Dryfruits Scam in Madhya pradesh: मध्य प्रदेश में गंगा संवर्धन अभियान के नाम पर ट्रेनिंग देने के नाम पर वहां के अधिकारियों ने एक अनोखा रिकॉर्ड बनाया है, जिसके बाद मध्य प्रदेश के इन कर्मठ अधिकारियों का चारों तरफ मजाक बनाया जा रहा है। वो आये तो थे जल संरक्षण को बढ़ावा कैसे दिया जाए उसके बारे में चर्चा करने, लेकिन असल में इस चर्चा के दौरान 6 किलों दूध, 5 किलों चीनी औऱ 13 किलों ड्राइफ्रूट्स की खपत को बढ़ावा कैसे मिले इसकी ट्रेनिंग दें गए। सोशल मीडिया पर इस कार्यक्रम का एक बिल काफी तेजी से वायरल हुआ है, जिसके बाद ये मुद्दा तूल पकड़ने लगा…अधिकारियों की इस हरकत से सरकार भी सकते में आ गई.. लेकिन सवाल ये है कि आखिर ये बिल इतना वायरल क्यों हो रहा है।
क्या है पूरा मामला Dryfruits Scam in MP
दरअसल ये किस्सा है 25 मई 2025 का, मध्य प्रदेश के शहडोल के गोहपारू जनपद की भदवाही ग्राम पंचायत में ‘गंगा संवर्धन अभियान’ के तहत वहां पर कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ, एसडीएम समेत कई अधिकारी एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे। ये कार्यक्रम असल में जल संरक्षण को लेकर लोगो को कैसे जागरूक करें, उसके लिए तालाब और तालुका बनाने पर जोर देने, जैसे मुद्दों के लिए किया गया था।
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कार्यक्रम में सरकारी अधिकारियों के लिए चाय नाश्ते का बी बंदोबस्त था, लेकिन जब बिल सामने आया तो जिला पंचायत प्रभारी सीईओ मुद्रिका सिंह का सर चकरा गया। कार्यक्रम में पहुंचे अधिकारियों के लिए केवल चाय नाश्ते का ही बंदोबस्त नहीं था बल्कि 5 किलो काजू, 6 किलो बादाम, 3 किलो किशमिश, 30 किलो नमकीन, और 20 पैकेट बिस्किट भी मंगवाये गए थे। जिसका बिल फिलहाल वायरल हो रहा है। इसमें 6 लीटर दूध और 5 किलों चीनी का भी बिल शामिल है। इन सभी महंगी चीजो का बिल बना 19010 रूपय का। इसमें 2 किलों घी का भी जिक्र है, जिसकी कीमत 5260 रूपय जोड़ी गई। हालांकि नाश्ते और ड्रायफूट्स गटकने का तो समझ आता है लेकिन घी किस काम आई..कही ऐसा तो नहीं कि कोई अधिकारी बहती गंगा में हाथ धो कर सरकारी खर्चे पर घी ले गया, भाई कुछ भी हो सकता है… तो वहीं 6 लीटर दूध की चाय बनी लेकिन 5 किलों चीनी कुछ ज्यादा नहीं है 6 लीटर दूध की चाय बनाने के लिए…ऐसा लगता है कि यहां असल में कार्यक्रम के नाम पर बड़ा घोटाला हो रहा है।
वायरल हो रहा है बिल
हालाकिं इस घटना को हुए डेढ़ महीने से भी ज्यादा का समय हो गया है, और हैरानी की बात तो ये है कि इस बिल को बड़े अधिकारियों ने पास भी कर दिया, जबकि बिल के वायरल होने के बाद जिला पंचायत प्रभारी सीईओ मुद्रिका सिंह अलग ही कहानी बता रही है। उनके अनुसार कार्यक्रम में चाय नाश्ते का बंदोबस्त तो था लेकिन इतने ज्यादा रूपयों के ड्रायफ्रूट्स खाने के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं था, तो सवाल ये उठता है कि क्या वो यूंही कोई दस्तावेज बिना देखे साइन कर देती है। ग्रांम पंचायत में इतना बड़ा घोटाला हुआ, लेकिन सरपंच को भनक तक नहीं लगी… अब वो कह रही है कि मामले की जांच करेंगी, लेकिन सवाल ये है कि इतना बड़ा बिल किसके सिर पर फटा..आखिरकार सरकार के सिर पर।
कुछ दिन पहले पेंट घोटाला आया था सामने
मध्य प्रदेश में एक बाद एक घोटाला सामने आया है, अभी बीते महीने एक खबर भी काफी वायरल हुई थी जब मात्र 4 लीटर पेंट के लिए 1 लाख 70 हजार रूपय का बिल बनाया गया। 4 लीटर पेंट को करने के लिए 165 मजदूर इस काम में लगाये गए थे। मामले के प्रकाश में आने बाद ऑथोरिटी के देने के लिए जवाब तक नहीं था।
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मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार फिर से निशाने पर आ गई है, एमपी में एक बाद एक कई घोटालो की परते उठ रही थी। ऐसे में सरकार इस वायरल खबर पर क्या प्रतिक्रिया देती है ये वाकई में देखने वाली बात होगी…वेल आपको क्या लगता है अगर इस तरह के कार्यक्रम साल में हर महीने लगता है तो फिर अफसरों को ड्रायफ्रूट्स खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी।… ये वाकई में केवल चाय नाश्ते तक ही सीमित है या फिर आने वाले समय में कई बड़े घोटाले का पर्दाफाश होगा।