गुजरात के अहमदाबाद में हुए हालिया विमान हादसे (Ahmedabad plane crash) ने बीमा कंपनियों के लिए एक अनोखी चुनौती उत्पन्न कर दी है। इस दुर्घटना में कई मामलों में नॉमिनी और पॉलिसीधारक दोनों की मौत हो गई, जिससे कंपनियां यह तय करने में असमंजस में हैं कि दावे की राशि का भुगतान किसे किया जाए। यह घटना बीमा, बैंक डिपॉजिट, म्यूचुअल फंड्स और बचत योजनाओं में नॉमिनी की अहमियत को और भी स्पष्ट करती है।
नॉमिनी बनाना क्यों है महत्वपूर्ण? (Nominee in Account and Insurance)
विमान दुर्घटना के बाद कई परिवारों में पति-पत्नी के साथ उनके बच्चों की भी मृत्यु हो गई, जिससे पॉलिसीधारक और नॉमिनी दोनों का निधन हो गया। इस स्थिति ने इस बात को उजागर किया है कि किसी भी बीमाधारक के लिए नॉमिनी निर्धारित करना और वसीयत बनाना कितना आवश्यक हो जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में सक्सेसिव नॉमिनेशन और वसीयत का महत्व बढ़ जाता है।
नॉमिनी के नियमों में बदलाव
2024 के बैंकिंग लॉज अमेंडमेंट एक्ट के तहत अब बैंक खातों में एक की बजाय चार नॉमिनी बनाए जा सकते हैं। इसी प्रकार, पीपीएफ और अन्य स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स में भी चार तक नॉमिनी बनाए जा सकते हैं। सेबी के नियमों के अनुसार, डीमैट अकाउंट और म्यूचुअल फंड फोलियों में अधिकतम 10 नॉमिनी बनाए जा सकते हैं।
साइमल्टेनियस और सक्सेसिव नॉमिनेशन: समझें अंतर
साइमल्टेनियस नॉमिनेशन में एक से अधिक नॉमिनी बनाए जाते हैं, और अगर एक नॉमिनी की मृत्यु हो जाती है तो बाकी नॉमिनीज़ में हिस्से का बंटवारा किया जाता है। हालांकि, सक्सेसिव नॉमिनेशन में एक निर्धारित क्रम होता है। इसमें पहले नंबर पर दिए गए नॉमिनी को पूरी राशि मिलती है। अगर पहले नंबर के नॉमिनी का भी निधन हो जाता है, तो उसके बाद दूसरे नॉमिनी को यह राशि दी जाती है, और यह क्रम चलता रहता है।
कानूनी वारिस और वसीयत का महत्व
अगर संजय कपूर जैसे मामलों में बीमाधारक और नॉमिनी दोनों की मृत्यु हो जाती है, तो यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है कि कोई जीवित नॉमिनी न हो। ऐसे में कानूनी वारिस को दावे की राशि मिल सकती है, लेकिन उन्हें यह साबित करना होगा कि वे कानूनी वारिस हैं। इसके लिए जरूरी दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है, और यदि कोई अन्य व्यक्ति दावा करता है, तो मामला अदालत में जाएगा।
परिवार के सदस्य को नॉमिनी बनाना बेहतर
बीमाधारक को यह सलाह दी जाती है कि वे अपने परिवार के सदस्य को नॉमिनी के रूप में नियुक्त करें ताकि भविष्य में कानूनी समस्याओं से बचा जा सके। यदि नॉमिनी बेईमानी से काम लेता है, तो परिवार को अदालत का रुख करना पड़ सकता है। यह भी महत्वपूर्ण है कि बीमाधारक वसीयत बनाएं ताकि उनके बाद संपत्ति के वितरण को लेकर कोई विवाद न हो।
वसीयत की अहमियत और कानूनी प्रक्रिया
अगर वसीयत नहीं बनाई गई है, तो हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत परिवार के सदस्य कानूनी हक के लिए दावा कर सकते हैं। पत्नी, संतान, और फिर मां, पिता, भाई-बहन के अनुसार संपत्ति का वितरण होगा। वसीयत में यह भी साफ करना जरूरी है कि एग्जिक्यूटर कौन होगा। वसीयत को रजिस्टर कराना बेहतर होता है ताकि परिवार को भविष्य में किसी भी कानूनी प्रक्रिया में दिक्कत न हो।
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