Indian Spy Sehmat Khan: यह कहानी एक ऐसे जज्बे की है जो देश की सेवा के लिए सब कुछ दांव पर लगा देने का हो, और यही जज्बा 1969 में दिल्ली यूनिवर्सिटी की एक छात्रा ने महसूस किया। जम्मू-कश्मीर की रहने वाली इस लड़की को एक दिन अचानक उसके पिता ने घर बुलाया। पिता का सपना था कि उनकी बेटी देश की सेवा में कुछ करे। इस भावना को महसूस करते हुए उस लड़की ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और कुछ सालों बाद वही लड़की ‘सहमत’ के नाम से भारत की जासूसी दुनिया में एक महत्वपूर्ण नाम बन गई।
पिता की प्रेरणा: खुफिया एजेंसी के साथ जुड़ा परिवार- Indian Spy Sehmat Khan
हरिंदर सिंह सिक्का के उपन्यास ‘कॉलिंग सहमत‘ के अनुसार, सहमत के पिता हरिंदर सिंह सिक्का भारत की खुफिया एजेंसी रॉ में वरिष्ठ अधिकारी थे। अपने व्यापारिक संबंधों के माध्यम से पाकिस्तान में कई लोगों के साथ उनके घनिष्ठ संपर्क थे, जिससे उन्हें 1965 के युद्ध के दौरान पाकिस्तान से महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने और उसे भारतीय खुफिया एजेंसी को देने में मदद मिली। हालाँकि, सहमत के पिता की हालत बहुत खराब थी क्योंकि वे कैंसर से जूझ रहे थे। अपने अंतिम समय में, उन्होंने अपनी बेटी को खुफिया एजेंट के रूप में काम करने की सलाह दी। सहमत ने अपने पिता की इच्छा को पूरा करने का दृढ़ निश्चय किया।
पाकिस्तान में जासूसी मिशन: शादी से लेकर खुफिया जानकारी तक
उस समय सिर्फ़ 20 साल की सहमत ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही थी और साथ ही शास्त्रीय नृत्य और वायलिन भी सीख रही थी। अपने पिता की इच्छा के अनुसार उसने अपनी ज़िंदगी बदल दी। उसे एक गुप्त मिशन पर पाकिस्तान भेजा गया। उसके मिशन का उद्देश्य पाकिस्तानी सेना के शीर्ष अधिकारियों की योजनाओं के बारे में जानकारी जुटाना था। इस मिशन के लिए सहमत को एक वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारी इकबाल सैयद से शादी करनी पड़ी। इकबाल का परिवार पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों में से एक था और यह शादी सहमत के लिए पाकिस्तान के रक्षा और खुफिया हलकों तक पहुँच बनाने का एक तरीका था।
सेना के भीतर पैठ और विश्वास का निर्माण
सहमत ने पाकिस्तान में अपनी ससुराल और आर्मी क्वार्टर में रहने वाले अन्य परिवारों का विश्वास भी जीता। उन्होंने आर्मी स्कूल में बच्चों को संगीत और नृत्य की ट्रेनिंग देना शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बच्चे भी पढ़ते थे। धीरे-धीरे सहमत ने सेना और खुफिया क्षेत्रों में अपनी स्थिति मजबूत की और कई महत्वपूर्ण जानकारी इकट्ठा की। उनकी वजह से उनके ससुर, ब्रिगेडियर परवेज सैयद को भी एक प्रमोशन मिला।
PNS गाजी को नष्ट करना: भारत की रणनीतिक सफलता
1971 के युद्ध के दौरान, पाकिस्तान ने बंगाल की खाड़ी में तैनात भारतीय युद्धपोत को निशाना बनाने के लिए अपनी मिसाइलों से लैस पनडुब्बी PNS गाजी भेजी। सहमत को इसकी जानकारी मिली और उन्होंने भारतीय नौसेना को इसकी पोजिशनिंग की सूचना दी। भारतीय नौसेना ने तत्परता से कार्रवाई करते हुए इस पनडुब्बी को डुबो दिया, जिससे पाकिस्तान को करारा झटका लगा और युद्ध में भारत को बड़ी सफलता मिली।
वापसी और जीवन के अंतिम दिन
युद्ध के बाद, सहमत की असलियत धीरे-धीरे खुलने लगी। उनके ससुराल के एक सदस्य को शक हो गया और उन्होंने सहमत को मारने की कोशिश की, लेकिन सहमत ने उसे अपनी जान बचाने के लिए मार डाला। उनकी असलियत सामने आने के बाद, सहमत के पति इकबाल ने भी उन्हें जान लिया। सहमत को सुरक्षित रूप से भारत वापस लाया गया। गर्भवती होने के बावजूद, उन्होंने अपने जीवन के बाकी पल पंजाब के मलेरकोटला में बिताए। उनके पहले प्यार ने उनका बेटा पाला, जो बाद में भारतीय सेना में अफसर बना।
सहमत का गुप्त जीवन और निधन
सहमत का निधन 2018 में हुआ, लेकिन उनकी असली पहचान अब भी गुप्त रखी गई है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनके बेटे पर कोई खतरा न हो, उनकी पहचान आज तक गुप्त रखी गई है। सहमत की यह कहानी न केवल देश के लिए बलिदान की मिसाल है, बल्कि एक नायक की पहचान भी बन चुकी है। उनकी कहानी भारतीय खुफिया दुनिया में एक अनमोल धरोहर बनकर हमेशा जीवित रहेगी।