Delhi Car Blast News: दिल्ली में हाल ही में हुए कार धमाके के पहले फरीदाबाद से बड़ी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट बरामद होने की खबर ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। यह केमिकल सामान्य रूप से खाद के रूप में इस्तेमाल होता है, लेकिन इसकी विस्फोटक क्षमता इसे खतरनाक बनाती है। सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी मात्रा में यह कैसे स्टोर की गई थी और क्या इसका गलत इस्तेमाल हो सकता है।
अमोनियम नाइट्रेट: क्या है यह केमिकल? (Delhi Car Blast News)
अमोनियम नाइट्रेट एक तरह का सफेद क्रिस्टलीय पदार्थ है, जो आम नमक की तरह दिखता है। इसका रासायनिक सूत्र NH4NO3 है। यह प्राकृतिक रूप से नहीं मिलता और लैब में बनाया जाता है। आमतौर पर इसका इस्तेमाल कृषि में खाद के रूप में होता है, क्योंकि इसमें नाइट्रोजन मौजूद होता है जो फ़सलों की पैदावार बढ़ाता है।
इसके पानी में आसानी से घुल जाने वाले गुण के कारण इसे खेतों में घोल बनाकर आसानी से डाला जा सकता है। लेकिन इसकी एक और खासियत यह है कि यह नाइट्रोजन के साथ-साथ ऑक्सीजन भी छोड़ता है। ऑक्सीजन किसी भी विस्फोट या आग के लिए जरूरी होती है, इसलिए इसे सावधानी से संभालना जरूरी है।
खुद में शांत, लेकिन खतरे की संकेतक
अमोनियम नाइट्रेट अपने आप में विस्फोटक नहीं है। यह तब तक शांत रहता है जब तक इसमें कोई विस्फोटक मिलाया न जाए। अगर इसमें डीज़ल, पेट्रोल या केरोसिन जैसे ईंधन मिलाया जाए तो यह ANFO (अमोनियम नाइट्रेट फ़्यूल ऑयल) बन जाता है। ANFO बहुत शक्तिशाली विस्फोटक है और खदानों में खुदाई के काम में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
सख्त नियम और लाइसेंस की आवश्यकता
खाद होने के बावजूद, अमोनियम नाइट्रेट के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए कड़े नियम हैं। भारत में 2012 में कानून बनाया गया कि 45% से अधिक अमोनियम नाइट्रेट वाले पदार्थों को कानूनी तौर पर विस्फोटक माना जाएगा। इसे बनाने, बेचने या स्टोर करने के लिए लाइसेंस आवश्यक है। किसी भी बिक्री का रिकॉर्ड रखना और यह देखना कि इसे कहां इस्तेमाल किया गया, कानून के तहत अनिवार्य है।
भारत में पहले भी सामने आया खतरा
इससे पहले उत्तर प्रदेश में नवंबर 2007 में धमाके हुए थे, जिनमें इस केमिकल का नाम सामने आया। जयपुर, बेंगलुरु, अहमदाबाद और दिल्ली के धमाकों में भी इसके इस्तेमाल की आशंका जताई गई थी। कानून बनने के बावजूद, बड़ी मात्रा में इसका पकड़ा जाना यह दिखाता है कि सिस्टम में कहीं न कहीं लीकेज है।
सिस्टम में लीकेज और सुरक्षा का सवाल
अमोनियम नाइट्रेट को डीज़ल या अन्य ईंधन के साथ मिलाकर बनाये गए ANFO का इस्तेमाल आतंकियों ने कई बार किया है। अमेरिका में 1995 में ओक्लाहोमा सिटी बम धमाके में लगभग 2,500 किलो ANFO से एक पूरी सरकारी बिल्डिंग उड़ा दी गई थी, जिसमें 168 लोगों की मौत हुई और आसपास की कई इमारतें क्षतिग्रस्त हुईं।
1970 में विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी में भी 1,000 किलो ANFO से बड़े विस्फोट हुए थे। भारत में 2012 में पुणे के जंगली महाराज रोड पर हुए विस्फोटों में भी ANFO मिलने की बात सामने आई थी। मुंबई के ऑपेरा हाउस, ज़ावेरी बाज़ार और दादर धमाकों में भी इसके इस्तेमाल की संभावना थी।
वैश्विक घटनाओं से सीख
2020 में बेरूत में बंदरगाह पर 2,750 टन अमोनियम नाइट्रेट रखे हुए थे। पास में आग लगने के कारण विस्फोट हुआ और पूरे बंदरगाह में तबाही मच गई। 7 किलोमीटर तक इमारतें हिलीं, 218 लोग मारे गए और 7,000 से अधिक घायल हुए। यह घटना दिखाती है कि यह साधारण दिखने वाला केमिकल भी अगर विस्फोटक से मिले तो कितना विनाशक हो सकता है।
