First Period Celebration: पीरियड्स, जिसे मासिक धर्म के नाम से भी जाना जाता है, महिलाओं के जीवन में एक प्राकृतिक और महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह शारीरिक परिपक्वता और युवावस्था का संकेत होता है। जहां भारत के कई हिस्सों में आज भी पीरियड्स को सामाजिक अछूत मानकर कई तरह की बंदिशें लगाई जाती हैं, वहीं कुछ राज्यों में इसे उत्सव के रूप में मनाया जाता है। ऐसे त्योहारों और रीति-रिवाजों का मकसद लड़की के महिला बनने के सफर को सम्मान देना और उसे समाज में स्वीकार्य बनाना है। आइए, जानते हैं भारत के विभिन्न राज्यों में पीरियड्स से जुड़े खास रीति-रिवाज।
कर्नाटक: ऋतुशुद्धि या ऋतु कला संस्कार- First Period Celebration
कर्नाटक में लड़की के पहली बार पीरियड्स होने पर ‘ऋतुशुद्धि’ नामक समारोह का आयोजन किया जाता है। इसे ‘ऋतु कला संस्कार’ भी कहा जाता है। इस अवसर पर लड़की पहली बार हाफ-साड़ी पहनती है, जो उसकी युवावस्था में प्रवेश को दर्शाता है। इस समारोह के दौरान परिवार और रिश्तेदार इकट्ठा होते हैं, और लड़की को पीरियड्स से जुड़ी जानकारियां दी जाती हैं ताकि वह मानसिक और शारीरिक रूप से इस नई अवस्था के लिए तैयार हो सके। यह परंपरा यह सुनिश्चित करती है कि लड़की को इस दौरान किसी प्रकार की समस्या न हो।
असम: तुलोनिया बिया का त्योहार
असम में ‘तुलोनिया बिया’ नामक एक भव्य त्योहार मनाया जाता है जो लड़की के पहली बार मासिक धर्म शुरू होने पर आयोजित होता है। इस त्योहार में लड़की को सात दिनों तक अलग रखा जाता है और उसे कई काम करने से मना किया जाता है। साथ ही, इस दौरान उसे सूर्य, चंद्रमा और तारों को देखना भी अशुभ माना जाता है। सातवें दिन के बाद, लड़की की एक विशेष रस्म होती है जिसमें केले के पौधे से उसकी शादी की जाती है। इस अवसर पर रिश्तेदार आते हैं और लड़की को उपहार देते हैं, जिससे उसे महिला बनने का अहसास होता है।
तमिलनाडु: मंजल निरातु विज़ा समारोह
तमिलनाडु में पीरियड्स को ‘मंजल निरातु विज़ा’ के नाम से मनाया जाता है। यह एक बड़ा पारिवारिक उत्सव होता है जिसमें सभी रिश्तेदारों को कार्ड भेजकर बुलाया जाता है। लड़की को हल्दी के पानी से स्नान कराया जाता है और उसे नारियल, आम और नीम के पत्तों से बनी झोपड़ी (कुदिसाई) में रखा जाता है। इस झोपड़ी में स्वादिष्ट व्यंजन और झाड़ू रखे जाते हैं। नहाने के बाद लड़की को रेशमी साड़ी और आभूषण पहनाए जाते हैं। इस समारोह का समापन ‘पुण्य धनम’ से होता है, जिसके बाद झोपड़ी हटाई जाती है और पंडित घर को पवित्र करता है।
ओड़िशा: राजा प्रभा का तीन दिन का उत्सव
ओड़िशा में मासिक धर्म को तीन दिनों तक मनाया जाता है, जिसे ‘राजा प्रभा’ कहा जाता है। राजा शब्द संस्कृत के ‘राज’ से लिया गया है, जिसका अर्थ मासिक धर्म होता है। इस दौरान यह माना जाता है कि धरती माता को भी मासिक धर्म होता है। पीरियड्स के चौथे दिन लड़की को स्नान कराया जाता है। यह समारोह मानसून के दौरान ‘मिथुन संक्रांति’ से जुड़ा होता है, जो बारिश और मिट्टी की उर्वरता का प्रतीक है। इसके अंतर्गत महिलाएं और लड़कियां नए कपड़े पहन कर और मिठाइयों के साथ जश्न मनाती हैं।
आंध्र प्रदेश: पेडमनिषी पंडगा
आंध्र प्रदेश में ‘पेडमनिषी पंडगा’ नामक समारोह मनाया जाता है जो पीरियड्स के पहले, पांचवें और आखिरी दिन होता है। पहले दिन लड़की का ‘मंगल स्नान’ किया जाता है, जिसमें पांच महिलाएं उसे नहलाती हैं, लेकिन उसकी मां इसमें शामिल नहीं होती। पीरियड्स के दौरान लड़की को अलग कमरे में रखा जाता है और उसे बाहर जाने की अनुमति नहीं होती। खाने-पीने से लेकर बिस्तर तक सभी चीजें अलग रखी जाती हैं। समारोह के आखिरी दिन लड़की को चंदन का लेप लगाया जाता है और उसके चाचा उसे साड़ी व आभूषण भेंट करते हैं।