Godi Media controversy: हाल ही में भारतीय मीडिया में एक चौंकाने वाला दावा सामने आया है, जिसने पूरे मीडिया जगत को हिला दिया है। वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा ने सोशल मीडिया और अपने मंचों पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें उन्होंने कहा कि “गोदी मीडिया पाकिस्तानियों को पैसे देकर भारत का अपमान करवाती है।” इस विवाद के केंद्र में एक पाकिस्तानी पत्रकार का बयान है, जिसमें उसने कथित रूप से यह दावा किया है कि कुछ भारतीय मीडिया चैनल उन्हें पैसे देते हैं ताकि वे भारत के खिलाफ बयान दे सकें।
यह दावा सवालों का पहाड़ खड़ा करता है। क्या यह सच है? अगर हां, तो इसके पीछे क्या उद्देश्य हो सकता है? और सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि इसका देश की छवि और जनमानस पर क्या असर पड़ेगा?
अभिसार शर्मा का आरोप: सत्तापक्ष समर्थक मीडिया पर सीधा हमला- Godi Media controversy
अभिसार शर्मा लंबे समय से भारतीय मीडिया की निष्पक्षता और जिम्मेदारी को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। उन्होंने हाल ही में इस मुद्दे को भी मीडिया की निष्पक्षता और जवाबदेही से जोड़ते हुए कहा कि “गोदी मीडिया” न सिर्फ दर्शकों को गुमराह कर रही है, बल्कि अब यह देश की गरिमा से भी खिलवाड़ कर रही है। उनका आरोप है कि कुछ मीडिया संस्थान TRP की दौड़ और एक विशेष राजनीतिक नैरेटिव को मजबूत करने के लिए “दुश्मन देश” के पत्रकारों को पैसे देकर भारत-विरोधी बयान दिलवाते हैं। इसके बाद इन बयानों को अपने चैनलों पर प्रसारित कर राष्ट्रवाद का दिखावा किया जाता है।
गोदी मीडिया पकिस्तानियों को पैसा देकर करवाता है देश का अपमान ? पाकिस्तानी पत्रकार का दावा! pic.twitter.com/mB1Koz1RoE
— Abhisar Sharma (@abhisar_sharma) June 7, 2025
अभिसार शर्मा ने यह भी कहा कि इस तरह के बयानों का प्रसारण करने से चैनल न केवल अपनी TRP बढ़ाते हैं, बल्कि राष्ट्रवादी भावनाओं को उभारने में भी कामयाब हो जाते हैं।
पाकिस्तानी पत्रकार का कथित बयान: “हमें पैसे देकर बयान दिलवाए जाते हैं”
इस पूरे विवाद की जड़ एक पाकिस्तानी पत्रकार का वीडियो बयान है, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। इस पत्रकार ने दावा किया है कि “भारतीय मीडिया हमें पैसे देता है ताकि हम भारत के खिलाफ बयान दें, और फिर वे इन बयानों को अपने चैनल्स पर दिखाकर प्रोपेगेंडा फैला सकें।” हालांकि, इस वीडियो की सत्यता और उस पत्रकार की पहचान की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन यह बयान अभिसार शर्मा के आरोपों का आधार बन गया है।
इस तरह के दावे ने मीडिया की विश्वसनीयता को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, और इसे लेकर देशभर में बहस छिड़ गई है।
मीडिया की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल
अगर यह आरोप सच साबित होते हैं, तो इसका सीधा असर भारतीय मीडिया की साख पर पड़ेगा। यह केवल नैतिक पतन का मामला नहीं होगा, बल्कि यह राष्ट्रहित के खिलाफ एक गंभीर अपराध भी साबित हो सकता है। क्या किसी चैनल को अपनी TRP बढ़ाने के लिए राष्ट्रविरोधी बयान दिखाने की जरूरत है? क्या इस तरह के बयान देने से मीडिया अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है?
विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे बयान दिखाकर चैनल यह कोशिश करते हैं कि राष्ट्रवादी भावनाओं को उभारा जा सके। इसके अलावा, राजनीतिक दलों के लिए किसी “बाहरी दुश्मन” को सामने लाना भावनात्मक मुद्दों को तेज करने में मदद करता है। और यह भी सच है कि TRP की होड़ में “ड्रामाई कंटेंट” दिखाना अधिक लाभकारी हो सकता है, जबकि तथ्यपूर्ण और संतुलित विश्लेषण पर ध्यान कम दिया जाता है।
क्या सरकार इस पर जांच करेगी?
यह मामला अब सोशल मीडिया से बाहर निकलकर जनचर्चा और पत्रकारिता की विश्वसनीयता पर बहस का विषय बन चुका है। अगर इस आरोप की जांच नहीं होती, तो यह आगे कई अफवाहों को जन्म दे सकता है और मीडिया की विश्वसनीयता को और भी नुकसान पहुंचा सकता है।
अभिसार शर्मा का यह आरोप एक गंभीर मुद्दा बन गया है, और अब इस पर सही जांच की आवश्यकता है। यदि यह दावा सही है, तो यह भारतीय मीडिया के इतिहास में एक काला अध्याय होगा। लेकिन अगर यह सिर्फ एक सनसनीखेज बयान है, तो यह मीडिया की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाने वाली प्रवृत्तियों का एक और उदाहरण होगा।
नोट: इस रिपोर्ट में दिए गए दावे सोशल मीडिया और संबंधित पत्रकारों के बयानों पर आधारित हैं।
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