Haldwani Protest: क्यों हल्द्वानी में बेघर होंगे 4,000 परिवार, जानिए क्या है पूरा मामला

Haldwani Protest:  क्यों हल्द्वानी में बेघर होंगे 4,000 परिवार, जानिए क्या है पूरा मामला

रेलवे की 78 एकड़ जमीन पर से 4,365 परिवार होंगे  बेदखल 

भारत के राज्य उत्तराखंड के हल्द्वानी (Haldwani Protest) में 4,000 से ज्यादा परिवार को बेघर किया जा रहा है. जिसके बाद यहाँ पर लोग विरोध कर रहे हैं. दरअसल, यहाँ पर रेलवे की 78 एकड़ जमीन है जिसको लेकर उत्तराखंड हाई कोर्ट (Uttarakhand High Court) ने 7 दिनों के अंदर अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया था. जिसकी वजह से 4,365 परिवारों को बेदखल करने की तैयारी की जा रही है. 

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जानिए क्या है मामला 

जानकारी के अनुसार, हल्द्वानी (Haldwani) के बनभूलपुरा इलाके में करीब 50,000 लोग रहते हैं और इस जगह पर 90 फीसदी मुस्लिम आबादी रह रही है. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार पर विरोधी दल आरोप लगा रहे हैं बीजेपी की ओर से जानबूझकर ऐसा किया जा रहा है, क्योंकि इस हिस्से पर मुस्लिम आबादी (Muslim) का बसेरा है, जो बीजेपी का वोटर नहीं है. वहीं इस जगह  रेलवे की 78 एकड़ जमीन है जिसको लेकर उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 7 दिनों के अंदर अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया था. वहीँ अब इस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को अहम सुनवाई करने वाला है. जिसेक बाद ये फैसला किया जायेगा कि यहाँ पर रहने वाले 4,365 परिवार बेदखल होते हैं की नहीं. 

एक्शन में जुटा  हल्द्वानी प्रशासन

वहीं इस अतिक्रमण के खिलाफ हल्द्वानी प्रशासन (Haldwani Administration) एक्शन की तैयारी में जुटा गया है लेकिन, कुछ तय नहीं कर पा रहा है. हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ लोग सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) पहुंचे हैं. जिसके बाद याचिकाकर्ताओं को आशा है कि सुप्रीम कोर्ट से उन्हें मानवीय आधार पर राहत मिल सकती है.

हल्द्वानी में दिखा शाहीनबाग जैसा नजारा 

हल्द्वानी में भी शाहीनबाग जैसा नजारा देखने को मिल रहा है. शाहीनबाग में जैसे नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ महिलाएं सड़कों पर उतर आई थीं, वैसा ही हाल, यहां भी है. महिलाएं, प्रशासनिक आदेश के खिलाफ सड़कों पर हैं. इसी के साथ हल्द्वानी प्रकरण को लेकर सोशल मीडिया लोग इस फैसले को सही कह रहे हैं तो कुछ लोग पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं. लोग कह रहे हैं कि जिस इलाके में दशकों से लोग बसे हुए हैं, उन्हें एक झटके में बाहर क्यों किए जाने की तैयारी की जा रही है. वहीं दूसरे पक्ष का कहना है कि अतिक्रमण वर्षों से लोगों ने जारी रखा था, अब उसे हटाया जा रहा है तो बेवजह विपक्षी दल हंगामा कर रहे हैं.

रेलवे की जमीन पर रह रहे हैं लोग 

हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर करीब 78 एकड़ इलाके में लोग बसे हुए हैं जिनमें ज्यादातर मुस्लिम समुदाय के लोग बसे हुए हैं. इस इलाके में पांच वार्ड शामिल हैं. यहां करीब 25,000 वोटर रहते हैं. लोगों का सबसे बड़ा डर यह सता रहा है कि इस इलाके में कई बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं भी रहती हैं, जिनके सामने विस्थापन का खतरा मंडरा रहा है. राजनीतिक पार्टियों का कहना है कि इस इलाके में करीब 15,000 बच्चे रहते हैं, विस्थापन के बाद जिनका स्कूल से नाता खत्म हो जाएगा.

20 दिसंबर को जारी किया गया था आदेश 

उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 20 दिसंबर को एक आदेश जारी किया था. अखबारों में प्रशान ने आदेश के संबंध में नोटिस जारी किया था. लोगों को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि 9 जनवरी को लोग अपने घरों को खाली कर दें, जिससे ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया पूरी हो जाए. प्रशासन ने 10 एडीएम और 30 एसडीएम-रैंक के अधिकारियों को प्रक्रिया की निगरानी करने का निर्देश दिया है. कई परिवार 1910 के बाद से बनभूलपुरा में गफूर बस्ती, ढोलक बस्ती और इंदिरा नगर कॉलोनियों के कब्जे वाले इलाकों में बसे हुए हैं. आरोप लग रहा है कि उन्हें, उनके धर्म की वजह से निशाना बनाया जा रहा है.

सियासी दलों ने लगाया आरोप

इसी एक साथ सियासी दलों का आरोप है कि क्षेत्र में चार सरकारी स्कूल, 10 निजी, एक बैंक, चार मंदिर, दो मजार, एक कब्रिस्तान और 10 मस्जिदें हैं. इनका निर्माण बीते कुछ दशकों में हुआ है. बनभूलपुरा में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय भी है जो सौ साल से अधिक पुराना बताया जाता है. ऐसे में अगर इतने पुराने निर्माण हैं तो बस्ती अवैध कैसे है. अगर है तो इतने बड़े अंतराल तक नोटिस क्यों नहीं दिया गया.

वहीँ स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर यह पूरा इलाका रेलवे का है, अतिक्रमण हुआ है तो पूरे परिसर में स्कूल और अस्पताल कैसे बने हुए हैं. 6 दशकों से इस इलाके में लोग बसे हुए हैं, अचानक पूरी बस्ती कैसे अवैध हो गई है. यहां के लोग कहां जाएंगे, अगर हटाया जा रहा है तो पुनर्वास कहां होगा, बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं कहां जाएंगी. अब रेलवे अचानक लोगों को विस्थापित करने पर क्यों जुटा है. 

सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला 

वहीं  इस सुप्रीम कोर्ट में आज गुरुवार को इस केस की अहम सुनवाई होने वाली है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसए नजीर और जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण की ओर से मामले का जिक्र किए जाने के बाद इसे सुनवाई के लिए स्वीकार किया है. अब देखते हैं कि सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखता है, या यहां के निवासियों को राहत मिलती है.

राज्य सरकार ने फैसले को लेकर कही ये बात  

वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Uttarakhand Chief Minister Pushkar Singh Dhami) ने कहा कि कोर्ट जो भी फैसला करेगा, राज्य उसका पालन करेगा. हम अदालत के फैसले का सम्मान करेंगे. राज्य सरकार (state goverment) इस मामले में पक्षकार नहीं है. यह रेलवे और उच्च न्यायालय के बीच है. कांग्रेस बेदखली का सामना कर रहे परिवारों की मदद करने के लिए सरकारी हस्तक्षेप की मांग कर रही है. यह मामला अब पूरी तरह से कोर्ट के हाथ में है.

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