Independence Day 2025: 15 अगस्त 2025 को भारत अपनी आज़ादी की 79वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। हर साल की तरह इस बार भी देशभर में जश्न का माहौल होगा, तिरंगा लहराएगा, राष्ट्रगान गूंजेगा और उन शहीदों को याद किया जाएगा जिनकी कुर्बानी से हम आज आज़ाद हैं। लेकिन आज़ादी सिर्फ अंग्रेज़ों की गुलामी से निकलना नहीं था, असली परीक्षा तब शुरू हुई जब भारत को खुद को एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के तौर पर पूरी दुनिया में पहचान दिलानी थी।
क्या सिर्फ आज़ादी काफी थी? (Independence Day 2025)
15 अगस्त 1947 को भारत ने ब्रिटिश राज से आज़ादी तो पा ली, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान तभी मिलती है जब बाकी देश उस आज़ाद मुल्क को राजनीतिक मान्यता दें। यानी बाकी देश मानें कि “हां, भारत अब एक स्वतंत्र राष्ट्र है, जिससे हम राजनयिक संबंध बना सकते हैं”।
सबसे पहले भारत को किसने मान्यता दी?
शायद बहुत से लोगों को यह नहीं पता होगा कि आज़ाद भारत को सबसे पहले किस देश ने मान्यता दी थी। इस पर इतिहास में एकदम साफ जानकारी नहीं है। लेकिन कई रिपोर्ट्स और विश्लेषण के अनुसार, भारत को सबसे पहले मान्यता देने वाले देशों में अमेरिका का नाम सबसे ऊपर आता है।
बताया जाता है कि अमेरिका ने भारत की आज़ादी से पहले ही यहां दूतावास (Embassy) खोल दिया था। ये इस बात का संकेत था कि वह भारत के साथ रिश्ते बनाने को तैयार था और भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र की तरह देख रहा था।
अन्य देशों का समर्थन
आज़ादी के बाद सोवियत संघ (USSR), इंग्लैंड और फ्रांस जैसे देशों ने भी भारत को मान्यता दी और राजनयिक रिश्ते कायम किए। भारत धीरे-धीरे वैश्विक मंच पर अपनी जगह बनाता चला गया।
पाकिस्तान को किसने दी थी सबसे पहले मान्यता?
अगर बात भारत के पड़ोसी पाकिस्तान की करें, तो ईरान वह पहला देश था जिसने पाकिस्तान को मान्यता दी थी। उस समय ईरान को “इम्पीरियल स्टेट ऑफ ईरान” कहा जाता था। भारत और पाकिस्तान, दोनों ही नए राष्ट्र थे और दोनों को अंतरराष्ट्रीय पहचान पाने के लिए ऐसे सहयोग की ज़रूरत थी।
जिन देशों को भारत आज भी मान्यता नहीं देता
आज भारत खुद एक वैश्विक ताकत बन चुका है, लेकिन फिर भी कुछ ऐसे देश हैं जिन्हें भारत स्वतंत्र राष्ट्र के तौर पर मान्यता नहीं देता। इनमें प्रमुख नाम हैं:
- अब्काजिया: जिसे कई देश अब भी जॉर्जिया का हिस्सा मानते हैं।
- कोसोवो: जो कि संयुक्त राष्ट्र का सदस्य नहीं है, लेकिन कई देशों ने उसे स्वतंत्र देश के रूप में स्वीकार किया है।
- ताइवान: भारत, “एक चीन नीति” के तहत ताइवान को अलग देश नहीं मानता।
- सोमालीलैंड: जो खुद को आज़ाद घोषित कर चुका है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसे मान्यता नहीं मिली।
क्यों ज़रूरी है मान्यता?
किसी देश को मान्यता मिलना सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि उसके अंतरराष्ट्रीय अस्तित्व की नींव होती है। यह कूटनीतिक, आर्थिक और सामरिक संबंधों की शुरुआत का पहला कदम होता है।
एक लंबा सफर
भारत का ये सफर, अंग्रेज़ों की गुलामी से निकलकर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र बनने तक, आसान नहीं रहा। लेकिन हर मान्यता, हर नए दोस्त देश और हर राजनयिक रिश्ते ने भारत को वहां पहुंचाया है जहां आज हम खड़े हैं गर्व, आत्मसम्मान और मजबूती के साथ।
15 अगस्त सिर्फ आज़ादी की तारीख नहीं, बल्कि हमारी पहचान बनने की कहानी का प्रतीक है — एक कहानी जो आज भी जारी है।