Madhuri Elephant News: कोल्हापुर जिले के शिरोल तालुका का एक छोटा सा गांव नांदनी, इन दिनों भावनाओं की लहरों से झूल रहा है। वजह है – एक हथिनी, ‘माधुरी’। जिसे गांव वाले प्यार से ‘महादेवी’ बुलाते हैं। वो सिर्फ एक जानवर नहीं थी, बल्कि गांव की परंपरा, आस्था और विरासत की जीती-जागती मिसाल थी। लेकिन अब वह माधुरी गांव में नहीं है, उसे कोर्ट के आदेश पर गुजरात के जामनगर स्थित ‘वनतारा’ नाम के संरक्षण केंद्र में भेज दिया गया है।
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इस फैसले ने गांव की आत्मा को झकझोर दिया है। लोग टूटे हुए हैं, भावनाएं आहत हैं और सबसे बड़ी बात – इंसाफ की गुहार लग रही है। इसी भावना ने रविवार को हजारों लोगों को एक कर दिया और एक शांतिपूर्ण लेकिन बेहद मार्मिक पदयात्रा निकाली गई, जिसमें गांव-गांव से लोग 45 किलोमीटर पैदल चलकर कोल्हापुर जिला कलेक्टर तक पहुंचे।
हर धर्म के लोग साथ आए, इंसानियत की मिसाल बनी पदयात्रा – Madhuri Elephant News
सुबह 5 बजे नांदनी से शुरू हुई यह पदयात्रा सिर्फ एक जानवर की वापसी की मांग नहीं थी, यह उस जुड़ाव की कहानी थी जो इंसान और जानवर के बीच होती है। इस यात्रा में जैन, हिंदू, मुस्लिम, सिख – सभी धर्मों के लोग शामिल हुए। हर हाथ में एक ही संदेश था – “माधुरी को वापस लाओ।” इस मूक पदयात्रा का नेतृत्व किसान नेता और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने किया, जिन्होंने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए कहा – “महादेवी सिर्फ एक हथिनी नहीं, हमारी संस्कृति का प्रतीक है। उसकी आंखों में आंसू थे जब वो गई, और हमारी आंखों में भी हैं जब हम उसे याद करते हैं।”
45 किलोमीटर की पदयात्रा, एक बेज़ुबान जानवर के लिए❓
कोल्हापुर के लोगों ने दिखाई इंसानियत 🙏
माधुरी हथिनी के लिए इतना प्यार…
ये सिर्फ़ यात्रा नहीं, ये है इंसानियत की मिसाल! 🐘❤️#Kolhapur #MadhuriHathini pic.twitter.com/VT1COPYU4u— Nunu (@Dreams_realites) August 3, 2025
क्या था पूरा मामला? क्यों गई माधुरी?
आपको बता दें, PETA इंडिया की एक याचिका के बाद यह मामला हाई कोर्ट पहुंचा, जिसमें हथिनी माधुरी की तबीयत, आर्थराइटिस और कथित आक्रामक व्यवहार का जिक्र था। कोर्ट ने हाई पावर्ड कमेटी की सिफारिश पर माधुरी को जामनगर स्थित ‘वनतारा’, जो अंबानी परिवार का वन्यजीव संरक्षण केंद्र है, भेजने का आदेश दिया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर मुहर लगा दी।
वनतारा की ओर से जारी बयान में साफ किया गया कि यह ट्रांसफर उनकी मर्ज़ी से नहीं, बल्कि कोर्ट के आदेश पर हुआ। वे यह भी बोले कि वे स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हैं और मठ के प्रमुखों से बात करने को तैयार हैं।
राजनीतिक घमासान और भावनात्मक तूफान
वहीं, माधुरी की विदाई सिर्फ एक कानूनी प्रक्रिया नहीं रही, वह भावनाओं का तूफान बन गई। जब हथिनी को ले जाया गया, तो गांव में आंसू थे, नाराजगी थी और विद्रोह भी। पुलिस की गाड़ियों पर पत्थर फेंके गए, जियो के खिलाफ नारेबाजी हुई – क्योंकि जियो अंबानी समूह का ही हिस्सा है।
राजू शेट्टी ने खुलकर कहा – “अब तो ऐसा लगने लगा है जैसे ये देश मुकेश और अनंत अंबानी का गुलाम बन चुका है। 700 साल से हाथियों की सेवा करने वाले मठ पर आरोप लगाना कि वो हथिनी से भीख मंगवाता है – ये हमारे इतिहास और परंपरा पर चोट है।”
उन्होंने वनतारा को ‘बोगस संस्था’ बताया और सवाल उठाया कि क्या किसी कॉर्पोरेट की मर्जी पर हमारी परंपराएं कुर्बान होंगी?
जनता का आक्रोश, नेताओं पर दबाव
इस मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। हाल ही में जब अजित पवार कोल्हापुर पहुंचे तो युवाओं ने जनसभा रोककर “दादा, महादेवी को वापस लाओ!” के नारे लगाए। कोल्हापुर से लेकर कर्नाटक तक विरोध तेज हो रहा है। सोशल मीडिया पर जियो के बहिष्कार की मुहिम चल रही है और जगह-जगह हस्ताक्षर अभियान भी जारी हैं।
क्या माधुरी फिर लौटेगी नांदनी?
सवाल यही है – क्या ‘माधुरी’ की वापसी अब संभव है?
राजनीतिक और सामाजिक संगठनों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल करने की तैयारी हो रही है। वहीं वनतारा ने भी बातचीत की पेशकश की है। देखना होगा कि यह मामला सिर्फ कोर्ट के आदेशों में उलझा रहेगा या जनता की भावनाओं को भी जगह मिलेगी।
एक हथिनी, एक गांव और एक संस्कृति का संघर्ष
माधुरी अब जामनगर में है, लेकिन उसकी यादें आज भी नांदनी की गलियों में घूम रही हैं। गांव के बुजुर्ग उसकी बात करते हुए रो पड़ते हैं। शायद यह पहली बार है जब एक जानवर को लेकर इतनी बड़ी आवाज उठी है और वो भी इतनी शांति, सम्मान और आस्था के साथ।