Pandit Chhannulal Mishra: भारतीय शास्त्रीय संगीत के दिग्गज और पद्मविभूषण से सम्मानित पंडित छन्नूलाल मिश्र का गुरुवार 2 अक्टूबर की सुबह निधन हो गया। 89 वर्षीय छन्नूलाल जी ने मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) स्थित अपने आवास पर सुबह करीब 4:30 बजे अंतिम सांस ली। वे पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ में उनका इलाज चल रहा था।
परिवार की मानें तो उनकी तबीयत बुधवार रात अचानक बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। हालांकि डॉक्टरों ने सुबह उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनकी छोटी बेटी डॉ. नम्रता मिश्र ने मीडिया को जानकारी दी कि उनकी तबीयत में कुछ दिनों से सुधार था और हाल ही में उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी मिली थी, लेकिन उम्र से जुड़ी तकलीफें और फेफड़ों में पानी भर जाने की वजह से उनका स्वास्थ्य फिर से गिर गया।
वाराणसी में होगा अंतिम संस्कार- Pandit Chhannulal Mishra
पंडित छन्नूलाल मिश्र का अंतिम संस्कार आज वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा। उनका पार्थिव शरीर मिर्जापुर से वाराणसी लाया जा रहा है। उनके इकलौते पुत्र और तबला वादक पंडित रामकुमार मिश्र उन्हें मुखाग्नि देंगे।
संगीत साधना की शुरुआत और पारिवारिक विरासत
पंडित छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के हरिहरपुर गांव में हुआ था। संगीत उनके खून में था उनके दादा गुदई महाराज (शांता प्रसाद) और पिता बद्री प्रसाद मिश्र दोनों ही संगीतज्ञ थे। महज छह साल की उम्र में उन्होंने संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी। बाद में उस्ताद अब्दुल गनी खान और उस्ताद गनी अली साहब जैसे गुरुओं से उन्होंने शास्त्रीय संगीत की गहराई से तालीम ली। वह प्रख्यात तबला वादक पंडित अनोखेलाल मिश्र के दामाद भी थे।
बहुमुखी गायकी और लोकधुनों में महारथ
छन्नूलाल मिश्र की गायकी में सिर्फ शास्त्रीयता नहीं, बल्कि बनारसी ठाठ, लोकगीतों की मिठास और भारतीय परंपराओं की खुशबू भी थी। उन्होंने ठुमरी, दादरा, कजरी, सोहर, झूला और होली जैसे लोकगीतों को अपनी विशेष शैली में गाकर देश-विदेश में पहचान बनाई। रागों की जटिलता को आम श्रोता तक पहुंचाने का उनका तरीका बेहद सहज और रसीला होता था। उनकी गायन शैली में बनारस की मिट्टी की खुशबू और भारतीय संस्कृति की आत्मा झलकती थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। वे जीवनभर भारतीय कला और संस्कृति की समृद्धि के लिए समर्पित रहे। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे सदैव उनका स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त होता रहा।”
गौरतलब है कि साल 2014 में जब पीएम मोदी ने पहली बार वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ा था, तब पंडित छन्नूलाल मिश्र उनके प्रस्तावक बने थे। उनके और मोदी जी के बीच गहरा व्यक्तिगत और सांस्कृतिक रिश्ता रहा है।
सम्मान और उपलब्धियां
छन्नूलाल मिश्र को उनकी संगीत साधना के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले। भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण और पद्मविभूषण जैसे बड़े नागरिक सम्मान दिए। इसके अलावा, 2000 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा गया। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से उन्हें ‘यश भारती सम्मान’ भी प्राप्त हुआ।
एक युग का अंत
पंडित छन्नूलाल मिश्र का इस दुनिया से जाना सिर्फ एक व्यक्ति की विदाई नहीं, बल्कि भारतीय संगीत परंपरा के एक स्वर्णिम अध्याय का समापन है। उनकी गायकी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा और मार्गदर्शक रहेगी। संगीत प्रेमियों के दिलों में उनका नाम हमेशा ज़िंदा रहेगा।