Dr Ramvilas Das Vedanti: राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेता और अयोध्या से पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती का सोमवार सुबह मध्य प्रदेश के रीवा में निधन हो गया। वे 75 वर्ष के थे। जानकारी के अनुसार, वे 10 दिसंबर को दिल्ली से रीवा पहुंचे थे, जहां उनकी रामकथा चल रही थी। इसी दौरान बुधवार को उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई और उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। चिकित्सकों ने लगातार इलाज किया, लेकिन वेदांती का निधन इलाज के दौरान हो गया। उनके निधन की खबर से अयोध्या, संत समाज और राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
राम मंदिर आंदोलन में डॉ. वेदांती का योगदान (Dr Ramvilas Das Vedanti)
डॉ. रामविलास दास वेदांती राम जन्मभूमि आंदोलन के अग्रणी चेहरों में गिने जाते थे। उन्होंने इस आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अयोध्या से सांसद रहते हुए उन्होंने संसद से लेकर सड़कों तक राम मंदिर निर्माण की आवाज़ बुलंद की। उनके योगदान को संत समाज और राम भक्तों ने अपूरणीय माना।
डॉ. वेदांती ने 1983-84 में गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ और महंत परमहंस रामचंद्र दास के साथ मिलकर आंदोलन को आगे बढ़ाया। 1990 के दशक में राम मंदिर आंदोलन के चरम समय में वे हमेशा प्रमुख नेताओं में शामिल रहे। 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचे के ध्वंस के समय भी उनका नाम चर्चा में रहा, हालांकि बाद में सीबीआई अदालत ने मामले को निरस्त कर दिया।
राजनीतिक जीवन और संसद में योगदान
डॉ. वेदांती 1996-98 तक मछली शहर, जौनपुर से सांसद रहे और 1998-99 में प्रतापगढ़ से फिर निर्वाचित हुए। इसके बाद 2004 में अमेठी से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी से हार गए। अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने हमेशा राम जन्मभूमि और हिंदुत्व की विचारधारा को आगे रखा।
स्वास्थ्य और अंतिम समय
मध्य प्रदेश के रीवा जनपद में वे 13 दिसंबर को ब्लड प्रेशर की शिकायत के बाद संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में भर्ती हुए। इलाज के दौरान उनकी हालत गंभीर बनी रही, और चिकित्सकों के तमाम प्रयासों के बावजूद वेदांती का निधन हो गया।
संत समाज और नेताओं ने जताया शोक
डॉ. वेदांती के निधन पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट किया, “श्री राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख स्तंभ, पूर्व सांसद एवं अयोध्या धाम के पूज्य संत डॉ. रामविलास दास वेदांती जी का गोलोकगमन आध्यात्मिक जगत और सनातन संस्कृति के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।”
इसके अलावा, यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, बृजेश पाठक और कई बड़े नेता भी उनके निधन पर शोक व्यक्त कर चुके हैं। अयोध्या में उनके निवास के बाहर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है, और पुलिस-प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था में जुटा है।
अनुयायियों और समर्थकों की प्रतिक्रिया
डॉ. वेदांती के अनुयायी और राम भक्त उनके निधन पर गहरे दुख में हैं। उन्होंने उन्हें निर्भीक नेता, प्रखर वक्ता और समर्पित रामभक्त के रूप में याद किया। उनके उत्तराधिकारियों की ओर से पार्थिव शरीर को जल्द ही अयोध्या लाकर अंतिम दर्शन और श्रद्धांजलि की व्यवस्था की जाएगी। अंतिम संस्कार अयोध्या में ही संपन्न होने की संभावना है।
प्रारंभिक जीवन और अयोध्या में सेवा
डॉ. रामविलास दास वेदांती मूल रूप से मध्य प्रदेश के गुड़वा के रहने वाले थे। मात्र दो साल की उम्र में उनकी माता का देहांत हो गया और 12 साल की उम्र में वे अयोध्या में बाबा अभिराम दास के शिष्य बने। इसके बाद उनका जीवन पूरी तरह से भगवान की सेवा में समर्पित हो गया। उनका जीवन राम मंदिर निर्माण के संकल्प और हिंदुत्व के प्रचार-प्रसार को समर्पित रहा।
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