Indus Waters Treaty: भारत ने सिंधु नदी के पानी को लेकर एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिसे न केवल रणनीतिक दृष्टिकोण से, बल्कि देश के चार राज्यों के लिए वरदान माना जा सकता है। सरकार ने ऐलान किया है कि अब इस पानी का उपयोग राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, और दिल्ली की जल आपूर्ति की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाएगा। यह कदम विशेष रूप से 2019 में पुलवामा हमले के बाद लिया गया था, जब भारत ने पाकिस्तान को सिंधु नदी का पानी देना बंद कर दिया था। अब यह पानी भारत के सूखाग्रस्त और जल संकट से जूझ रहे क्षेत्रों की प्यास बुझाने में काम आएगा।
जल शक्ति मंत्रालय की त्वरित और प्रभावी कार्रवाई- Indus Waters Treaty
भारत सरकार ने इस योजना को लागू करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय को युद्ध स्तर पर काम करने का निर्देश दिया है। मंत्रालय इस महत्वपूर्ण कदम को धरातल पर उतारने के लिए दिन-रात जुटा हुआ है। जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने स्पष्ट रूप से कहा है, ‘पाकिस्तान को अब एक बूंद भी पानी नहीं मिलेगा’ और साथ ही यह भी सुनिश्चित किया कि सिंधु जल समझौता 100% लागू किया जाएगा। पाटिल ने इस दिशा में कोई भी कोताही न बरतने का वचन दिया है, ताकि पानी का सही तरीके से उपयोग हो सके।
गृह मंत्री अमित शाह की अहम भूमिका
इस फैसले के पीछे गृह मंत्री अमित शाह की रणनीतिक भूमिका रही है। उनकी अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें इस योजना के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की गई। अमित शाह ने इस योजना को लागू करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए, जिन्हें अब सावधानीपूर्वक और धीरे-धीरे लागू किया जाएगा। जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने इस बात को स्वीकार किया कि अमित शाह के सुझावों को पूरी तरह से अमल में लाया जाएगा, ताकि यह योजना सफलता की ओर बढ़े। हर कदम सोच-समझ कर उठाया जाएगा, यह सुनिश्चित किया जा रहा है।
वर्ल्ड बैंक का स्पष्टीकरण
इस मुद्दे पर मीडिया में चल रही अटकलों पर वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने सफाई दी है। उन्होंने कहा, ‘हमारी भूमिका केवल सुविधा प्रदान करने तक सीमित है।‘ बंगा ने यह भी कहा कि वर्ल्ड बैंक इस मामले में किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं करेगा और न ही कोई निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल होगा। उनके अनुसार, मीडिया में जो अटकलें चल रही हैं, वो बेबुनियाद हैं। उनकी यह टिप्पणी भारत की स्थिति को स्पष्ट करती है कि इस मुद्दे में भारत पूरी तरह से स्वतंत्र है और किसी बाहरी दबाव को स्वीकार नहीं करेगा।
चार राज्यों के लिए नई उम्मीद
इस ऐतिहासिक फैसले का सबसे बड़ा फायदा राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, और दिल्ली के लोगों को होगा। इन राज्यों में पानी की भारी कमी लंबे समय से एक बड़ी समस्या रही है। अब तक पाकिस्तान की ओर बहने वाला सिंधु नदी का पानी बर्बाद हो जाता था, लेकिन अब इस पानी का सही उपयोग किया जाएगा। इससे न केवल इन राज्यों में सिंचाई और पीने के पानी की समस्या हल होगी, बल्कि यह इन क्षेत्रों में समृद्धि और विकास के नए अवसर भी प्रदान करेगा।
सिंधु जल समझौता: एक नज़र में
सिंधु जल समझौता 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था। इस समझौते के तहत सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों का पानी दोनों देशों के बीच बांटा गया था। हालांकि, भारत ने हमेशा इस समझौते का पालन किया है, लेकिन अब भारत सरकार ने एक सख्त रुख अपनाया है और अपने हिस्से के पानी का पूरा उपयोग करने का निर्णय लिया है। यह कदम भारत की बढ़ती जल आवश्यकताओं को पूरा करने और देश के जल संकट को सुलझाने के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।