Delhi Blast mastermind: दिल्ली में हुए घातक कार धमाके की गुत्थी अब धीरे-धीरे सुलझती नजर आ रही है। जांच एजेंसियों के हाथ एक ऐसे शख्स का सुराग लगा है, जिसने न सिर्फ इस साजिश की नींव रखी बल्कि अपने धार्मिक प्रभाव और चालाकी से डॉक्टरों जैसे पढ़े-लिखे युवाओं को आतंक की अंधेरी राह पर धकेल दिया। उसका नाम है मौलवी इरफान अहमद, जो कश्मीर के शोपियां का रहने वाला है।
सूत्रों के मुताबिक, मौलवी इरफान ही दिल्ली धमाके और फरीदाबाद में पकड़े गए आतंकी मॉड्यूल का असली मास्टरमाइंड है। बताया जा रहा है कि उसने श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में पैरामेडिकल स्टाफ के तौर पर काम करते हुए कई मेडिकल छात्रों का ब्रेनवॉश किया और उन्हें ‘जिहाद’ के नाम पर हथियार उठाने के लिए उकसाया।
कैसे खुला पूरा राज- Delhi Blast mastermind
इस पूरे मॉड्यूल की पोल उस वक्त खुलनी शुरू हुई जब 16 अक्टूबर को श्रीनगर में जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े पोस्टर लगाए गए। सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हुईं और पोस्टर लगाने वाले कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया। पूछताछ में नाम सामने आया — मौलवी इरफान अहमद का। वहीं से कड़ियां जुड़ती चली गईं और एजेंसियों को समझ आया कि यह कोई छोटी साजिश नहीं, बल्कि एक बड़े आतंकी नेटवर्क का हिस्सा है।
इरफान ने अपने दो शागिर्दों डॉ. आदिल अहमद (अनंतनाग) और डॉ. उमर (पुलवामा) को इस नेटवर्क से जोड़ा। आदिल की गिरफ्तारी के बाद उसके बैंक लॉकर से AK-47 राइफल बरामद हुई। इसके बाद मामला और गंभीर हो गया। आदिल ने पूछताछ में बताया कि डॉ. मुजम्मिल और डॉ. शाहीन भी इस जिहादी मॉड्यूल में शामिल हैं और फरीदाबाद के ठिकानों पर विस्फोटक छिपाए गए हैं।
इरफान था ‘ब्रेन’ – डॉक्टर बने ‘एक्ज़ीक्यूटर’
जांच में सामने आया है कि इरफान का सीधा संबंध जैश-ए-मोहम्मद से था। वह अपने छात्रों को कट्टरपंथी वीडियो दिखाकर बरगलाता था और VOIP कॉल्स के ज़रिए अफगानिस्तान में बैठे आतंकी आकाओं से संपर्क रखता था। उसके इशारों पर ही डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल ने पूरे नेटवर्क को दिल्ली-एनसीआर तक फैला दिया।
खुफिया सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली धमाके से ठीक पहले, जब फरीदाबाद मॉड्यूल के कुछ सदस्य पकड़े गए, तो डर के मारे डॉ. उमर ने घबराहट में धमाका कर दिया, ताकि साजिश का असली चेहरा सामने न आ सके।
अल फलाह यूनिवर्सिटी भी सवालों के घेरे में
इस पूरी साजिश का एक और चौंकाने वाला पहलू है कि अल फलाह यूनिवर्सिटी। यही वह जगह है जहां इन डॉक्टरों के बीच नेटवर्क और गहरा हुआ। जांच एजेंसियों के मुताबिक, डॉ. मुजम्मिल, डॉ. उमर नबी, और डॉ. शाहीन सईद तीनों का कनेक्शन इसी यूनिवर्सिटी से है।
डॉ. शाहीन को इस आतंकी मॉड्यूल की फाइनेंसर बताया जा रहा है। वहीं, एक और डॉक्टर नासिर, जिसे पहले कश्मीर में जिहादी गतिविधियों के चलते बर्खास्त किया गया था, उसे भी अल फलाह यूनिवर्सिटी में नौकरी मिल गई। यही नहीं, डॉ. उमर को भी श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से अनुशासनहीनता के कारण निकाला गया था, लेकिन बाद में उसे भी अल फलाह में जगह मिल गई।
जांच अब पहुंची अहम मोड़ पर
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, एजेंसियों को यकीन है कि मौलवी इरफान अहमद ने दिल्ली धमाके की पूरी योजना बनाई थी और डॉक्टरों को इसमें मोहरा बनाया गया। अब इरफान की तलाश में जम्मू-कश्मीर से लेकर दिल्ली तक छापेमारी चल रही है।
