Hyderabad Gazette: महाराष्ट्र की राजनीति में मराठा आरक्षण को लेकर लंबे समय से खलबली मची हुई थी, लेकिन अब इस पर एक बड़ा मोड़ आया है। मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रमुख नेता मनोज जरांगे पाटिल ने आखिरकार अपनी पांच दिन पुरानी भूख हड़ताल खत्म कर दी है, क्योंकि सरकार ने उनकी प्रमुख मांगें मान ली हैं। सरकार ने ‘हैदराबाद गजट’ को आधिकारिक रूप से मान्यता दे दी है, जिससे मराठा समाज को ‘कुनबी’ जाति में शामिल कर ओबीसी आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है।
क्या है ‘हैदराबाद गजट’? Hyderabad Gazette
‘हैदराबाद गजट’ दरअसल, 1918 में तत्कालीन निज़ाम सरकार द्वारा जारी एक आधिकारिक आदेश है। उस वक्त हैदराबाद रियासत में मराठा समुदाय की संख्या तो ज्यादा थी, लेकिन उन्हें शासन और नौकरियों में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा था। निजाम सरकार ने इसे ध्यान में रखते हुए मराठा समुदाय को ‘हिंदू मराठा’ के रूप में पहचानते हुए उन्हें शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने का निर्णय लिया था।
इस राजपत्र में मराठवाड़ा क्षेत्र के कई हिस्से शामिल थे, और इसमें कुछ मराठा समुदाय के समूहों को किसान जाति ‘कुनबी’ के रूप में वर्गीकृत किया गया था, जो आज महाराष्ट्र में ओबीसी वर्ग के अंतर्गत आते हैं।
सरकार का बड़ा कदम, जरांगे का आंदोलन सफल
महाराष्ट्र सरकार ने एक सरकारी आदेश (GR) जारी किया है, जिसमें ‘हैदराबाद गजट’ के आधार पर मराठा समुदाय को कुनबी जाति का प्रमाणपत्र देने की बात कही गई है। इसके लिए सरकार ने एक समिति गठित की है, जो उन व्यक्तियों की पहचान करेगी जिनके पास पुराने अभिलेखों में कुनबी के रूप में दर्ज रिकॉर्ड मौजूद हैं।
डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा, “हमारी सरकार ने हैदराबाद गजट को लागू करने का जीआर निकाला है। यह फैसला समाज को मुख्यधारा में लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
मनोज जरांगे की कुल आठ मांगों में से छह मांगों को सरकार ने मान लिया है, जिनमें प्रमुख रूप से:
- हैदराबाद, सातारा और औंध गजट को मान्यता देना,
- मराठा आंदोलनकारियों पर दर्ज केस वापस लेना,
- आंदोलन में मारे गए लोगों के परिवारों को 15 करोड़ रुपये की सहायता और नौकरी देना,
- पंचायतों में कुनबी जाति से जुड़े 58 लाख रिकॉर्ड सार्वजनिक करना,
- और कुनबी प्रमाणपत्र लेने की प्रक्रिया को आसान बनाना शामिल है।
मराठा समाज को क्या मिलेगा लाभ?
इस फैसले के बाद मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र के उन मराठाओं को, जो खुद को कुनबी साबित कर पाएंगे, उन्हें OBC कोटे में आरक्षण मिलेगा। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि हर मराठा को स्वतः कुनबी घोषित नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह कानूनी और तकनीकी रूप से जटिल मामला है।
जरांगे की यह मांग थी कि अगर परिवार में किसी एक को कुनबी प्रमाणपत्र मिल गया है, तो पूरे परिवार को यह मिलना चाहिए। लेकिन सरकार का कहना है कि अब तक 8 लाख आपत्तियां इस विषय में आ चुकी हैं, जिन्हें सुलझाने में समय लगेगा। अनुमान है कि इस प्रक्रिया में करीब दो महीने का वक्त लग सकता है।
‘हैदराबाद गजट’ बना ऐतिहासिक प्रमाण
‘हैदराबाद गजट’ के आधार पर मराठा समुदाय को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा माना गया है। यही कारण है कि जरांगे पाटिल और उनके समर्थक इसे लंबे समय से आरक्षण की मांग के लिए इतिहासिक साक्ष्य के तौर पर पेश कर रहे थे।
राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि 1900 से लेकर 1948 तक के दस्तावेज, जिसमें हैदराबाद रियासत के अभिलेख शामिल हैं, उन्हें वैध साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जाएगा। इससे पहले जस्टिस संदीप शिंदे समिति द्वारा बड़ी संख्या में लोगों को कुनबी प्रमाणपत्र जारी भी किए जा चुके हैं।
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