झारखंड में ‘सुप्रीम कोर्ट के जज’ भी सुरक्षित नहीं, हाई कोर्ट की एक-एक प्रतिक्रिया आपको जाननी चाहिए

Jharkhand High court
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झारखंड में भू माफियाओं द्वारा जबरन अवैध कब्जा के कई सारे ममाले सामने आ चुके हैं लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जज की जमीन पर अवैध कब्जा करने का मामला सामने आया है जिसके बाद ये मामला चर्चा में बना हुआ है. वहीँ अब इस मामले में हाई कोर्ट ने अहम फैसला दिया है.

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जानिए क्या है मामला

जानकारी के अनुसार, ये मामला 25 जून का है जब रांची के विक्रांत चौक के सामने स्थित सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस स्वर्गीय एमवाई इकबाल के जमीन पर बनाई गयी बाउंड्री वाल को भू माफियाओं द्वारा तोड़ने की कोशिश की गई. जिसके बाद वहां के गार्ड ने भू माफियाओं को रोकने की कोशिश भी की और साथ ही  मामले की सूचना लोअर बाजार पुलिस को दी गयी. वहीं भू माफिया जमीन पर कब्जा करने के लिए अपने साथ मजदूर, गेट, बालू, सीमेंट और ईट तक लेकर आए थे, बाउंड्री वाल को तोड़कर वो लोग यहां गेट लगाना चाह रहे थे. वहीँ भू माफियाओं ने सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जस्टिस एमवाई इकबाल की जमीन पर जमीन पर बनी बाउंड्री को तोड़कर इस जमीन पर अपना कब्ज़ा कर लिया. वहीं जब ये मामला स्थानीय अखबार में छपी खबर के जरिए चर्चा में आया तब हाई कोर्ट के मामले में बड़ा कदम उठाया है.

कोर्ट ने एडीजी आरके मल्लिक को दिए जाँच के निर्देश 

वहीं इस मामले में करवाई करते हुए कोर्ट ने रांची एसएसपी से पूछा है कि, राजधानी रांची में भू माफियाओं द्वारा जमीन कब्जे से संबंधित कितनी शिकायतें आ चुकी है. इसके बाद पुलिस द्वारा मामले में कितने एफआईआर दर्ज किए गए हैं और पुलिस द्वारा इस पर क्या एक्शन लिया गया है और कितनी गिरफ्तारियां की गई हैं. वहीं कोर्ट ने मामले में एडिशनल डीजीपी आरके मलिक को जमीन कब्जे से संबंधित सभी मामलों की इंक्वायरी करने का निर्देश दिया है. साथ ही संबंधित पुलिस अधिकारियों को जरूरी सहायता प्रदान करने को भी कहा है. इसी के साथ अदालत ने रांची के एसएसपी को निजी तौर पर शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने दिया सीलबंद रिपोर्ट पेश करने का आदेश 

वहीं अदालत ने एडीजी आरके मल्लिक को जस्टिस एमवाई इकबाल की भूमि पर कब्जे की घटना की जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा है. रिपोर्ट में यह बताने को कहा गया है कि इस मामले में प्रथम दृष्टया इस घटना में कौन लोग शामिल हैं. यह घटना पुलिस की लापरवाही की वजह से हुई है या नहीं. एडीजी आरके मल्लिक को इसकी जांच कर सीलबंद रिपोर्ट पेश करने का निर्देश अदालत ने दिया.

18 जुलाई को होगी अगली सुनवाई 

वहीँ कोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई 18 जुलाई को करने का फैसला किया है. वहीं अदालत ने यह भी आदेश दिया है कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि अन्य बाहरी ताकतें भी हैं, जो ऐसी घटनाओं को बढ़ावा दे रही हैं और असामाजिक तत्वों और भूमि पर कब्जा करने वालों को बचा रही हैं.

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