India Indus Water Treaty: भारत द्वारा सिंधु जल समझौता रद्द करने के बाद इसका असर पाकिस्तान में स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है। इंडस रिवर सिस्टम अथॉरिटी (IRSA) ने चिनाब नदी में जल प्रवाह में आई भारी अस्थिरता को लेकर गंभीर चिंता जताई है। इस बदलाव का असर सीधे पाकिस्तान के सेंट्रल पंजाब के चावल के क्षेत्र और मंगला डैम के जल भंडारण पर पड़ रहा है, जिससे क्षेत्रीय कृषि और जल सुरक्षा खतरे में आ गई है।
चिनाब नदी में जल प्रवाह में भारी उतार-चढ़ाव – India Indus Water Treaty
IRSA के प्रवक्ता खालिद इदरीस राणा ने बताया कि 29 मई को चिनाब नदी में औसत जल प्रवाह 69,100 क्यूसेक था, जो 30 मई को बढ़कर 78,000 क्यूसेक तक पहुंच गया। लेकिन अचानक 31 मई को जल प्रवाह 22,700 क्यूसेक तक गिर गया, जो एक गंभीर समस्या है।
उन्होंने कहा, “चिनाब नदी में जल प्रवाह का यह उतार-चढ़ाव न केवल सिंचाई के लिए आवश्यक पानी की आपूर्ति को प्रभावित करता है, बल्कि मंगला डैम के जल भंडारण पर भी भारी दबाव डालता है।”
मंगला डैम पर संकट
मंगला डैम पाकिस्तान के जल भंडारण और सिंचाई प्रणाली के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। IRSA ने इस स्थिति को देखते हुए मंगला जलाशय से जल प्रवाह को 10,000 क्यूसेक से बढ़ाकर 25,000 क्यूसेक कर दिया है ताकि सेंट्रल पंजाब के चावल की सिंचाई की जरूरतें पूरी हो सकें।
खालिद राणा ने यह भी बताया कि जल स्तर की अस्थिरता के कारण मंगला डैम के जल भंडारण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। मंगला डैम को 30 जून तक लगभग 80 प्रतिशत भरा होना जरूरी है, लेकिन वर्तमान हालात में यह लक्ष्य प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण नजर आ रहा है।
पंजाब के कृषि क्षेत्र के लिए खतरा
चिनाब नदी पाकिस्तान के पंजाब के कृषि क्षेत्रों के लिए जीवनरेखा है, खासकर खरीफ फसलों जैसे चावल की सिंचाई के लिए। पानी की अनियमित आपूर्ति से कृषि उत्पादन प्रभावित होगा, जिससे खाद्य सुरक्षा और किसानों की आय पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
खालिद राणा ने चेतावनी दी, “अगर भारत द्वारा जल प्रवाह में अनियमितता जारी रही, तो केवल चावल ही नहीं, बल्कि कपास, मक्का और गन्ना जैसी अन्य खरीफ फसलों पर भी बुरा असर पड़ेगा। यह स्थिति पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा है।”
पाकिस्तान की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिति पर प्रभाव
जल संकट के कारण किसानों की फसल प्रभावित होगी, जिससे न केवल स्थानीय बाजार में खाद्य संकट पैदा हो सकता है, बल्कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ेगा क्योंकि कृषि देश की प्रमुख आर्थिक गतिविधि है। सिंधु जल संधि के तहत भारत से उचित जल वितरण की अपेक्षा थी, जिसे रद्द किए जाने के बाद पाकिस्तान को भारी नुकसान हो सकता है।
IRSA की भारत से अपील
इंडस रिवर सिस्टम अथॉरिटी ने भारत से अनुरोध किया है कि वह सिंधु जल संधि के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करे और जल प्रवाह को नियमित बनाए रखे। यह न केवल दोनों देशों के बीच स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक है, बल्कि पाकिस्तान की खाद्य सुरक्षा और कृषि की रक्षा के लिए भी अहम है।