Indore News: मध्य प्रदेश के इंदौर जिले से एक दुखद घटना सामने आई है, जिसमें एक तीन वर्षीय बच्ची, वियाना जैन, ने ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित होने के बाद जैन धर्म के एक खास अनुष्ठान के तहत अपनी मृत्यु को गले लगा लिया। इस अनुष्ठान का नाम संथारा है, जिसे सल्लेखना या समाधि मरण भी कहा जाता है। वियाना जैन के माता-पिता ने अपनी इकलौती संतान के साथ जैन मुनि की सलाह पर यह कदम उठाया, और 21 मार्च को बच्ची की मृत्यु हो गई।
संथारा: जैन धर्म का विवादित अनुष्ठान- Indore News
संथारा, जिसे जैन धर्म में सल्लेखना या समाधि मरण के रूप में भी जाना जाता है, एक स्वेच्छिक अनुष्ठान है जिसमें व्यक्ति अपने अंतिम समय में धीरे-धीरे भोजन और पानी का त्याग करता है, ताकि वह शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध हो सके। इस अनुष्ठान को पवित्र माना जाता है, और जब किसी को लगता है कि उसकी मृत्यु निकट है, तो वह इस अनुष्ठान का पालन करता है। यह प्रथा जैन समाज में आध्यात्मिक शुद्धता और आत्मनिर्वाण प्राप्त करने के साधन के रूप में देखी जाती है।
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज
वियाना जैन के माता-पिता, जो आईटी प्रोफेशनल्स हैं, ने जैन मुनि राजेश मुनि महाराज की सलाह पर अपनी बेटी को संथारा व्रत दिलाने का निर्णय लिया। उनके इस कदम को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा पहचान मिली है। वियाना जैन को “दुनिया की सबसे कम उम्र की व्यक्ति” के रूप में सम्मानित किया गया है, जिन्होंने जैन धर्म के इस अनुष्ठान की शपथ ली थी। वियाना के माता-पिता के अनुसार, यह उनके लिए एक भावनात्मक और कठिन निर्णय था, लेकिन वे मानते थे कि यह उनकी बेटी के लिए सही रास्ता था।
बच्ची का स्वास्थ्य और जैन मुनि से सलाह
वियाना के पिता, पीयूष जैन ने बताया कि जनवरी में उनकी बेटी को ब्रेन ट्यूमर का पता चला था। उसके बाद सर्जरी भी की गई थी, लेकिन मार्च में उसकी हालत अचानक बिगड़ गई और उसे खाने-पीने में मुश्किल होने लगी। इस कठिन स्थिति में, पीयूष और उनकी पत्नी ने जैन मुनि राजेश मुनि महाराज से मिलने का फैसला किया। मुनि ने उनकी बेटी की गंभीर हालत देखकर सलाह दी कि वियाना को संथारा व्रत लेना चाहिए, क्योंकि उसकी मृत्यु निकट थी। इस सुझाव पर विचार करने के बाद, उन्होंने अपनी बेटी को संथारा की दीक्षा दिलाने का निर्णय लिया।
वियाना के अंतिम क्षण और माता-पिता की भावना
वियाना की मां, वर्षा जैन ने अपनी बेटी की स्थिति को याद करते हुए कहा कि यह कदम उठाना उनके लिए अत्यंत कठिन था। उन्होंने कहा, “मेरी बेटी बहुत पीड़ित थी, और उसे इस तरह देखना मेरे लिए बहुत दर्दनाक था। लेकिन मुझे उम्मीद है कि मेरी बेटी अगले जन्म में हमेशा खुश रहेगी।” वियाना की मृत्यु के बाद, उसके माता-पिता ने यह भी कहा कि वे चाहते थे कि उनकी बेटी को शांति मिले और उसका अगला जीवन सुखी हो।
संथारा पर बहस और कानूनी विवाद
संथारा प्रथा पर विवाद 2015 में उस समय बढ़ गया था, जब राजस्थान उच्च न्यायालय ने इसे भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 309 (आत्महत्या का प्रयास) के तहत अपराध घोषित किया था। हालांकि, जैन समुदाय के धार्मिक निकायों द्वारा की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी। इस विवाद ने इस प्रथा के कानूनी और धार्मिक पक्षों को और अधिक जटिल बना दिया है, क्योंकि इसे धर्म और आत्मनिर्वाण के रूप में देखा जाता है, जबकि अन्य लोग इसे एक विवादास्पद और संवेदनशील मुद्दा मानते हैं।