Graphic Era University Controversy: लखनऊ की 18 वर्षीय वासवी सिंह की मौत ने पूरे उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। नैनीताल के भीमताल में स्थित ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी में बीसीए सेकेंड ईयर की छात्रा वासवी 30 जुलाई को अपने हॉस्टल में मृत पाई गई। कॉलेज प्रशासन ने इसे आत्महत्या बताया, लेकिन परिवार इसे हत्या बता रहा है। मां बीनू सिंह और भाई आयुष सिंह का कहना है कि वासवी आत्महत्या नहीं कर सकती। इस घटना को लेकर परिजनों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पुष्कर सिंह धामी से निष्पक्ष जांच की मांग की है।
घटना की शुरुआत– Graphic Era University Controversy
खबरों की मानें तो, 30 जुलाई को सुबह से ही वासवी का फोन स्विच ऑफ था। शाम पांच बजे यूनिवर्सिटी से कॉल आया कि बेटी ने आत्महत्या कर ली है। परिवार को अचानक हुए इस कॉल से कुछ समझ नहीं आया। जब वासवी के पिता रामकृष्ण तोमर मौके पर पहुंचे, तब जाकर उन्हें जानकारी दी गई।
कॉलेज ने दावा किया कि वासवी ने दुपट्टे से फांसी लगाई, लेकिन गले पर जो निशान था, वह किसी पतली रस्सी का लग रहा था। यहीं से परिवार को शक हुआ कि कुछ छिपाया जा रहा है।
रैगिंग और धमकियों की कड़ी
वासवी ने 29 जुलाई को अपनी मां को फोन करके बताया था कि उसकी नई रूममेट को एक सीनियर छात्रा रैगिंग के लिए बुला रही थी। वासवी ने इसका विरोध किया और वार्डन को शिकायत भी की। उसी रात एक सीनियर छात्रा उसके कमरे में घुसकर झगड़ा करने लगी, जिसका वीडियो भी वासवी ने मां को भेजा था।
अगले ही दिन उसकी मौत की खबर आई। इससे यह आशंका और गहरी हो गई कि क्या उसे जानबूझकर निशाना बनाया गया?
छिपाया जा रहा है सबूत?
वहीं, भाई आयुष सिंह ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बताया कि हॉस्टल के CCTV कैमरे घटना के तुरंत बाद हटा दिए गए। पुलिस की मौजूदगी के बिना बॉडी को नीचे उतारा गया और यूनिवर्सिटी प्रशासन लगातार बयान बदलता रहा।
परिजनों का यह भी कहना है कि उन्हें वासवी की रूममेट से मिलने नहीं दिया गया और जिन छात्राओं के खिलाफ शिकायत की गई थी, वे अब तक सामने नहीं आईं।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और हत्या की आशंका
आयुष सिंह का दावा है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गला दबाने की पुष्टि हुई है। इससे आत्महत्या की थ्योरी पर और सवाल उठते हैं। परिवार का यह भी आरोप है कि यूनिवर्सिटी हॉस्टल की छात्राओं को बयान देने से रोका जा रहा है और सोशल मीडिया पर इस मामले को उठाने पर उन्हें धमकियां मिल रही हैं।
जस्टिस मार्च और उठते सवाल
इस घटना से नाराज़ होकर लखनऊ में आईटी चौराहे से परिवर्तन चौक तक “जस्टिस मार्च” निकाला गया, जिसमें 1000 से ज्यादा लोग शामिल हुए। छात्र-छात्राएं, समाजसेवी और आम लोग Justice for Vasavi”, “Stop Campus Ragging” जैसे नारों के साथ पोस्टर लेकर सड़कों पर उतरे।
लोगों ने पूछा, “CCTV कहां हैं?”, “रूममेट कहां है?”, “आठवीं बार ऐसा क्यों हुआ है?”। यह ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी की आठवीं संदिग्ध घटना बताई जा रही है।
समाजसेवियों और परिजनों की मांग
समाजसेवी अजर मुबीन ने इस पूरे मामले को यूनिवर्सिटी की लापरवाही बताया। उनका कहना है कि यूनिवर्सिटी ने अब तक शोकसभा भी नहीं रखी, जिससे उनके रवैये का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
वासवी की मौसी स्वेच्छा सिंह ने बताया कि इंसाफ की मांग पर उन्हें सोशल मीडिया पर धमकियां दी जा रही हैं।
क्या सच कभी सामने आएगा?
पिता रामकृष्ण तोमर ने इसे “सुनियोजित हत्या” बताया है। उनका कहना है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन की संवेदनशीलता नदारद है। “जब हम पहुंचे तो ऐसा कोई माहौल नहीं था जैसे कोई गंभीर घटना घटी हो। बेटी के गले के निशान देखकर साफ लगा कि फांसी नहीं, बल्कि गला दबाया गया था।”