Delhi Blast: दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास सोमवार (10 नवंबर) शाम करीब 6:52 बजे एक जोरदार धमाका हुआ। धमाका ह्यूंडई i20 कार में हुआ, जो लाल किला के गेट नंबर-1 के पास रेड लाइट पर रुकी हुई थी। धमाके की चपेट में आसपास की गाड़ियां भी आ गईं, और कई गाड़ियों के शीशे टूटने के साथ-साथ आग भी लग गई। शुरुआती जांच में यह मामला सीएनजी सिलेंडर का ब्लास्ट बताने की कोशिश की गई, लेकिन फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स ने विस्फोट के ट्रेसेस में अमोनियम नाइट्रेट को जांचने की बात कही है।
यह घटना एक आत्मघाती हमला या बम धमाका हो सकता है, और जांच एजेंसियां बारीकी से इस पर काम कर रही हैं। अब सवाल यह उठता है कि बम धमाके कितने प्रकार के होते हैं, और इनका असर किस तरह से होता है? आईए जानते हैं।
प्लास्टिक एक्सप्लोजिव (C4, Semtex): Delhi Blast
यह एक प्रकार का सॉफ्ट, गूंथा हुआ बम होता है, जिसे आमतौर पर पेशेवर आतंकी उपयोग करते हैं। C4 और Semtex जैसे प्लास्टिक एक्सप्लोजिव में एक विशेष डेटोनेटर लगाया जाता है, जिससे यह फटता है। यह बम आटे की तरह नर्म और लचीला होता है। इसका इस्तेमाल बड़े हमलों के लिए किया जाता है। यदि लाल किला ब्लास्ट में प्लास्टिक एक्सप्लोजिव का इस्तेमाल हुआ होता, तो इसका कनेक्शन किसी विदेशी हैंडलर से हो सकता था।
RDX: सबसे ताकतवर और खतरनाक
RDX (Research Department Explosive) एक सफेद पाउडर होता है, जिसे दुनिया के सबसे ताकतवर बमों में गिना जाता है। इसका इस्तेमाल बड़े आतंकी हमलों में किया जाता है। RDX का 1 किलो वजन 10 किलो TNT के बराबर धमाका कर सकता है। यह आमतौर पर सेना से चोरी किया जाता है या पाकिस्तान से तस्करी करके लाया जाता है। 1993 के मुंबई बम धमाके, 2008 के दिल्ली सीरियल ब्लास्ट, और 2011 के दिल्ली हाई कोर्ट ब्लास्ट में RDX का ही इस्तेमाल हुआ था। हालांकि, लाल किला ब्लास्ट में अभी तक RDX का कोई ट्रेस नहीं मिला है।
IED (Improvised Explosive Device): सबसे आम और खतरनाक
IED, यानी इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस, एक ऐसा बम है जिसे आतंकी खुद तैयार करते हैं। इसे बनाने में घर के सामान जैसे प्रेशर कुकर, पाइप, बैग या गाड़ी का उपयोग किया जाता है। इसमें आम तौर पर अमोनियम नाइट्रेट, शुगर, और पोटैशियम क्लोरेट जैसी सामग्री का इस्तेमाल होता है। इसे मोबाइल ट्रिगर, टाइमर या रिमोट से ब्लास्ट किया जाता है। लाल किला ब्लास्ट में IED के होने का शक जताया जा रहा है, क्योंकि विस्फोट में कोई पेशेवर हथियार नहीं मिला है। फरीदाबाद में हाल ही में पकड़े गए 2900 किलो अमोनियम नाइट्रेट केमिकल से IED बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
स्टिकी बम
स्टिकी बम एक छोटा बम होता है, जिसे मैग्नेट के जरिए किसी गाड़ी के नीचे चिपका दिया जाता है। इसे रिमोट से ब्लास्ट किया जाता है। यह बम आमतौर पर कश्मीर जैसे इलाकों में इस्तेमाल होते हैं, और लाल किला ब्लास्ट में इसका भी शक जताया जा रहा है। चूंकि धमाका कार के पिछले हिस्से से हुआ, इसलिए यह संभावना जताई जा रही है कि इसमें स्टिकी बम का इस्तेमाल हो सकता है।
कार बम (VBIED)
इसमें पूरी गाड़ी को विस्फोटक से भरा जाता है और कार में 50 से 500 किलो तक विस्फोटक रखा जाता है। लाल किला ब्लास्ट को इसी कैटेगरी में रखा जा सकता है, क्योंकि विस्फोट से पहले कार धीमी गति से रुकी थी और धमाका हुआ था। यह एक सुसाइड अटैक या रिमोट अटैक भी हो सकता है, जिसमें आत्मघाती हमलावर भी हो सकता है।
जिलेटिन स्टिक
जिलेटिन स्टिक माइनिंग में इस्तेमाल होती है और यह काफी छोटी होती है। इनका असर भले ही छोटा होता है, लेकिन यह भीड़-भाड़ वाले इलाके में घातक साबित हो सकता है। 2003 के मुंबई टैक्सी ब्लास्ट में जिलेटिन और अमोनियम नाइट्रेट का मिश्रण इस्तेमाल हुआ था। लेकिन, लाल किला ब्लास्ट में आग ज्यादा फैली और स्प्लिंटर (छर्रे) कम थे, इसलिए जिलेटिन के इस्तेमाल की संभावना कम बताई जा रही है।
अन्य बम: सुसाइड बम, लेटर बम और पाइप बम
सुसाइड बम में हमलावर खुद को बम के साथ ब्लास्ट कर देता है। लेकिन, लाल किला ब्लास्ट में ऐसी कोई संभावना नहीं दिख रही है। इसी तरह, लेटर बम और पाइप बम जैसे छोटे बम भी होते हैं, जिनका इस्तेमाल आतंकवादी अपनी योजना के तहत करते हैं।
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