DRDO Developed Agni-5: भारत की रक्षा ताकत को नई ऊंचाइयों पर ले जाते हुए, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) अग्नि-5 मिसाइल के एक उन्नत संस्करण पर काम कर रहा है। यह संस्करण खासतौर पर बंकरों को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है, और इसे ‘बंकर बस्टर’ मिसाइल कहा जा रहा है। इस मिसाइल का मुख्य उद्देश्य दुश्मन के गहरे बंकरों, मिसाइल साइलो और कमांड सेंटर को नष्ट करना है, जो खासकर पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के पास मौजूद हैं। यह मिसाइल अमेरिका के GBU-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) से प्रेरित है, जो बड़ी गहरी संरचनाओं को भेदने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, भारत इस काम के लिए मिसाइल-आधारित डिलीवरी सिस्टम पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जबकि अमेरिका B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स पर निर्भर है।
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अग्नि-5 का नया संस्करण: क्या खास है? (DRDO Developed Agni-5)
अग्नि-5 मिसाइल का मूल संस्करण पहले ही 5,000 किमी से अधिक की रेंज में परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता रखता है। लेकिन इस नए संस्करण में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। सबसे खास बात यह है कि अब यह मिसाइल 2,500 किमी तक पारंपरिक बंकर बस्टर वॉरहेड को लेकर हमला कर सकेगी। इसके अलावा, अग्नि-5 हाइपरसोनिक गति (मैक 8-20) से लैस होगी, जिससे यह बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम को भी चकमा देने में सक्षम होगी।
अग्नि-5 का ‘बंकर बस्टर’ अवतार, 7500 kg वॉरहेड से जमीन के 100 mtr नीचे तक मचा देगा तबाही. नंबर 1 अमेरिका की क्षमता भी केवल 60 mtr तक ही है🫵
DRDO का चमत्कार 🫵 #AtmanirbharBharat #MakeInIndia
Source: News18 Hindi
https://t.co/VmuzVLxamv— Rana Hu Main (@arya_raushni) July 24, 2025
DRDO ने इस मिसाइल के दो संस्करण विकसित किए हैं। पहला संस्करण सतह पर बड़े क्षेत्रों को नष्ट करने के लिए एयरबर्स्ट वॉरहेड के साथ होगा, जबकि दूसरा संस्करण गहरे बंकरों, मिसाइल साइलो और कमांड सेंटर जैसे ठिकानों को निशाना बनाने के लिए खास तौर पर डिजाइन किया गया है। यह मिसाइल भारत की सामरिक रणनीति को और भी मजबूत करेगी, खासकर पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के खिलाफ जिनके पास अंडरग्राउंड ठिकाने हैं।
भारत का जवाब: क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए अग्नि-5 का महत्व
भारत की यह मिसाइल विकास परियोजना क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का जवाब देने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान के किराना हिल्स और चीन के होतान जैसे क्षेत्रों में गहरे बंकर और न्यूक्लियर साइट्स बनी हुई हैं, जिन्हें नष्ट करने की क्षमता भारत को अपने रक्षा क्षेत्र में नई शक्ति देगी। अगर हम पिछले उदाहरणों की बात करें, जैसे ऑपरेशन सिंदूर, जिसमें ब्रह्मोस और SCALP मिसाइलों का इस्तेमाल हुआ था, तो हम देख सकते हैं कि भारत पहले ही सटीक हमलों में माहिर है। अब अग्नि-5 का बंकर बस्टर संस्करण इसे और भी ज्यादा घातक बनाएगा।
GBU-57 का कम लागत वाला विकल्प
जहां अमेरिका का GBU-57 मिसाइल 13,600 किलो वजन का होता है और 60 मीटर तक गहरे बंकरों को भेद सकता है, वहीं भारत का यह नया मिसाइल संस्करण लागत-प्रभावी होगा। भारत ने अपनी स्वदेशी तकनीक और हाइपरसोनिक गति का इस्तेमाल करते हुए एक सस्ता और प्रभावी विकल्प तैयार किया है। हालांकि, 7,500 किलोग्राम के विशाल वॉरहेड के कारण रेंज में कमी और सटीकता को सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि इससे सटीकता (CEP<5 मीटर) की प्राप्ति में कठिनाई हो सकती है। फिर भी, यह मिसाइल भारत को अमेरिका और चीन जैसे देशों के समकक्ष लाने में मदद करेगी और आत्मनिर्भर भारत की रक्षा क्षमताओं को भी उजागर करेगी।