JPNIC Lucknow Project: लखनऊ में स्थित जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (JPNIC) लंबे समय से बंद पड़ा था, लेकिन अब यह जल्द ही आम जनता के लिए खोला जाएगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने इस प्रोजेक्ट को लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) को ट्रांसफर करने का निर्णय लिया है, ताकि इसे फिर से चालू किया जा सके। इस सेंटर की मरम्मत और संचालन पर करीब 150 करोड़ रुपए की लागत आने की संभावना है।
JPNIC: एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की शुरुआत- JPNIC Lucknow Project
जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर का निर्माण 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में शुरू हुआ था। गोमतीनगर में स्थित इस 19 मंजिला कन्वेंशन सेंटर को दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर के तर्ज पर डिज़ाइन किया गया था। इस सेंटर में 2000 लोगों की क्षमता वाला एक कन्वेंशन हॉल, प्रदर्शनी हॉल, ओपन एयर थिएटर, अत्याधुनिक जिम, और हैलीपैड जैसी सुविधाएं शामिल थीं। यह केंद्र लखनऊ को एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और व्यावसायिक स्थल प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
भ्रष्टाचार के आरोप और निर्माण में बाधाएं
प्रोजेक्ट की शुरुआत के बाद से ही निर्माण कार्य तेजी से शुरू हुआ था, लेकिन 2017 में योगी सरकार के आने के बाद इस प्रोजेक्ट को कई विवादों का सामना करना पड़ा। आरोप लगे कि प्रोजेक्ट के फंड में हेराफेरी की गई और निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया। इन आरोपों के चलते सरकार ने इस प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य पर रोक लगा दी थी। इसके बाद से यह सेंटर बंद पड़ा हुआ था और इसे लेकर कई जांच भी की गईं, जिनमें कई अधिकारी दोषी पाए गए, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
LDA को सौंपा गया जिम्मा
अब, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस प्रोजेक्ट को लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) को सौंपने का निर्णय लिया है। इससे पहले, प्रोजेक्ट का निर्माण शासन की निगरानी में LDA द्वारा किया जा रहा था, लेकिन अब इसके संचालन और निर्माण का पूरा अधिकार LDA को दिया जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार, इस केंद्र को पूरी तरह से चालू होने में लगभग एक साल का समय लगेगा और इसके लिए 150 करोड़ रुपए की लागत आएगी। प्राधिकरण इसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर भी चला सकता है।
बदहाल स्थिति और जर्जर भवन
लखनऊ के इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट की हालत अब बहुत खराब हो चुकी है। सेंटर के अंदर का माहौल जर्जर हो चुका है और इसके चारों ओर घना जंगल उग आया है। करोड़ों की लागत से बने ओलिंपिक साइज स्विमिंग पूल का हाल भी बुरा है, जो अब कबाड़ जैसा दिखता है। कन्वेंशन ब्लॉक, म्यूजियम, और पार्किंग एरिया भी खस्ताहाल हो चुके हैं। सेंटर में लगाए गए 50 करोड़ रुपए के महंगे विदेशी उपकरण अब बेकार हो चुके हैं, क्योंकि इनका इस्तेमाल नहीं हुआ और चूहों ने इनकी वायरिंग को काट दिया है। कई स्थानों पर बारिश का पानी भी घुस चुका है, और इन उपकरणों की वारंटी भी समाप्त हो चुकी है।
कुल लागत में वृद्धि और सदस्यता विवाद
JPNIC के निर्माण की लागत भी तीन बार बढ़ चुकी है। शुरुआत में इसे 265.58 करोड़ रुपए की लागत से शुरू किया गया था, लेकिन यह 864.99 करोड़ रुपए तक पहुंच गई। अब LDA ने इसके लिए 150 करोड़ रुपए और मांगे हैं। इसके अलावा, सेंटर की सदस्यता के लिए दो लाख रुपए तक की फीस तय की गई थी, लेकिन अब LDA ने इन सदस्यताओं को समाप्त करने का प्रस्ताव भेजा है। अब तक लगभग 500 सदस्य बनाए जा चुके थे, लेकिन अब इन सदस्यताओं का कोई महत्व नहीं रहेगा।
भ्रष्टाचार की जांच और अब तक की कार्रवाई
इस प्रोजेक्ट की अनियमितताओं के चलते अब तक तीन बार जांच हो चुकी है – दो बार शासन स्तर पर और एक बार RITES द्वारा। इन जांचों में कई अधिकारी दोषी पाए गए, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। अब तक जिन अधिकारियों पर आरोप लगे हैं, उनमें LDA के तत्कालीन वीसी, मुख्य अभियंता और वित्त नियंत्रक शामिल हैं।