Dharali cloudburst: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित धराली गांव में मंगलवार दोपहर 1:45 बजे के करीब ऐसा मंज़र देखने को मिला, जिसने हर किसी के रोंगटे खड़े कर दिए। महज कुछ सेकेंडों में गांव तबाही की चपेट में आ गया। ऊपर पहाड़ियों से अचानक बादल फटा और उसके बाद जो हुआ, वह किसी डरावनी फिल्म से कम नहीं था। खीर गंगा नदी देखते ही देखते उफान पर आ गई और भारी मलबा लेकर सीधे गांव की ओर आ गिरा। इस हादसे में अब तक 4 लोगों की जान जा चुकी है, वहीं 100 से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं।
बुधवार सुबह तक बचाव टीमें रेस्क्यू-सर्च ऑपरेशन में जुटी रहीं। एक और शव बरामद किया गया है, जिसकी पहचान अभी की जा रही है। फिलहाल यह साफ नहीं है कि यह शव किसका है, लेकिन मौत का आंकड़ा और बढ़ने की आशंका बनी हुई है।
34 सेकेंड में तबाही, गांव मलबे में तब्दील- Dharali cloudburst
स्थानीय लोगों के मुताबिक, मंगलवार दोपहर करीब 2 बजे गांव के ऊपर अचानक काले बादल घिरे और कुछ ही सेकेंडों में जोरदार बारिश और मलबा आने लगा। खीर गंगा नदी का पानी उफन पड़ा और साथ ही पहाड़ से भारी मात्रा में मलबा नीचे आया। इस सबमें सिर्फ 20 से 34 सेकेंड लगे, और इतने में ही गांव के बाजार, घर, होटल, रिसॉर्ट, दुकानें और यहां तक कि सेब के बागान भी मलबे में दब गए।
लोगों को भागने तक का मौका नहीं मिला। चीख-पुकार चारों ओर सुनाई दे रही थी। जो जहां था, वहीं से निकलने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मलबे की रफ्तार इतनी तेज़ थी कि बहुत से लोग दब गए या बह गए।
सेना के 11 जवान लापता, 130 लोग गांव में फंसे
इस आपदा के वक्त धराली गांव के पास सेना का एक कैंप भी था, जिसमें कुछ जवान तैनात थे। घटना के बाद से सेना के 11 जवान लापता बताए जा रहे हैं। सेना, NDRF, SDRF और जिला प्रशासन की टीमों ने एक संयुक्त अभियान शुरू किया है ताकि इन जवानों का पता लगाया जा सके।
वहीं, गांव में करीब 130 लोग अब भी फंसे हुए हैं। इन लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने का काम तेजी से चल रहा है। कई जगहों पर रास्ते टूट गए हैं, जिससे राहत कार्य में दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन टीमें लगातार जुटी हैं।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया
बुधवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात की और घटना की जानकारी ली। इसके बाद सीएम धामी ने धराली और आसपास के इलाकों का हवाई सर्वेक्षण (एरियल सर्वे) किया और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठकर रेस्क्यू ऑपरेशन की समीक्षा की और राहत कार्य तेज़ करने के निर्देश दिए।
कल्प केदार मंदिर भी मलबे में दबा
आपको बता दें, इस आपदा में धराली गांव का प्राचीन कल्प केदार शिव मंदिर भी मलबे में दब गया। यह मंदिर 1500 साल पुराना बताया जाता है और पंच केदार परंपरा से जुड़ा है। स्थानीय लोगों की आस्था का ये सबसे बड़ा केंद्र था। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, मंदिर में रोज़ पूजा होती थी। फिलहाल यह साफ नहीं है कि घटना के वक्त वहां पुजारी मौजूद थे या नहीं। SDRF की टीम वहां भी तलाशी अभियान चला रही है।
ये पांच सवाल अभी भी बने हुए हैं
- जो होटल बहे, क्या वहां लोग थे?
कई होटल मलबे में समा गए, लेकिन यह अभी साफ नहीं है कि अंदर कोई फंसा था या नहीं। रेस्क्यू टीम होटल्स के मलबे को हटाकर तलाशी कर रही है। - दुकानों में कोई मौजूद था?
जब सैलाब आया, उस वक्त बाजार की कई दुकानें खुली थीं। कुछ दुकानदार और ग्राहक अंदर ही मौजूद थे। इनमें से कई लोग लापता हैं। - सेना के जवानों का क्या हुआ?
हर्षिल क्षेत्र में तैनात सेना के 11 जवानों से संपर्क टूट गया है। उनकी तलाश में सेना, NDRF और SDRF की टीमें जुटी हैं। - कल्प केदार मंदिर में पुजारी थे?
मंदिर पूरी तरह मलबे में दब गया है। यह पता नहीं चल पाया है कि हादसे के समय वहां कोई मौजूद था या नहीं। - जो घर टूटे, क्या वहां लोग थे?
कई घर पूरी तरह ध्वस्त हो गए हैं। अब तक 130 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, लेकिन 70 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं।
धराली गांव: बार-बार आपदाओं की चपेट में
बता दें, धराली गांव का इतिहास भी कुछ कम दर्दनाक नहीं रहा है। यहां 1864, 2013 और 2014 में भी बादल फटने की घटनाएं हो चुकी हैं। हर बार तबाही का कारण खीर गंगा नदी ही रही है। भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. एस.पी. सती बताते हैं कि धराली ट्रांस हिमालय की मेन सेंट्रल थ्रस्ट लाइन पर बसा है, जो भूकंप और भू-स्खलन के लिहाज से बेहद संवेदनशील है।
करीब छह महीने पहले पहाड़ का एक हिस्सा टूटकर खीर नदी में गिरा था, लेकिन वह मलबा वहीं अटक गया था। अब आशंका जताई जा रही है कि वही मलबा इस बार टूटा और गांव की ओर बह गया।