IAS Manoj Kumar Singh: उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार और अधिकारियों की करोड़ों की संपत्ति को लेकर हाल ही में एक बड़ा खुलासा हुआ है। 4 PM के संपादक संजय शर्मा ने प्रदेश के नौकरशाहों की गुप्त संपत्तियों और उनके भ्रष्टाचार के खेल की कहानी उजागर की है, जो पिछले कुछ वर्षों से चल रही लूट-पाट को बयां करती है। यह मामला प्रदेश की सत्ता और प्रशासन में व्याप्त गहरे भ्रष्टाचार की गंभीर तस्वीर सामने लाता है।
भ्रष्टाचार रोकने के दावे के बीच मुख्य सचिव पर आरोप- IAS Manoj Kumar Singh
4 PM के संपादक संजय शर्मा ने हाल ही में ट्वीट किया कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी संभालने वाले राज्य के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के खिलाफ दस हजार करोड़ से अधिक की कमाई करने की प्रधानमंत्री कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई गई है। सीबीआई पहले भी उनके खिलाफ केस चलाने की मंजूरी मांग चुकी है, लेकिन हर बार सरकार ने उनकी रक्षा की।
अभिषेक प्रकाश मात्र मोहरा, असली साजिश मुख्य सचिव की?
चार सौ करोड़ की रिश्वत के आरोप में निलंबित अभिषेक प्रकाश को इस मामले में केवल एक मोहरा बताया जा रहा है। माना जा रहा है कि असली मास्टरमाइंड वही हैं, जो अपनी सुरक्षा के लिए दूसरों को बलि का बकरा बनाते हैं। अभिषेक प्रकाश पर लगे आरोपों के पीछे भी मुख्य सचिव का हाथ बताया जा रहा है।
बेनामी संपत्ति के दस्तावेज़ों की मिली जानकारी, कार्रवाई न के बराबर
संजय शर्मा द्वारा की गई पोस्ट में इस बात का भी जिक्र है कि मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव रहे एस.पी. गोयल और उनके परिवार के सदस्यों के पास अंसल जैसी बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों में करोड़ों की बेनामी संपत्तियों के दस्तावेज़ पाए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई या जांच नहीं हुई। यह इस भ्रष्टाचार के नेटवर्क की गंभीरता को दर्शाता है।
अफसरों की सत्ता में गढ़ी गई लूट की गंगा
ये सभी अधिकारी मुख्यमंत्री के करीबी बताए जाते हैं, जिनके संरक्षण में भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है। यह सोचकर भय होता है कि जिनकी आधी से ज्यादा आबादी सरकारी योजनाओं पर निर्भर है, वही अधिकारी सत्ता के संरक्षण में करोड़ों की बंदरबांट कर रहे हैं।
लूट का खेल: कौन करेगा कार्रवाई?
पूरे सिस्टम में भ्रष्टाचार इतना गहरा है कि सवाल उठता है कि जब पूरे सिस्टम में ही गड़बड़ी हो तो आखिरकार इन लुटेरों को कौन सजा देगा? क्या यही व्यवस्था बनी हुई है जहां लूट करना योग्यता माना जाता है और नैतिकता का कोई मूल्य नहीं रह गया है?
मनोज कुमार सिंह: यूपी के नए मुख्य सचिव की पृष्ठभूमि
मनोज कुमार सिंह को सीएम योगी ने जुलाई 2025 तक यूपी का मुख्य सचिव बनाया है। 1988 बैच के मनोज कुमार सिंह सीएम के सबसे भरोसेमंद आईएएस अधिकारियों में से एक हैं और यूपी के आईएएस लॉबी में तेजतर्रार अफसरों की गिनती में आते हैं। इससे पहले वे कृषि उत्पादन आयुक्त, औद्योगिक विकास आयुक्त समेत कई अहम पदों पर कार्यरत रहे हैं। ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट-2023 में 40 लाख करोड़ रुपए के निवेश समझौतों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
सीएम योगी को मिला केंद्र से ‘फ्री हैंड’
पिछले सात सालों में यूपी के चीफ सेक्रेटरी की नियुक्ति में केंद्र का बड़ा हस्तक्षेप रहता था, जिससे सीएम योगी को सामंजस्य बैठाने में कठिनाई होती थी। लेकिन मनोज कुमार सिंह की नियुक्ति के साथ पहली बार सीएम को पूरी स्वतंत्रता दी गई है और केंद्र ने इसमें कोई दखल नहीं दिया। यह राजनीतिक संदेश भी माना जा रहा है कि यूपी की कमान अब सीएम योगी के हाथ में पूरी तरह से है।
जातीय संतुलन की परंपरा टूटी
बीजेपी के शासनकाल में पहली बार ऐसा हुआ है कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव दोनों एक ही जाति के हैं। लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी ने मुख्यमंत्री को सीएस चुनने के लिए पूरा अधिकार दिया है। विश्लेषकों के अनुसार, यह लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार से मिली सीख के बाद सशक्त नेतृत्व देने की कोशिश है।
इसी बीच, उत्तर प्रदेश में नौकरशाही और राजनीतिक सत्ता के बीच घपलों का यह खुलासा प्रशासन की गहरी खामियों और भ्रष्टाचार की चपेट को दिखाता है। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की नियुक्ति इस दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है, लेकिन सवाल यह है कि क्या वे इस जटिल भ्रष्टाचार के जाल को तोड़ पाएंगे? प्रदेश की जनता की उम्मीदें अब इसी पर टिकी हैं।