India Slams US-NATO: “मेरे बॉस का दिमाग प्रेशर लेने के लिए नहीं बना है…” भारत के केंद्रीय मंत्री ने अमेरिका और NATO की टैरिफ धमकियों का दिया जवाब

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India Slams US-NATO: भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदने पर नाटो प्रमुख मार्क रूट और पश्चिमी देशों की धमकियों का बेझिजक तरीके से जवाब दिया है। भारत ने साफ किया है कि ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दे पर किसी भी तरह के दोहरे मापदंडों को स्वीकार नहीं किया जाएगा। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने नाटो प्रमुख की धमकियों की खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि वह और उनके बॉस किसी भी तरह के दबाव को महसूस करने के लिए नहीं बने हैं और भारत अपनी स्वतंत्र ऊर्जा नीति के तहत अपना रास्ता तय करेगा।

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भारत का तर्क और नीति- India Slams US-NATO 

भारत की ऊर्जा सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की दिशा में यह कदम महत्वपूर्ण है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भी यह स्पष्ट किया कि भारत के लिए अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना सबसे बड़ा लक्ष्य है। उन्होंने कहा, “हम बाजार में उपलब्ध संसाधनों और मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों के आधार पर काम करते हैं।” इससे यह साफ जाहिर होता है कि भारत ने अपनी ऊर्जा नीति को स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाने का ठान लिया है, और यह पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद नहीं बदलेगा।

हरदीप सिंह पुरी का जवाब

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने नाटो चीफ की धमकियों का सख्त जवाब देते हुए कहा, “मैं अपने दिमाग पर किसी भी प्रकार का प्रेशर नहीं लेता, और मैं नहीं समझता कि मेरे बॉस का दिमाग प्रेशर लेने के लिए बना है। हम अपनी ताकत यहीं से महसूस करते हैं।” पुरी ने यह भी बताया कि फरवरी 2022 में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की शुरुआत के बाद से भारत रूस से कच्चा तेल खरीदने की मात्रा में वृद्धि कर चुका है। उन्होंने कहा, “जब तक मुझे याद है, हम रूस से अपनी कुल तेल जरूरत का सिर्फ 0.2 प्रतिशत खरीदते थे, लेकिन अब यह संख्या बढ़ चुकी है।”

भारत ने तेल सप्लाई में विविधता लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। पहले भारत 27 देशों से कच्चा तेल खरीदता था, अब यह संख्या बढ़कर 40 देशों तक पहुँच चुकी है। इस तरह से भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरी करने के लिए वैश्विक बाजार से तेल खरीदने में आत्मनिर्भर बना है।

भारत की ऊर्जा बाजार में भूमिका

भारत के ऊर्जा क्षेत्र की अहमियत को केंद्रीय मंत्री ने भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “भारत के आकार और ऊर्जा खपत को देखते हुए, यह ऊर्जा बाजार के लिए बेहद आवश्यक है। पिछले 10-11 सालों में, ऊर्जा बाजार में हुई कुल बढ़ोतरी का 16 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ भारत से आया है। आने वाले 20 वर्षों में, ऊर्जा क्षेत्र के विस्तार का 20 प्रतिशत भारत से होने की उम्मीद है।” यह आंकड़ा यह साबित करता है कि भारत वैश्विक ऊर्जा बाजार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

अमेरिका और नाटो की प्रतिक्रियाएं

अमेरिका और नाटो की आलोचना से यह स्पष्ट होता है कि वे भारत और अन्य देशों द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदने को यूक्रेन युद्ध से जोड़कर देख रहे हैं। अमेरिका का यह मानना है कि रूस भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों को तेल बेचकर यूक्रेन में संघर्ष जारी रखे हुए है। अमेरिका ने भारत को चेतावनी दी थी कि यदि वह रूस से तेल खरीदता है, तो उस पर 100 प्रतिशत सेकेंडरी सैंक्शन लगाए जाएंगे।

इसकी प्रतिक्रिया में, अमेरिका के रिपब्लिकन सीनेटर लिंडेस ग्राहम ने रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर 500 प्रतिशत तक के टैरिफ लगाने की योजना बनाई है। इससे भारत के निर्यात पर प्रभाव पड़ सकता है, खासकर अमेरिकी बाजार में।

भारत की नीति पर स्थिरता

भारत की ऊर्जा नीति हमेशा से स्पष्ट और स्थिर रही है। पेट्रोलियम मंत्री पुरी ने कहा, “हमने हमेशा यह सुनिश्चित किया है कि हमें अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कहां से भी तेल मिल सके, हम उसे खरीदेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सबसे बड़ा कमिटमेंट भारतीय उपभोक्ताओं के प्रति है।” भारत का यह स्पष्ट संदेश है कि वह किसी भी वैश्विक दबाव से प्रभावित होकर अपनी ऊर्जा नीति में बदलाव नहीं करेगा।

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