Jagadguru Rambhadracharya Wants POK: भारतीय थलसेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बुधवार को धर्मनगरी चित्रकूट का दौरा किया, जहां उन्होंने जगद्गुरु रामभद्राचार्य के आश्रम पहुंचकर उनसे गुरु दीक्षा ली और गुरु दक्षिणा के तौर पर जगद्गुरु ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) की वापसी की मांग की। इस अवसर पर सेना प्रमुख ने अपने साथ पत्नी को भी साथ लेकर भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में धार्मिक अनुष्ठान किए।
चित्रकूट में भव्य स्वागत और कड़ी सुरक्षा- Jagadguru Rambhadracharya Wants POK
सेना प्रमुख के आगमन के चलते चित्रकूट क्षेत्र को पूरी तरह सेना की छावनी में बदल दिया गया था। बुधवार सुबह लगभग 9 बजे उनका हेलीकॉप्टर दीनदयाल शोध संस्थान के आरोग्यधाम परिसर के हेलीपैड पर उतरा। हेलीपैड से लेकर तुलसीपीठ तक पूरे क्षेत्र में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था लागू की गई थी। विभिन्न स्थानों पर बैरिकेड्स लगाकर आम जनता की आवाजाही पर रोक लगा दी गई थी। जानकीकुंड स्थित सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय में इलाज के लिए आने वाले लोगों को भी इस सुरक्षा प्रबंध के कारण असुविधा का सामना करना पड़ा। मध्यप्रदेश पुलिस के अधिकारी भी सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी कर रहे थे, जबकि सेना के जवान हर प्रमुख स्थान पर सतर्कता से तैनात थे।
तुलसीपीठ आश्रम में धार्मिक अनुष्ठान
सुरक्षा के घेरे में सेना प्रमुख का काफिला जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य के तुलसीपीठ आश्रम पहुंचा। यहां जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कांच मंदिर में विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की और जगद्गुरु रामभद्राचार्य से मुलाकात कर आशीर्वाद प्राप्त किया। उन्होंने जगद्गुरु के स्वास्थ्य की भी जानकारी ली। इसके बाद जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने उन्हें गुरु दीक्षा प्रदान की। इस दौरान सेना प्रमुख ने गुरु दक्षिणा के तौर पर पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (PoK) वापस लेने की मांग जताई।
पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (PoK) की वापसी की मांग
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने बताया कि दीक्षा के समय उन्होंने सेना प्रमुख से स्पष्ट रूप से कहा कि वे PoK की वापसी चाहते हैं। इस मांग से यह साफ होता है कि भारतीय सेना के उच्चतम पदाधिकारी न केवल सीमा सुरक्षा पर फोकस कर रहे हैं, बल्कि इस क्षेत्र की राजनीतिक और रणनीतिक अहमियत को भी समझते हैं।
धार्मिक श्रद्धा और राष्ट्रभक्ति का संगम
सेना प्रमुख का यह धार्मिक और आध्यात्मिक दौरा उनके राष्ट्रीय कर्तव्य और विश्वास का प्रतीक माना जा रहा है। चित्रकूट, जहां भगवान श्रीराम ने तपस्या की थी, का यह दौरा इस बात को भी दर्शाता है कि वे अपने आध्यात्मिक विश्वास से प्रेरणा लेकर देश की रक्षा और सीमाओं की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।
जनरल उपेंद्र द्विवेदी का चित्रकूट का यह दौरा न केवल एक आध्यात्मिक यात्रा थी बल्कि एक सशक्त संदेश भी था कि भारतीय सेना सीमाओं की रक्षा के साथ-साथ देश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को भी महत्व देती है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) की वापसी की मांग उनके राष्ट्रीय दृष्टिकोण और सेना की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इस प्रकार का आध्यात्मिक और रणनीतिक संतुलन देश के सुरक्षा तंत्र को और मजबूत बनाता है।