कोलकाता कांड में पुलिस-प्रशासन की वो 5 बड़ी लापरवाहियां जो ममता बनर्जी के लिए बनी मुसीबत!

Kolkat Rape Murder West Bengal CM Mamata Banerjee
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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डॉक्टर की हत्या और बलात्कार के मामले में जूनियर डॉक्टर लगातार न्याय की मांग कर रहे हैं। हालांकि, इस मामले का अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है। विरोध प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर मेडिकल शिक्षा निदेशक, कोलकाता पुलिस कमिश्नर और इस मामले के प्रभारी स्वास्थ्य सचिव के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। हालांकि, कोलकाता में हुई इस घटना के बाद पुलिस प्रशासन ने मामले को उलझाने का ही काम किया है और अन्य गंभीर गलतियां की हैं, जिससे अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मुश्किल में फंस गई हैं।

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सीबीआई ने इन गलतियों और आरोपों के आधार पर टाला थाना प्रभारी (ओसी) अभिजीत मंडल और पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को हिरासत में लिया है। सीबीआई की हिरासत में रहते हुए इन दोनों से इस मामले में लगातार पूछताछ की जा रही है। साथ ही, इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या ममता बनर्जी मुख्यमंत्री पद से हटेंगी? भले ही इसमें कुछ समय लगे, लेकिन आइए पहले बात करते हैं उन पांच बड़ी गलतियों के बारे में जो अब ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ा रही हैं।

बलात्कार और हत्या और आत्महत्या के बीच का कन्फ्यूजन

9 अगस्त को सुबह 9:58 बजे आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के बारे में पता चला, लेकिन उन्होंने तुरंत पुलिस को फोन नहीं किया। बहुत देर बाद ही उन्होंने मेडिकल सुपरिंटेंडेंट को एक अस्पष्ट शिकायत की, जबकि मृतक को दोपहर 12:44 बजे मृत घोषित कर दिया गया था। उन्होंने स्थिति को आत्महत्या के रूप में प्रस्तुत करने का भी प्रयास किया।

क्राइम सीन संरक्षित और सुरक्षित करने में विफल रही पुलिस

अपराध स्थल की सुरक्षा को और भी अधिक जोखिम में डाला गया। कोलकाता पुलिस के पहुंचने से पहले और बाद में, अपराध स्थल पर काफी भीड़ जमा हो गई थी। पुलिस द्वारा अपराध स्थल को किसी भी तरह से सुरक्षित या संरक्षित नहीं किया गया था। यहां तक ​​कि आवश्यक बाड़बंदी भी पूरी नहीं की गई थी। घटना के कुछ दिनों बाद ही वीडियो और तस्वीरें वायरल हो गईं, जिसमें पुलिस के साथ अपराध स्थल पर अनधिकृत व्यक्तियों को दिखाया गया। इसके अलावा, यहां तक ​​कि मुख्य आरोपी संजय रॉय के कपड़े और सामान (फोरेंसिक जांच के लिए आवश्यक) को जब्त करने में भी दो दिनों की अनावश्यक देरी की गई, जबकि अपराध में उसकी भूमिका के बारे में जानकारी घटना के तुरंत बाद ही सामने आ गई थी।

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पीड़िता का पोस्टमार्टम दुबारा कराने नहीं दिया

अस्पताल प्रशासन ने पीड़िता के परिवार को आत्महत्या के बारे में पहले ही सूचित कर दिया था। उसके परिवार के लोग घटनास्थल पर पहुंचे, लेकिन उन्हें उसके पास जाने की अनुमति नहीं दी गई। इसके बाद पोस्टमॉर्टम भी स्थगित कर दिया गया। इसके बाद पीड़िता के रिश्तेदारों ने दूसरी बार वीडियो निगरानी में पोस्टमॉर्टम कराने की मांग की, लेकिन दाह संस्कार की अनुमति जल्दी ही दे दी गई। पीड़िता का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने में भी कुछ समय लगा।

10 लाख रुपए देने का ऐलान ममता बनर्जी के गले पड़ गया

ममता बनर्जी उस समय डॉक्टर के घर गई थीं, जब महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या का मामला सुर्खियों में आया था। स्थिति को शांत करने के लिए उन्होंने पैसे की पेशकश भी की थी। इसके बाद उन्होंने घोषणा की कि वह 10 लाख रुपए दान करेंगी। पीड़िता के पिता ने उस समय कहा था, “हमारी बेटी की मौत के बाद जिस दिन मुख्यमंत्री हमारे घर आईं, उन्होंने हमें मुआवजा देने की पेशकश की।” हालांकि, ममता ने बाद में इसका खंडन किया।

डॉक्टरों पर भीड़ का हमला रोकने में नाकाम रही पुलिस 

14 अगस्त की देर रात जूनियर डॉक्टर आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में प्रदर्शन कर रहे थे। उस समय अचानक हज़ारों लोग वहां जमा हो गए। इसमें प्रदर्शनकारियों की वेशभूषा में आए उपद्रवी भी शामिल थे। बड़ी संख्या में लोगों ने अस्पताल में घुसकर तोड़फोड़ की और नुकसान पहुंचाया। डॉक्टरों पर हमला किया गया। पुलिस पर पत्थर फेंके गए। भीड़ ने घटनास्थल को भी नुकसान पहुंचाया।

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