Firozpur Air Strip Sold: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। पहलगाम हमले के बाद, जहां भारत पाकिस्तान को जवाबी कार्रवाई करने की योजना बना रहा है, वहीं पंजाब में एक अत्यंत संवेदनशील हवाई पट्टी के मामले ने सबको चौंका दिया है। यह हवाई पट्टी भारतीय सेना के लिए रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रही है, क्योंकि इसका उपयोग 1962, 1965 और 1971 के युद्धों में किया गया था। फिरोजपुर के फत्तूवाला गांव में स्थित यह हवाई पट्टी अब विवादों का केंद्र बन गई है।
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हवाई पट्टी की बेचने का मामला- Firozpur Air Strip Sold
यह हवाई पट्टी 15 एकड़ क्षेत्र में फैली हुई है और इसका इतिहास भारतीय सेना के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा है। 1962, 1965 और 1971 के युद्धों में इस हवाई पट्टी का इस्तेमाल भारतीय सेना द्वारा किया गया था। लेकिन अब यह हवाई पट्टी विवादों में फंसी हुई है, क्योंकि आरोप लगाया गया है कि जमीन के रिकॉर्ड में हेरफेर कर इसे बेच दिया गया। याचिका में दावा किया गया कि इस हवाई पट्टी का अधिग्रहण 1937-38 में किया गया था और तब से भारतीय सेना के नियंत्रण में था। फिर 1997 में इस जमीन के राजस्व रिकॉर्ड में बदलाव किए गए, जिसके बाद इसे बेचा गया।
राजस्व रिकॉर्ड में हेराफेरी
याचिका के अनुसार, फत्तूवाला गांव की जमीन का असली मालिक मदन मोहन लाल था, जिनकी 1991 में मृत्यु हो गई थी। लेकिन 2009-10 के राजस्व रिकॉर्ड में इस जमीन को कुछ अन्य व्यक्तियों के नाम पर दिखा दिया गया, जबकि भारतीय सेना ने इस जमीन का कब्जा कभी किसी अन्य को नहीं सौंपा था। यह जमीन पहले से ही भारतीय सेना के नियंत्रण में थी, और यह बेहद संवेदनशील स्थान है, क्योंकि फिरोजपुर की सीमा पाकिस्तान से सटी हुई है। इस हेराफेरी से न केवल जमीन की कानूनी स्थिति प्रभावित हुई, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा एक गंभीर मुद्दा भी पैदा हो गया।
हाईकोर्ट का आदेश और अधिकारियों की निष्क्रियता
इस मामले को लेकर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसमें सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की गई थी। याचिका में दावा किया गया था कि फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर ने मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, और उनकी निष्क्रियता पर हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की। जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ की एकल पीठ ने कहा कि यह चौंकाने वाली बात है कि एक रणनीतिक स्थान से जुड़ी जमीन पर ऐसे गंभीर सवाल उठ रहे हैं, और फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर ने इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। कोर्ट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारतीय सेना को इस तरह की कार्रवाई के लिए राज्यपाल तक को गुहार लगानी पड़ी।
पंजाब विजिलेंस को सौंपा गया मामला
हाईकोर्ट ने इस मामले में पंजाब विजिलेंस ब्यूरो के मुख्य निदेशक को जांच का आदेश दिया है और कहा कि यदि आवश्यक हो तो कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि जांच की प्रक्रिया 21 दिसंबर, 2023 को शुरू हो चुकी थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अब, इस मामले की अगली सुनवाई तीन जुलाई 2025 को होगी, जिसमें उम्मीद की जा रही है कि जांच प्रक्रिया के बारे में और जानकारी सामने आएगी।