IIT Roorkee Thomso 2025: कला, म्यूजिक और ऊर्जा का तूफ़ान… थॉम्सो 2025 ने बदल दिया IIT रुड़की का माहौल!

IIT Roorkee Thomso 2025
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IIT Roorkee Thomso 2025: भारत के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थानों में से एक, IIT रुड़की, ने इस साल अपने वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव “थॉम्सो 2025” को बेहद भव्य और शानदार स्तर पर आयोजित किया। तीन दिनों तक चले इस उत्सव में संगीत, नृत्य, कला और संस्कृति का अद्भुत मिश्रण देखने को मिला। कार्यक्रम का समापन मशहूर गायक शान की जोशीली परफॉर्मेंस और सलीम-सुलेमान के सुरीले संगीत से हुआ, जिसने दर्शकों को थिरकने पर मजबूर कर दिया।

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मुख्य मंच और रचनात्मक डिजाइन- IIT Roorkee Thomso 2025

इस बार थॉम्सो का मुख्य मंच गैलेक्सी इवेंट्स के कुंवर शाहिद द्वारा डिजाइन किया गया, जो अपने आप में उत्तराखंड में अनोखा और आकर्षक अनुभव साबित हुआ। दर्शकों और मेहमानों ने मंच की भव्यता और रचनात्मकता की काफी प्रशंसा की। इस आयोजन में गैलेक्सी इवेंट्स और स्पेक्टाल मैनेजमेंट के रवीन बिश्नोई का योगदान भी महत्वपूर्ण रहा, जिन्होंने पूरे उत्सव को नए स्तर तक पहुंचाया।

 

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 थॉम्सो फेस्टिवल में जेम्स थॉमसन की भूमिका 

आपको बता दें, थॉम्सो फेस्टिवल का नाम जेम्स थॉमसन (1804–1853) के सम्मान में रखा गया है। वे ब्रिटिश शासनकाल में नॉर्थ-वेस्टर्न प्रॉविंस के लेफ्टिनेंट गवर्नर थे और भारत में इंजीनियरिंग शिक्षा की नींव रखने में उनकी भूमिका बेहद अहम रही। थॉमसन ने रुड़की में इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापित करने का सुझाव दिया, जो आगे चलकर भारत की तकनीकी शिक्षा का केंद्र बना। वर्ष 1847 में स्थापित थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग आगे चलकर यूनिवर्सिटी ऑफ रुड़की बना और 2001 में इसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रुड़की का दर्जा मिला।

‘थॉम्सो’ का इतिहास और श्री कामेंद्र कुमार की भूमिका

आईआईटी रुड़की के प्रतिष्ठित सांस्कृतिक उत्सव ‘थॉम्सो’ का एक गौरवशाली और अविस्मरणीय इतिहास रहा है। इस भव्य आयोजन की नींव श्री कामेंद्र कुमार के ऊर्जावान नेतृत्व में पड़ी, जिन्होंने इसके पहले संयोजक (Founding Convener) के रूप में इस परंपरा की शुरुआत की। वर्ष 1981-82 में वे स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनके मार्गदर्शन और दूरदर्शिता ने थॉम्सो को न सिर्फ एक कॉलेज फेस्ट के रूप में, बल्कि आईआईटी रुड़की की पहचान का प्रतीक बना दिया।

श्री कामेंद्र कुमार का पेशेवर जीवन भी उतना ही प्रेरणादायक रहा है। वे टीसीआईएल (Telecommunications Consultants India Limited)—जो संचार मंत्रालय के अधीन एक सार्वजनिक उद्यम है—में निदेशक पद पर कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा, उन्होंने एलजी, एलस्टॉम और डीआरडीओ जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई हैं। तकनीकी विशेषज्ञता और नेतृत्व कौशल का यही संगम थॉम्सो की बुनियाद में झलकता है, जिसने इस फेस्ट को आज भारत के सबसे प्रतिष्ठित और ऊर्जावान सांस्कृतिक आयोजनों में शुमार कर दिया है।

कैंपस में सांस्कृतिक और रचनात्मक ऊर्जा

थॉम्सो 2025 में तीन दिनों तक संगीत, नृत्य, फ़ैशन शो, कला प्रदर्शनियों और विभिन्न प्रतियोगिताओं की रंगारंग झलक देखने को मिली। इस उत्सव में 150 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसमें रोमांचक संगीत समारोह, नृत्य प्रतियोगिताएँ, नाटक, साहित्यिक प्रतियोगिताएँ और थीम-आधारित प्रस्तुतियाँ शामिल थीं। 800 से अधिक कॉलेजों के लगभग 40,000 लोगों की उपस्थिति ने कैंपस को ऊर्जा, रचनात्मकता और उत्साह का जीवंत केंद्र बना दिया।

थॉम्सो: युवा प्रतिभा और प्रेरणा का केंद्र

थॉम्सो सिर्फ एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह IIT रुड़की की युवाओं की रचनात्मक ऊर्जा, सांस्कृतिक विविधता और प्रतिस्पर्धात्मक भावना का प्रतीक बन चुका है। यह फेस्टिवल छात्रों के बीच सहयोग, प्रतिस्पर्धा और प्रेरणा को बढ़ावा देता है। जेम्स थॉमसन बिल्डिंग जैसी ऐतिहासिक इमारतें आज भी उनके योगदान और विरासत को जीवित रखती हैं।

नवीनता और परंपरा का संगम

थॉम्सो 2025 में प्रस्तुतियों, आकर्षक सजावट और अत्याधुनिक तकनीक का मिश्रण देखने को मिला। परंपरा और नवीनता का यह संगम हर दर्शक के लिए कुछ न कुछ पेश करता है, चाहे वह कला में रुचि रखता हो या तकनीकी प्रदर्शन में। यह उत्सव भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा और रचनात्मकता का एक सशक्त मंच बन चुका है।

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