ISIS-style Conversion: आगरा में धर्मांतरण का मामला धीरे-धीरे एक बड़े साजिश का रूप लेता जा रहा है। शुरुआत एक मामूली गुमशुदगी की जांच से हुई थी, लेकिन अब जो सच सामने आ रहा है, वह किसी को भी चौंका सकता है। पुलिस और ATS की संयुक्त जांच में सामने आया है कि यह मामला केवल एक साधारण धर्मांतरण का नहीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रही भारत विरोधी साजिश का हिस्सा है। इसमें ISIS और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के पैटर्न का पालन किया जा रहा था, जिसमें बड़ी फंडिंग, फर्जी पहचान, और नाबालिग लड़कियों को ब्रेनवाश कर धर्म परिवर्तन के लिए तैयार किया जा रहा था।
गुमशुदगी से खुली साजिश- ISIS-style Conversion
आगरा के एक परिवार की दो बहनों की गुमशुदगी से इस पूरे खेल का पर्दाफाश हुआ। 24 मार्च 2025 को जब पुलिस ने जांच शुरू की, तो पता चला कि बड़ी बहन ने पहले भी 2021 में घर से भागकर कश्मीर जाने की कोशिश की थी। कश्मीर में उसे एक महिला सायमा से मुलाकात हुई थी, जिसने उसे इस्लाम की ओर आकर्षित किया। हालांकि, पुलिस ने समय रहते उसे वापस लाकर परिवार को सौंप दिया था। लेकिन चार साल बाद वह अपनी छोटी बहन को लेकर फिर लापता हो गई। इस बार दोनों को कोलकाता से पकड़ा गया।
आयशा उर्फ एसबी कृष्णा: नेटवर्क की फाइनेंसर
पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि इस साजिश के पीछे गोवा की आयशा उर्फ एसबी कृष्णा का हाथ था। आयशा फंडिंग का काम देखती थी और कनाडा में बैठे सैय्यद दाऊद अहमद से आने वाली फंडिंग को भारत में बांटती थी। यह पैसे यूएई, लंदन और अमेरिका जैसे देशों से होकर भारत भेजे जाते थे, ताकि उन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो सके। इसके अलावा, आयशा के पति शेखर राय उर्फ हसन अली कोलकाता से कानूनी मामलों को संभालता था, जैसे फर्जी पहचान पत्र बनवाना और नाम बदलने की प्रक्रिया।
धर्मांतरण के लिए नाबालिगों को बहलाना
इस साजिश में शामिल एक और प्रमुख किरदार मनोज उर्फ मुस्तफा था, जो नाबालिग लड़कियों को नई जिंदगी का सपना दिखाकर उन्हें बहकाता था। वह लड़कियों के लिए फर्जी पहचान पत्र और मोबाइल सिम कार्ड्स का इंतजाम करता था। इन लड़कियों को ट्रेन के बजाय बसों से भेजा जाता था, ताकि उनका ट्रैक करना मुश्किल हो सके। इन लड़कियों को उत्तर भारत के अलग-अलग हिस्सों में भेजा जाता, जहां उन्हें इस्लामी जीवनशैली अपनाने के लिए दबाव डाला जाता था।
प्रोपेगेंडा फैलाने का आरोप
इस साजिश में एक और नाम सामने आया है अब्दुल रहमान कुरैशी का, जो आगरा का रहने वाला था। वह यूट्यूब पर एक चैनल चलाता था और अपने पॉडकास्ट के जरिए इस्लामी कट्टरपंथ और हिंदू धर्म के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाता था। इसके अलावा, कोलकाता से गिरफ्तार ओसामा भी लड़कियों को इस्लामी बहन बनाने की ट्रेनिंग देता था।
पीड़ित परिवार की कहानी
इन घटनाओं के बाद पीड़ित परिवार का कहना है कि उनकी बड़ी बेटी, जो कभी नवरात्रि के व्रत रखती थी और देवी-देवताओं की पूजा करती थी, अचानक ही इस्लाम की ओर झुकाव महसूस करने लगी। वह हिजाब पहनने और पर्दा करने की बातें करने लगी और अपने परिवार को मूर्तिपूजक कहने लगी। इसके बाद वह अपनी छोटी बहन को लेकर भाग गई।
आतंकी लिंक और अंतरराष्ट्रीय फंडिंग
पुलिस और ATS की जांच में यह भी सामने आया कि इस धर्मांतरण नेटवर्क का आतंकी संगठनों से भी संबंध है। विदेशों से आने वाली फंडिंग को आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल किया जाता था। सोशल मीडिया पर जैसे इंस्टाग्राम, फेसबुक और यूट्यूब का इस्तेमाल करके हिंदू धर्म के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाया जाता था।
भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश
ATS अधिकारियों का कहना है कि यह सिर्फ धर्मांतरण का मामला नहीं, बल्कि भारत को धीरे-धीरे इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश थी। इसके लिए खासकर युवाओं को टारगेट किया गया, उन्हें पैसे और नौकरी का लालच देकर इस नेटवर्क से जोड़ा गया। लड़कियों को विशेष रूप से टारगेट किया गया, ताकि उनका इस्तेमाल लव जिहाद और अन्य गतिविधियों के लिए किया जा सके।