो कौर का यह इको-फ्रेंडली घर अब दुनिया के लिए प्रेरणा बन गया है। जर्मनी, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसी जगहों से लोग उनके घर को देखने और इस तकनीक को समझने आते हैं। विदेशी रिसर्च टीमों ने उनके इस घर को “सस्टेनेबल लिविंग का मॉडल” बताया है।