EWS Quota Fraud Documents: भारत में यूपीएससी (UPSC) सिविल सेवा परीक्षा को सबसे कठिन और सम्मानजनक परीक्षाओं में से एक माना जाता है। यह परीक्षा भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), पुलिस सेवा (IPS), और भारतीय विदेश सेवा (IFS) जैसे महत्वपूर्ण पदों के लिए उम्मीदवारों का चयन करती है। हालांकि, हाल के वर्षों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) कोटे के दुरुपयोग के मामले सामने आए हैं, जहां फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए इन प्रतिष्ठित सेवाओं में प्रवेश किया गया है। इस प्रकार की घटनाएं न केवल प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल उठाती हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती हैं कि असली जरूरतमंदों के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
EWS कोटे का दुरुपयोग- EWS Quota Fraud Documents
EWS आरक्षण को 2019 में लागू किया गया था, जिसके तहत सामान्य वर्ग के गरीबों को सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में 10% आरक्षण देने का प्रावधान किया गया था। इसके अंतर्गत, एक परिवार की वार्षिक आय ₹8 लाख से कम होनी चाहिए। हालांकि, कुछ लोग इस कोटे का गलत फायदा उठाने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा ले रहे हैं। सोशल मीडिया और समाचार चैनलों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें संपन्न लोग ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
🚨 UPSC SCAM ALERT
सिस्टम की चूलें जब तक भ्रष्टाचार की दीमक से खोखली न हो जाएँ, तब तक नैतिकता की उम्मीद रखना मूर्खता की पराकाष्ठा है। पिछले कुछ वर्षों में EWS, OBC, PH जैसे सर्टिफिकेट्स की आड़ में UPSC जैसी सर्वोच्च परीक्षाओं में सेंध लगाने वाले धूर्तों की फौज खड़ी हो गई है….… pic.twitter.com/xM3uVy3Exm
— खुरपेंच Satire (@Khurpench_) May 3, 2025
आशिमा गोयल का मामला: फर्जी ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट से आईएएस बनना
इस घोटाले में एक नाम प्रमुख रूप से सामने आया है—आशिमा गोयल। आशिमा पर आरोप है कि उन्होंने अपने पिता की आय को घटा कर ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) सर्टिफिकेट बनवाया और इस सर्टिफिकेट का उपयोग करके उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त की। हालांकि, जब 2019 में उनकी आय का हिसाब मांगा गया, तो यह पाया गया कि उन्होंने अपनी आय को जानबूझकर 73% घटा दिया था। इसके बाद, दिल्ली हाई कोर्ट ने उनका सर्टिफिकेट रद्द कर दिया था। फिर भी, आशिमा ने 2021 में ईडब्ल्यूएस कोटे का फायदा उठाते हुए फिर से यूपीएससी परीक्षा पास की और 320वीं रैंक के साथ आईएएस अधिकारी बनीं।
आशिमा गोयल ने तो सच में इतिहास बदल दिया।
2019 में UPSC ने कह दिया कि आपका EWS फर्जी है। इन्होंने दो साल पिता की इनकम कम करने में पसीना बहाया और 2021 में EWS से फिर IAS हो गई।@DoPTGoI एक बार फर्जी सर्टिफिकेट बनाने के मामले में पकड़ा गया केंडिडेट IAS कैसे बन सकता हैं? #UPSCscam pic.twitter.com/i17uaCLCoR
— Mukesh Mohan (@MukeshMohannn) July 19, 2024
इस मामले ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी, और लोग सवाल उठा रहे हैं कि सिद्ध धोखाधड़ी के बावजूद उन्हें कैसे आईएएस बनने का मौका मिला। आशिमा के मामले में यूपीएससी और डीओपीटी (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) की चुप्पी भी सवालों के घेरे में आई है।
अमोल आवटे और अन्य मामले
इस घोटाले से जुड़ी अन्य प्रमुख घटनाओं में अमोल आवटे का नाम भी सामने आया है। अमोल पर आरोप है कि उन्होंने विकलांगता का फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया और उसी के आधार पर यूपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त की। उनका दावा था कि उनके एंकल में चोट लगी थी, लेकिन सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया, जिसमें वे बास्केटबॉल खेलते हुए दिखे। इसके बाद, उन्होंने अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स को डिलीट कर दिया। इस मामले ने भी यूपीएससी की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं, क्योंकि इसे लेकर आमतौर पर यह माना जाता है कि विकलांगता कोटे का लाभ सही तरीके से उठाया जाता है।
शिवनारायण शर्मा और अक्षय रंजू उमेश का मामला
इस घोटाले से जुड़ी और भी घटनाएं सामने आईं हैं, जैसे कि शिवनारायण शर्मा का मामला, जिन्होंने आईआरएस और आईपीएस अफसर रहते हुए ईडब्ल्यूएस कोटे का फायदा उठाया और आईएएस बने। इसके अलावा, अक्षय रंजू उमेश पर भी आरोप है कि उन्होंने आईआरएस अफसर होते हुए खुद को ईडब्ल्यूएस बताया और फिर यूपीएससी की परीक्षा दी।
पूजा खेडकर का मामला
इस समय सबसे ज्यादा चर्चित मामला पूजा खेडकर का है, जो एक ट्रेनी आईएएस हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी तरीके से यूपीएससी की परीक्षा पास की। आरोप है कि उन्होंने अपने माता-पिता की जानकारी बदल कर, ओबीसी और विकलांगता कोटे के तहत परीक्षा दी और आईएएस बनीं। इस मामले में यूपीएससी ने एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया और उनकी ट्रेनिंग भी रोक दी है।
यूपीएससी पर उठते सवाल
यह घटनाएं यूपीएससी के चयन प्रक्रिया को लेकर गंभीर सवाल खड़ा करती हैं। भारतीय प्रशासनिक सेवा और पुलिस सेवा जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं के लिए यह परीक्षा देशभर में सबसे प्रतिष्ठित मानी जाती है, लेकिन इन फर्जीवाड़े के मामलों ने यूपीएससी की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। यूपीएससी पर यह आरोप भी है कि उसने जानबूझकर इन फर्जी मामलों को नजरअंदाज किया या फिर इन पर कार्रवाई करने में देरी की।
सिस्टम में खामियां
इन मामलों से साफ है कि EWS सर्टिफिकेट की जांच प्रक्रिया में गंभीर खामियां हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत और अपर्याप्त सत्यापन प्रक्रिया इसके लिए जिम्मेदार है। कई बार, उम्मीदवार अपनी संपत्ति और आय को छिपाने के लिए जटिल कानूनी रास्ते अपनाते हैं। इसके अलावा, सर्टिफिकेट बनवाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी भी एक बड़ा मुद्दा है।
सरकार और यूपीएससी की प्रतिक्रिया
केंद्र सरकार ने हाल ही में फर्जी EWS और अन्य आरक्षण प्रमाणपत्रों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। यूपीएससी ने भी सर्टिफिकेट सत्यापन के लिए नई तकनीकों को अपनाने की बात कही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आए हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि डिजिटल सत्यापन और आधार-लिंक्ड आय प्रमाणपत्र जैसे उपाय इस समस्या को कम कर सकते हैं।