Maratha Quota Stir: मुंबई में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर चल रहे लंबे संघर्ष को आखिरकार बड़ी सफलता मिली है। सरकार ने “हैदराबाद गजट” को आधिकारिक रूप से जारी कर दिया है, जिससे अब मराठा समाज के उन लोगों को ‘कुनबी’ जाति का दर्जा मिलेगा, जिनके पास उसके लिए ज़रूरी दस्तावेज हैं। चूंकि कुनबी जाति ओबीसी कैटेगरी में आती है, ऐसे में इस फैसले के बाद मराठाओं को आरक्षण मिलने का रास्ता साफ हो गया है। यह सिर्फ कानूनी कागज़ भर नहीं, बल्कि मराठा समाज के लिए सामाजिक और शैक्षणिक अवसरों का नया दरवाज़ा भी बनकर सामने आया है।
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सरकार के फैसले से खत्म हुआ अनशन- Maratha Quota Stir
सरकार की ओर से गजट जारी किए जाने के बाद मनोज जरांगे ने अपने आमरण अनशन को खत्म करने की तरफ इशारा कर दिया है। उन्होंने पहले ही साफ किया था कि अगर सरकार मराठा समाज को कुनबी जाति में शामिल करती है, तभी वे अपना अनशन तोड़ेंगे। अब जब सरकार ने आधिकारिक रूप से यह कदम उठा लिया है, तो संभावना है कि जरांगे मंगलवार रात तक मुंबई छोड़ देंगे। वैसे भी बॉम्बे हाईकोर्ट ने आजाद मैदान को बुधवार सुबह तक खाली कराने का निर्देश दे दिया है, जिससे आंदोलन समाप्ति की प्रक्रिया तेज हो गई है।
लंबा और संघर्ष भरा रहा आंदोलन का रास्ता
मनोज जरांगे का यह आंदोलन कोई एक-दो दिन की बात नहीं है। उन्होंने मराठा आरक्षण के लिए 2021 में पिंपलगांव से शुरुआत की थी, जहां उन्होंने 90 दिनों तक धरना दिया था। लेकिन असली सुर्खियां उन्हें 2023 के जालना आंदोलन से मिलीं, जहां पुलिस की कार्रवाई के बाद मामला राज्यभर में फैल गया। इसके बाद उन्होंने 2023 से 2025 के बीच महाराष्ट्र के अलग-अलग इलाकों में सात बार आमरण अनशन किया। हर बार उनकी मांग यही थी कि मराठा समाज को ओबीसी के तहत आरक्षण मिले, ताकि उन्हें नौकरी और शिक्षा में बराबरी का मौका मिल सके।
महाराष्ट्र में आरक्षण का गणित क्या कहता है?
महाराष्ट्र में OBC को सबसे ज्यादा यानी 19% आरक्षण मिलता है। इसके बाद SC (13%), EWS (10%), SEBC (10%), ST (7%), NT-C (3.5%), VJNT-A (3%) और NT-D (2%) आरक्षण के हकदार हैं। जनरल कैटेगरी में आने वाले लोगों को आमतौर पर कोई आरक्षण नहीं मिलता। ऐसे में मराठा समाज को OBC में जगह मिलने से उनका भविष्य काफी हद तक सुरक्षित और सक्षम बन सकता है।
जरांगे की बाकी मांगें क्या हैं?
गजट नोटिफिकेशन के बाद भी मनोज जरांगे की कुछ मांगे अब भी बनी हुई हैं। उन्होंने मांग की है कि:
- आंदोलन में शामिल लोगों पर दर्ज केस वापस लिए जाएं
- जिन पुलिसकर्मियों ने आंदोलनकारियों पर अत्याचार किया, उनके खिलाफ कार्रवाई हो
- आंदोलनकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए
- सरकार किसी भी तरह का दमनात्मक रवैया न अपनाए
फिलहाल सरकार ने इनमें से कुछ बिंदुओं पर विचार करने का आश्वासन दिया है, लेकिन जरांगे अब भी सतर्क हैं कि वादों को अमल में लाया जाए।
क्या कहता है समाज?
मराठा समाज में इस फैसले को लेकर खुशी और राहत दोनों का माहौल है। लोगों का मानना है कि ये कदम सिर्फ आरक्षण का मामला नहीं, बल्कि उनके सम्मान और हक की लड़ाई की जीत है। हालांकि आगे भी इस आरक्षण को लेकर कानूनी चुनौतियां सामने आ सकती हैं, लेकिन सरकार की इस पहल को एक ऐतिहासिक फैसला माना जा रहा है।
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