Earthquake vs Nuclear Bomb: भूकंप धरती की सबसे खतरनाक प्राकृतिक आपदाओं में से एक है। जब इसकी तीव्रता 8.0 या उससे ऊपर होती है, तो इसकी ताकत इंसानी समझ से बाहर लगने लगती है। हाल ही में रूस के कामचटका प्रायद्वीप के पास 8.8 तीव्रता का भूकंप आया, जिसने दुनियाभर में लोगों को फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या कोई भूकंप परमाणु बम से ज्यादा शक्तिशाली हो सकता है? अगर आपके मन में भी ऐसे सवाल हैं तो इसका जवाब है—हां। और यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि वैज्ञानिक डेटा पर आधारित है।
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8.8 तीव्रता का भूकंप = 14,300 परमाणु बम (Earthquake vs Nuclear Bomb)
दरअसल जब कोई भूकंप आता है, तो उसकी ऊर्जा को मापने के लिए रिक्टर स्केल का इस्तेमाल होता है। यह एक लॉगरिदमिक स्केल है, जिसका मतलब है कि हर एक अंक की बढ़ोतरी के साथ भूकंप की ताकत करीब 32 गुना बढ़ जाती है। यानी 7.0 से 8.0 के बीच का अंतर मामूली नहीं, बल्कि बहुत बड़ा होता है।
8.8 तीव्रता का भूकंप करीब 9 x 10¹⁷ जूल्स ऊर्जा छोड़ता है। इसकी तुलना अगर 1945 में हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम “लिटिल बॉय” से की जाए, तो फर्क चौंकाने वाला है।
- हिरोशिमा बम की ऊर्जा: 3 x 10¹³ जूल्स
- 8 भूकंप की ऊर्जा: 9 x 10¹⁷ जूल्स
- दोनों की तुलना:
(9 x 10¹⁷) ÷ (6.3 x 10¹³) = 14,300 बम
यानी, ऐसा भूकंप एक साथ 14,300 हिरोशिमा बम फटने जितनी ताकत रखता है।
भूकंप की इतनी ताकत कैसे होती है?
आपकी जानकारी के लिए बता दें, भूकंप धरती के भीतर प्लेटों के टकराव से पैदा होते हैं। जब लंबे समय तक जमा हुई ऊर्जा अचानक बाहर निकलती है, तो वह धरती को हिला देती है। वहीं, 8.8 तीव्रता का भूकंप इतना शक्तिशाली होता है कि यह पूरे शहर, सड़कें, पुल, और बिल्डिंग्स को चंद सेकंड में जमींदोज कर सकता है। एक स्टडी के मुताबिक, इस तरह के भूकंप से 6.27 मिलियन टन TNT के बराबर ऊर्जा निकलती है। यानी सिर्फ कंपन नहीं होता, बल्कि पूरी धरती थोड़ी देर के लिए हिल जाती है।
जापान और रिंग ऑफ फायर: हमेशा खतरे में
कामचटका प्रायद्वीप जापान के करीब है और यह इलाका Pacific Ring of Fire में आता है। यह वो क्षेत्र है जहां दुनिया के सबसे ज्यादा ज्वालामुखी और भूकंप आते हैं।
2011 में जापान में 9.0 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसने सुनामी को जन्म दिया और फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट को भी बर्बाद कर दिया। उस तबाही में 28,000 से ज्यादा लोगों की जान गई और करीब 360 अरब डॉलर का नुकसान हुआ।
इतिहास गवाह है: चिली का भूकंप
वहीं, 2010 में चिली में आए 8.8 तीव्रता के भूकंप ने न सिर्फ हज़ारों जानें लीं बल्कि पृथ्वी की धुरी को भी कुछ मिलीसेकंड के लिए हिला दिया। वैज्ञानिकों ने बताया कि इस वजह से पृथ्वी के घूमने की रफ्तार में बहुत ही छोटा सा फर्क पड़ा, जिसकी वजह से एक दिन की लंबाई कुछ माइक्रोसेकंड यानी बेहद कम समय के लिए घट गई।