Faridabad Nehru Colony News: फरीदाबाद की नेहरू कॉलोनी में इन दिनों भारी उदासी और डर का माहौल है। शहर के विकास के नाम पर, यहां के 8,000 से अधिक घरों को तोड़े जाने का नोटिस जारी किया गया है। इस फैसले के पीछे सरकार का कहना है कि मेट्रो चौक से सैनिक कॉलोनी मोड़ तक बनने वाले एलिवेटेड फ्लाईओवर से ट्रैफिक में राहत मिलेगी। लेकिन इस फैसले से कॉलोनी के स्थानीय लोग बेघर होने की स्थिति में हैं और वे सरकार की इस योजना से नाराज और परेशान हैं।
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10 जुलाई तक खाली करने का आदेश- Faridabad Nehru Colony News
पुनर्वास विभाग द्वारा भेजे गए नोटिस में यह स्पष्ट किया गया है कि अगर निर्धारित समय (10 जुलाई) तक लोग अपने मकान खाली नहीं करते, तो विभाग खुद कार्रवाई कर उनका कब्जा हटवाएगा। इस आदेश ने कॉलोनी के लोगों को गहरे सदमे में डाल दिया है। जिन लोगों ने वर्षों तक मेहनत कर अपना घर बनाया था, अब वे अपनी छत से हाथ धोने के लिए मजबूर हो गए हैं। उनके लिए यह एक बड़ा सवाल बन गया है कि उनके जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति, उनका घर, कैसे छिनने जा रहा है।
स्थानीय लोगों की चिंताएं
नेहरू कॉलोनी की निवासी रोशनी ने बताया कि उनके सास-ससुर पिछले 50 सालों से यहां रह रहे हैं और मजदूरी करके जैसे-तैसे अपना घर बनाया था। रोशनी का सवाल है, “बिना पुनर्वास के विकल्प के हमें हमारे घरों से निकालना कहां की इंसानियत है?” उन्होंने सरकार से अपील की कि पहले लोगों को पुनर्वास का ठोस विकल्प दिया जाए, फिर उनके घरों को तोड़ा जाए।
मुन्नी, जो बिहार से आकर 15 साल से झाड़ू-पोछे का काम करती हैं, ने हाल ही में लोन लेकर अपना घर बनवाया था। लेकिन अब, उनका डर यह है कि जिस घर के लिए वे अभी तक किस्तें चुका रही थीं, वह भी जल्द ही ढह जाएगा। उनके लिए यह स्थिति अत्यंत तनावपूर्ण है, क्योंकि उनकी मेहनत और कड़ी कमाई का फल अब खतरे में है।
हीरा देवी की दर्दनाक कहानी
70 वर्षीय हीरा देवी की कहानी दिल को झकझोर देती है। उन्होंने बताया कि उनके पास गांव की जमीन थी, जिसे बेचकर उन्होंने यहां मकान बनवाया था। अब अगर सरकार उनका घर तोड़ देती है, तो वे न गांव की रहेंगी न शहर की। इस उम्र में अपने घर और पहचान को खोने का विचार ही उन्हें मानसिक रूप से पूरी तरह तोड़ देता है।
8 हजार परिवारों के उजड़ने का खतरा
इस एलिवेटेड फ्लाईओवर परियोजना का उद्देश्य गुरुग्राम की ओर जाने वाले ट्रैफिक को सुगम बनाना है, लेकिन इसकी कीमत नेहरू कॉलोनी के 8,000 परिवारों को अपने घरों से हाथ धोने के रूप में चुकानी पड़ रही है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यदि सरकार सड़क निर्माण करना चाहती है, तो पहले उनके पुनर्वास की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए। वे कहते हैं, “क्या तरक्की की कीमत हमेशा गरीबों को ही चुकानी होगी?”
स्थानीय लोगों की पुकार
नेहरू कॉलोनी के निवासी इस समय एक ही बात की पुकार लगा रहे हैं – उन्हें बेघर न किया जाए। उनके पास सालों से इस कॉलोनी में रहने के दस्तावेज हैं, और यही उनका घर और पहचान है। उनका सवाल यह है कि जब सरकार विकास की योजनाओं को लागू करती है, तो क्या इन योजनाओं के पीछे की कीमत गरीबों को ही चुकानी पड़ेगी?