Dhirendra Shastri Controversy: बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री, जो अक्सर धार्मिक संदेश और हिंदू समाज पर अपने विचारों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं, हाल ही में दो अलग-अलग बयानों के कारण विवाद में हैं। TV9 भारतवर्ष को दिए इंटरव्यू में उन्होंने जोर देकर कहा कि उनका मिशन “सोए हुए हिंदुओं को जगाना” है। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि हिंदू समाज जाति, क्षेत्र, भाषा और वर्ग के नाम पर बंट चुका है। उन्होंने ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, गुर्जर, जाट और शर्मा आदि का जिक्र करते हुए सवाल उठाया कि अगर हिंदू सच में एकजुट होते तो देश हिंदू राष्ट्र बन जाता और विभिन्न घटनाओं जैसे कन्हैयालाल की हत्या, पालघर में संतों की मौत और बांग्लादेशी हिंदुओं की दुर्दशा नहीं होती।
उन्होंने यह भी उदाहरण दिया कि इजरायल अपने यहूदियों को सुरक्षित रखने के लिए दुनिया भर से लाता है, लेकिन भारत में रहने वाले हिंदुओं को उनके अधिकार नहीं मिल रहे। इस इंटरव्यू में उनका पूरा फोकस हिंदुओं को एक पहचान में जोड़ने और उनकी अस्मिता बचाने पर था।
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पॉडकास्ट में जाति पर उल्टा बयान- Dhirendra Shastri Controversy
लेकिन कुछ ही समय बाद एक पॉडकास्ट में शुभांकर मिश्रा के सवाल पर धीरेंद्र शास्त्री ने जाति को लेकर एकदम अलग रुख अपनाया। जब मिश्रा ने पूछा कि क्या जात-पात खत्म होने पर ही हिंदू समाज में असली एकता संभव है, और क्या अंतरजातीय विवाह इसके लिए एक समाधान हो सकता है। इस पर पंडित शास्त्री ने स्पष्ट कहा कि वे जाति खत्म करने के पक्ष में नहीं हैं। उनका कहना था कि यह देश की सामाजिक व्यवस्था और आरक्षण प्रणाली के कारण असंभव है और ऐसा करने से गृहयुद्ध जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि जातियों के बीच घृणा को खत्म करना जरूरी है, न कि पूरी जाति व्यवस्था को हटाना।
हिपोक्रेसी की भी एक सीमा होती है 😂
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दोहरे संदेश ने खड़ा किया विवाद
TV9 वाले बयान में शास्त्री हिंदुओं को जाति से ऊपर उठने और एकजुट होने की अपील कर रहे थे। वहीं, पॉडकास्ट में वे जाति संरचना को बनाए रखने और केवल घृणा कम करने की बात कर रहे हैं। इस दोहरे संदेश ने सोशल मीडिया और राजनीतिक मंचों पर सवाल खड़े कर दिए हैं:
- क्या धीरेंद्र शास्त्री अपने संदेश परिस्थिति के अनुसार बदलते हैं?
- क्या यह हिंदू एकता के लिए वास्तविक प्रयास है या केवल राजनीतिक और सामाजिक संतुलन बनाए रखने की रणनीति?
असली मंशा अभी विवादित
धीरेंद्र शास्त्री के दोहरे बयानों ने यह स्पष्ट किया कि जाति और हिंदू एकता के मुद्दे पर उनकी स्थिति विवादित है। हालांकि वे हिंदुओं को जागरूक करने की बात करते हैं, लेकिन यह सवाल खुला है कि क्या वे सच में हिंदू समाज की एकता चाहते हैं या अलग-अलग अवसरों पर अपनी विचारधारा के अनुसार संदेश बदलते हैं।
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