India China Border Row: 2022 में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उनके द्वारा दिया गया एक बयान भारतीय राजनीति में भूचाल ला सकता था। राहुल ने दावा किया कि चीन ने 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय जमीन पर कब्जा कर लिया है, और यह भी कहा कि 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं और हमारे सैनिकों को अरुणाचल प्रदेश में पीटा जा रहा है। यह बयान तत्कालीन समय में चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद से जुड़ा था, खासकर 2020 की गलवान घाटी की खूनी झड़प के बाद, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे।
राहुल गांधी के इस बयान ने न केवल विपक्ष और सरकार के बीच सियासी खाई को और गहरा किया, बल्कि इसने सुप्रीम कोर्ट का ध्यान भी खींचा। हाल ही में कोर्ट ने राहुल को फटकार लगाते हुए कहा कि एक सच्चा भारतीय ऐसे बयान नहीं देगा। अदालत ने पूछा, “आपको कैसे पता चला कि चीन ने 2000 वर्ग किमी भारतीय जमीन पर कब्जा कर लिया है?”
सुप्रीम कोर्ट की फटकार: राहुल गांधी को जवाब देने का निर्देश – India China Border Row
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के बयान पर कड़ी टिप्पणी की। अदालत ने कहा, “अगर आप सच्चे भारतीय हैं, तो आप ऐसी बातें नहीं कह सकते।” इसके अलावा, कोर्ट ने राहुल गांधी से पूछा कि “आपको कैसे पता चला कि चीन ने 2000 वर्ग किमी भारतीय जमीन पर कब्जा किया है?” कोर्ट ने कहा कि अगर राहुल गांधी विपक्ष के नेता हैं, तो उन्हें संसद में ऐसे मुद्दे उठाने चाहिए, न कि सोशल मीडिया पर। अदालत ने यह भी पूछा कि क्या राहुल गांधी के पास इस दावे के समर्थन में कोई प्रमाण है?
केंद्र सरकार का पक्ष: चीन ने 1962 के बाद भारतीय जमीन पर कब्जा नहीं किया
वहीं, केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू ने राहुल गांधी के बयान का जोरदार विरोध करते हुए कहा कि 1962 के बाद चीन ने भारत की एक इंच भी जमीन नहीं कब्जाई है। रिजिजू ने स्पष्ट किया कि 1962 का युद्ध एक अलग मामला था, और उसके बाद से चीन ने कोई नई घुसपैठ या कब्जा नहीं किया है। उन्होंने यह भी कहा कि अरुणाचल प्रदेश में जो विवाद था, वह 1959 का है, और 1962 में चीन ने कुछ हिस्सा लिया था, लेकिन उसके बाद से स्थिति स्थिर रही।
Supreme Court rebukes Shri Rahul Gandhi for irresponsible claim that Chinese occupied Indian Territory !
SC: How do you know 2000 Sqr km of Indian territory were occupied by Chinese ? A true Indian will not say this. https://t.co/ywa1FRa5ga
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) August 4, 2025
रिजिजू ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप भी शेयर की, जिसमें उन्होंने कहा कि चीन का आक्रमण 1962 में हुआ था, और इसके बाद से भारत की एक इंच भी जमीन चीन ने नहीं ली है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि चीन ने जहां कब्जा किया था, वह लोंगजू था, जिसे 1959 में असम राइफल्स के कैंप से कब्जा किया था।
विपक्ष का जवाब: क्या राहुल गांधी सच में देश का भला कर रहे हैं?
लेकिन दूसरी ओर विपक्ष ने सरकार और भाजपा पर आरोप लगाया है कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी इन गंभीर समस्याओं को छिपा रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने सोशल मीडिया पर लिखा, “चीन ने 50-60 किलोमीटर भारतीय सीमा पर कब्जा कर लिया है, लेकिन यह खबर मीडिया में नहीं आती।” उन्होंने इस संदर्भ में 2019 में भाजपा सांसद तापिर गाओ द्वारा उठाए गए मुद्दे का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में चीन द्वारा घुसपैठ करने का आरोप लगाया था।
“China has captured 50-60 km land inside Indian Territory. But this doesn’t make it to print or electronic media.”
Tapir Gao, BJP Lok Sabha MP 19.11.2019
He is a ‘True Indian’ to have raised this big concern in Parliament – even though his own party doesn’t care and continues… pic.twitter.com/hOj9u62xAe
— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) August 4, 2025
भा.ज.पा. सांसद तापिर गाओ का दावा: चीन ने अरुणाचल में घुसपैठ की
आपको बता दें, संसद में भाजपा सांसद तापिर गाओ ने 2019 में यह दावा किया था कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के एक हिस्से में घुसपैठ की है और 50-60 किलोमीटर भारतीय जमीन पर कब्जा कर लिया है। गाओ ने यह भी कहा था कि कुछ स्थानीय युवाओं ने देखा था कि चीन ने वहां एक अस्थाई बरसाती नाले पर पुल बना लिया था। हालांकि, भारतीय सेना ने इस पर कहा कि कोई भी घुसपैठ नहीं हुई है और सीमा विवाद का हल कूटनीतिक तरीके से किया जाएगा।
लेकिन इस बयान ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि भारत-चीन सीमा पर क्या वाकई कोई घुसपैठ हो रही है? और यदि हो रही है, तो सरकार क्यों इसे दबा रही है?
क्या सरकार सच में चीन के खिलाफ सख्त कदम उठा रही है?
राहुल गांधी के बयान पर भाजपा और सरकार ने ताबड़तोड़ जवाब दिया है, लेकिन सवाल अब भी कायम है कि क्या सरकार सच में चीन के खिलाफ सख्त कदम उठा रही है? क्या चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा किया है? यदि किया है, तो सरकार इस मुद्दे को क्यों दबा रही है और इसे मीडिया में क्यों नहीं लाया जा रहा?
गलवान घाटी विवाद: क्या सरकार ने चीन से निपटने के लिए सही कदम उठाए?
2020 में गलवान घाटी में हुए खूनी संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे और चीनी सेना के 40 सैनिक मारे गए थे। इस घटना ने दोनों देशों के रिश्तों को और जटिल बना दिया था। इसके बाद से यह सवाल भी उठने लगा था कि क्या सरकार ने चीन के खिलाफ सही कदम उठाए हैं? क्या सीमा पर तैनात भारतीय सैनिकों को चीन से निपटने के लिए सही तरीके से तैयार किया गया था?
इसके बावजूद केंद्र सरकार ने यह दावा किया है कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का हल कूटनीतिक तरीके से किया जाएगा। क्या यह सच है, या फिर यह केवल राजनीतिक बयानबाजी है?
क्या राहुल गांधी का दावा सही था? क्या सरकार सच में चीनी घुसपैठ से निपटने में सक्षम है?
आखिरकार यह सवाल उठता है – क्या राहुल गांधी ने सही सवाल उठाया था, या फिर यह राजनीतिक बयानबाजी का हिस्सा था? क्या सच में चीन ने 2000 वर्ग किमी भारतीय जमीन पर कब्जा किया है? और यदि हां, तो सरकार इस मामले को क्यों दबा रही है?
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को फटकार लगाई, लेकिन क्या यह सच्चाई को दबाने का तरीका है, या फिर यह केवल एक राजनीतिक स्टंट है?
यह मामला अब भी खुला हुआ है, और इसके उत्तर समय के साथ ही मिलेंगे। क्या सरकार वास्तविक स्थिति को सामने लाएगी, या फिर चीन के साथ अपनी कूटनीतिक संधियों को बचाने के लिए यह विवाद सुलझाया जाएगा?
एक बात तो साफ है – भारत-चीन सीमा विवाद अब भी एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है, जिस पर आने वाले समय में और अधिक बहस होनी तय है।
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