Dhruv Rathi Viral Video: मशहूर यूट्यूबर ध्रुव राठी द्वारा हाल ही में अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया एक वीडियो ‘द सिख वॉरियर’ विवादों में घिर गया है। इस वीडियो में ध्रुव राठी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से सिख गुरुओं और शहीद योद्धाओं की कहानी दिखाई थी, जिसमें बंदा सिंह बहादुर को ‘रॉबिन हुड’ की उपमा दी गई। वीडियो के इस पहलू ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) समेत सिख समुदाय और राजनीतिक दलों की नाराजगी को जन्म दिया।
वीडियो में दिखाए गए विवादित पहलू– Dhruv Rathi Viral Video
ध्रुव राठी ने वीडियो में बंदा सिंह बहादुर की कहानी को नए अंदाज में पेश किया, जिसमें उन्होंने एआई तकनीक का इस्तेमाल कर सिख गुरुओं, शहीद योद्धाओं और उनके परिवार के सदस्यों का चित्रण किया। वीडियो में बंदा सिंह बहादुर को ‘रॉबिन हुड’ के रूप में बताया गया, जिससे एसजीपीसी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। एसजीपीसी के सदस्य गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने कहा कि यह वीडियो सिख इतिहास को गलत तरीके से प्रस्तुत करता है और गुरु तेग बहादुर जी व बाबा बंदा सिंह बहादुर के सम्मान की अवहेलना करता है।
🚨: Dhruv Rathee Faces Outrage Over AI Depiction of Sikh Gurus; FIR Demanded by Delhi CM and Sikh Bodies
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Prominent YouTuber Dhruv Rathee is facing severe backlash after uploading a controversial video titled “The Sikh Warrior Who Terrified the Mughals | Legend of… pic.twitter.com/lk2npS9EW8
— truth. (@thetruthin) May 19, 2025
ग्रेवाल ने सरकार से ध्रुव राठी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने कहा कि वीडियो में यह भी गलत दावा किया गया कि बाबा बंदा सिंह बहादुर कभी सिख नहीं थे, जो इतिहास के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सिख समुदाय को इसके खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए और इसका प्रभावी जवाब देना चाहिए।
राजनीतिक दलों का विरोध और कार्रवाई की मांग
एसजीपीसी के अलावा भाजपा के वरिष्ठ नेता मनजिंदर सिरसा ने भी वीडियो को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि इस वीडियो ने सिख समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को इस पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने राठी के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने की धारा 295 के तहत मामला दर्ज करने की बात कही।
I condemn Dhruv Rathee’s recent video on “The Sikh Warrior Who Terrified the Mughals” that is not only factually flawed but blatantly disrespectful to Sikh history and sentiments. Showing Sri Guru Gobind Singh Ji, the embodiment of courage and divinity, crying as a child is an… https://t.co/Hf4aiB6pNC pic.twitter.com/e9p5Sd75N8
— Manjinder Singh Sirsa (@mssirsa) May 19, 2025
अकाली दल के युवा नेता सरबजीत सिंह ने भी वीडियो की निंदा की और इसे सोशल मीडिया पर साझा करते हुए सवाल उठाए। भाजपा प्रवक्ता प्रितपाल सिंह बलिएवाल ने भी आरोप लगाया कि ध्रुव राठी कांग्रेस से जुड़े हैं और इस मामले में सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने यूट्यूबर के अकाउंट पर प्रतिबंध लगाने और वीडियो हटाने की मांग भी की।
विवाद बढ़ने पर वीडियो हटाना पड़ा
विवाद के बाद, ध्रुव राठी ने कुछ देर में ही अपने विवादित वीडियो को यूट्यूब से हटा दिया। वीडियो हटाने के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि उन्होंने यह निर्णय दर्शकों की प्रतिक्रिया के मद्देनजर लिया है। राठी ने बताया कि कई लोगों को वीडियो पसंद भी आया, लेकिन कुछ दर्शकों का मानना था कि सिख गुरुओं का एनिमेटेड चित्रण उनके धार्मिक विश्वासों के खिलाफ है।
ध्रुव ने कहा, “मैं नहीं चाहता कि यह कोई राजनीतिक या धार्मिक विवाद बने। यह वीडियो केवल हमारे भारतीय नायकों की कहानियों को एक नए शैक्षिक रूप में पेश करने का प्रयास था। भविष्य में मैं इतिहास की अन्य कहानियों को नए तरीके से पेश करने पर विचार करूंगा और देखूंगा कि क्या इस कहानी को बेहतर तरीके से दोबारा बताया जा सकता है।”
ध्रुव राठी का वीडियो बनाने का मकसद
विडिओ डिलीट करने से पहले ध्रुव राठी ने अपनी एक पोस्ट में कहा कि इस वीडियो को बनाने में काफी मेहनत लगी है और एआई की मदद से यह संभव हुआ कि बिना किसी फोटो के सिख गुरुओं और योद्धाओं की कहानी को एनिमेशन के जरिए प्रस्तुत किया जा सके। उन्होंने दर्शकों से सुझाव मांगे कि क्या उन्हें वीडियो हटाना चाहिए या इसे ऐसे ही रखना चाहिए, या फिर कुछ हिस्सों को ब्लर कर देना चाहिए।
मामला क्यों महत्वपूर्ण है?
यह विवाद डिजिटल युग में इतिहास और सांस्कृतिक विरासत की संवेदनशीलता को उजागर करता है। खासकर जब किसी समुदाय के धार्मिक और ऐतिहासिक व्यक्तित्वों को प्रस्तुत किया जाता है, तो उसमें सम्मान और सही संदर्भ बनाए रखना अनिवार्य हो जाता है।
एसजीपीसी और अन्य राजनीतिक दल इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं ताकि इतिहास का सही चित्रण हो और किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचे। वहीं, इस मामले ने डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स के लिए भी चेतावनी दी है कि वे इतिहास और धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए सामग्री बनाएं।
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