Kanpur News: कानपुर में उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की सदस्य अनीता गुप्ता और पुलिस विभाग के बीच चल रहा विवाद इन दिनों चर्चाओं में है। मामला बर्रा थाने के निरीक्षण से जुड़ा है, जिसके बाद पुलिस की ओर से भेजे गए एक पत्र ने पूरे घटनाक्रम को और गर्मा दिया। अब यह मुद्दा पुलिस प्रशासन से होते हुए राज्य महिला आयोग तक पहुंच चुका है।
क्या है पूरा मामला? (Kanpur News)
22 नवंबर को महिला आयोग की सदस्य अनीता गुप्ता किसी शिकायत के समाधान को लेकर बर्रा थाने पहुंची थीं। उनके अनुसार यह सार्वजनिक विज़िट थी, जो कोई भी नागरिक कर सकता है। लेकिन उनके जाने के कुछ दिन बाद संयुक्त पुलिस आयुक्त (JCP) विनोद कुमार सिंह ने उन्हें एक पत्र भेजा।
कानपुर पुलिस ने महिला आयोग की सदस्य को टेलर दे दिया है..
सीधे-सीधे कह दिया कि महिला आयोग के सदस्यों को पुलिस थानों के निरीक्षण करने का अधिकार नहीं है.. इससे पुलिस के दैनिक कार्य में अनावश्यक व्यवधान होता है इसलिए दृढ़तापूर्वक अपेक्षा की जाती है कि अपने अधिकारों और शक्तियों के… pic.twitter.com/ElIxzedv20— Vivek K. Tripathi (@meevkt) November 26, 2025
इस पत्र में लिखा गया कि कानूनी नियमों के अनुसार राज्य महिला आयोग के सदस्यों को “पुलिस थानों का सीधे निरीक्षण करने का अधिकार नहीं है” और ऐसा करने से “दैनिक पुलिस कार्य में बाधा” उत्पन्न होती है। पत्र में यह भी कहा गया कि पुलिस विभाग की आंतरिक कार्यप्रणाली से जुड़े निरीक्षण उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते।
अनीता गुप्ता की नाराजगी
अनीता गुप्ता ने इस पत्र को न सिर्फ गैरजरूरी बताया, बल्कि आरोप लगाया कि पत्र की भाषा अभद्र और अपमानजनक थी। उन्होंने कहा कि JCP उन्हें नोटिस देने के अधिकृत भी नहीं थे, और यह पूरी प्रक्रिया शिष्टाचार के मानकों के खिलाफ थी। इसके तुरंत बाद उन्होंने इस मामले की जानकारी महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान को दे दी और आयोग स्तर पर कार्रवाई करने की बात कही।
अनीता गुप्ता ने कहा कि एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के साथ ऐसा बर्ताव अस्वीकार्य है और इससे पुलिस के आचरण पर भी सवाल उठते हैं।
कमिश्नर ने क्या कहा?
विवाद बढ़ने पर कानपुर पुलिस कमिश्नर रघुवीर लाल ने आगे आकर स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने स्वीकार किया कि पत्र में उपयोग की गई भाषा “उचित और अपेक्षित शिष्टाचार” वाली नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इस पत्र के बारे में देर से जानकारी मिली, और अब वे विभागीय स्पष्टीकरण मांग रहे हैं कि यह दस्तावेज उनके संज्ञान में पहले क्यों नहीं लाया गया।
कमिश्नर ने निर्देश दिया कि भविष्य में किसी भी उच्च पद पर बैठे व्यक्ति से जुड़े पत्राचार में भाषा संयमित और सम्मानजनक होनी चाहिए, और ऐसे मामलों की सूचना उन्हें तुरंत दी जाए।
गलतफहमी दूर होने का दावा
कमिश्नर रघुवीर लाल ने बताया कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से अनीता गुप्ता और संयुक्त पुलिस आयुक्त दोनों से बात की है। बातचीत के बाद स्थिति साफ हुई कि मामला असल में गलतफहमी की वजह से बढ़ा। उन्होंने कहा कि अनीता गुप्ता किसी शिकायत के निपटारे के लिए थाने गई थीं, और इस तरह की विज़िट किसी भी व्यक्ति द्वारा की जा सकती है।
पुलिस कमिश्नर ने कहा, “गलतफहमी को दूर कर दिया गया है। अब दोनों पक्षों के बीच कोई आपत्ति नहीं है। महिलाओं की सुरक्षा और उनके सम्मान के लिए पुलिस और महिला आयोग दोनों का मिलकर काम करना बेहद जरूरी है।”
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